भ्रष्टाचारियों के राष्ट्र एवं धर्मप्रेमी परिजनों को आवाहन !

व्यक्ति को नौकरी से मिलनेवाला वेतन राष्ट्र एवं धर्मप्रेमी गृहिणी, उनकी युवा संतान एवं परिजनों को ज्ञात होता है । यदि वे अपेक्षा से अधिक राशि घर पर लाते हैं, तो ध्यान में रखें कि, वे भ्रष्टाचार कर रहे हैं । यह राष्ट्र के संदर्भ में अक्षम्य अपराध है ! अपराध के मूक साक्षी बनकर … Read more

साधना एवं हिन्दू धर्म की शिक्षा ग्रहण करने हेतु पूरे विश्व के जिज्ञासु एवं साधक भारत में आते हैं

हिन्दू धर्म का मूल्य न जाननेवाले भारत के हिन्दू उच्च शिक्षा हेतु अमेरिका को प्रयाण करते हैं । उसी प्रकार साधना एवं हिन्दू धर्म की शिक्षा ग्रहण करने हेतु पूरे विश्व के जिज्ञासु एवं साधक भारत में आते हैं । ऐसा होते हुए भी भारत के हिन्दुओं को हिन्दू धर्म का मूल्य नहीं है ।

किसान वृद्ध गाय-बैलों को पशुवधगृह में भेजते हैं !

वर्तमान में संतान अपने वृद्ध मां-बाप की चिंता नहीं करती । उन्हें वृद्धाश्रम में भेज देती है । उसी प्रकार किसान वृद्ध गाय-बैलों को पशुवधगृह में भेजते हैं !

विद्यालयीन शिक्षा में हिन्दू धर्म की शिक्षा न देने के कारण हिन्दुओं की हुई दुःस्थति !

यदि विद्यालय के पाठ्यक्रम में हिन्दू धर्म में बताया गया ज्ञान, विज्ञान तथा अच्छे संस्कार करनेवाली बातें अंतर्भूत की जाती, तो विद्यार्थियों के ध्यान में हिन्दू धर्म की महानता आकर राष्ट्र एवं धर्म के प्रति उन्हें अभिमान लगता । इसके अभाव में विद्यार्थियों के मन में एवं वे बडे होने पर भी उनके मन में … Read more

राष्ट्र-धर्म के संदर्भ में कुछ न करनेवाले पत्रकार

राष्ट्र-धर्म के संदर्भ में कुछ करने हेतु अन्यों को सीखानेवाले; किंतु स्वयं कुछ न करनेवाले पत्रकारों का औरों को नसीहत, अपनों की फजीहतवाले समूह में अंतर्भाव होता है ।

हिन्दुआें, जब तक विद्यमान मंदिरों की रक्षा करने का सामर्थ्य उत्त्पन्न नहीं होता, तब तक नए मंदिरों का निर्माण न करे ।

हिन्दुआें, जब तक विद्यमान मंदिरों की रक्षा करने का सामर्थ्य उत्त्पन्न नहीं होता, तब तक नए मंदिरों का निर्माण न करे ।

साधना में शिष्य अपने सर्वस्व का त्याग कर लेनेवाले गुरु की सेवा करता है !

नित्य जीवन में जहां अधिक वेतन मिलता है, वहां व्यक्ति नौकरी करता है । इसके विपरीत साधना में शिष्य अपने सर्वस्व का त्याग कर लेनेवाले गुरु की सेवा करता है !

कहां आधुनिक लेखकों द्वारा किया गया लेखन, तो कहां संतों ने किया हुआ लेखन !

संत जनाबाई, संत नामदेव महाराज, संत निवृत्तिनाथ महाराज, संत ज्ञानदेवजी, संत सोपानकाका महाराज, संत मुक्ताबाई, संत एकनाथ महाराज, संत गोरा कुम्हार, संत चोखामेळा, समर्थ रामदास स्वामी, संत तुकाराम महाराज इत्यादि संत अनेक सदियां बीत जानेपर भी लोगों के स्मरण में हैं; परंतु आज के जो साहित्यकार उनको प्राप्त पुरस्कारों को वापस लौटा रहे हैं, उनके … Read more