संतों के दर्शन से कुछ अच्छा लगना अथवा कुछ भी न लगना

किसी संत के पास जानेपर कुछ लोगों को अच्छा लगता है अथवा उनमें भाव जागृत होता है, तो कुछ लोगों को कुछ भी नहीं लगता । उसमें से कुछ लोगों को कुछ भी न लगने से बुरा लगता है । अनुभूति प्राप्त होना अथवा न प्राप्त होने के कारण निम्न प्रकार से हैं – १. … Read more

सर्वधर्मसमभाव के पक्षधर अंधे, बहरे एवं मंदबुद्धि हैं और उनमें सत्य को जान लेने की इच्छा ही नहीं है ।

सर्वधर्मसमभाव के पक्षधर अंधे, बहरे एवं मंदबुद्धि हैं और उनमें सत्य को जान लेने की इच्छा ही नहीं है ।

सूक्ष्म में व्याप्त अनिष्ट शक्तियों को नष्ट करने हेतु साधना की आवश्यकता !

कोई मनुष्य चाहे कितना भी बलवान हो अथवा उसके पास शस्त्र हों, तो भी उसे कीटाणुनाशक औषधियां लेनी पडती हैं; क्योंकि यह कीटाणु सूक्ष्म होते हैं । उसी प्रकार से अनिष्ट शक्तियों को नष्ट करने हेतु साधना करनी पडती है । पाश्‍चात्त्यों को केवल कीटाणु ज्ञात हुए, तो हमारे संत एवं ऋषियों को सूक्ष्मातिसूक्ष्म विश्‍व … Read more

अध्यात्म में किसी भी प्रश्‍न का उत्तर तत्काल ज्ञात होता है ।

विज्ञान को जानकारी को एकत्रित कर किसी प्रश्‍न का उत्तर ढूंढना पडता है । इसके विपरीत अध्यात्म में जानकारी एकत्रित नहीं करनी पडती । इसमें किसी भी प्रश्‍न का उत्तर तत्काल ज्ञात होता है ।

गुरुकुल शिक्षापद्धति के समय निजी शिक्षावर्ग (private class) नहीं होते थे ।

आजकल के छात्रों को निजी शिक्षावर्गों (private class) में जाना पडता है, यह विद्यालयों के लिए लज्जाजनक ! गुरुकुल शिक्षापद्धति के समय निजी शिक्षावर्ग (private class) नहीं होते थे ।

अन्य सभी धर्मों के लिए संस्थापक हैं; परंतु हिन्दू धर्म का कोई संस्थापक न होने का कारण

बौद्ध, जैन, ईसाई, इस्लाम इत्यादी धर्मों के (वास्तविक रूप से संप्रदायों के) संस्थापक हैं; परंतु हिन्दू धर्म के लिए कोई भी संस्थापक नहीं है । इसके कारण निम्नानुसार हैं । १. यह धर्म इतना गहरा है कि, कोई एक उसकी स्थापना नहीं कर सकता । २. कालमहिमा के अनुसार धर्म में जो परिवर्तन होता है, … Read more

अध्यात्म में तत्काल निष्कर्ष ज्ञात होता है

विज्ञान में प्रयोग करना, सांख्यिकी एकत्रित कर उसका विश्‍लेषण इत्यादी कर निष्कर्ष निकालते हैं । इसके विपरीत अध्यात्म में तत्काल निष्कर्ष ज्ञात होता है !

भक्तिमार्ग में व्याप्त व्यष्टि एवं समष्टि साधना

१. व्यष्टि साधना : यह व्यक्तिगत जीवन से संबंधित होती है । इस साधनामार्ग में धार्मिक विधि, पूजा-अर्चना, पोथीपठन, नामजप, मंत्रजप, भाव की स्थिति में रहना इत्यादी साधनाएं होती हैं । २. समष्टि साधना : यह साधना समष्टि अर्थात समाजजीवन से संबंधित होती है । कालमहिमानुसार समाजपर जो अनिष्ट परिणाम होनेेवाले होते हैं, उनकी तीव्रता … Read more