

मुसलमानों द्वारा प्रत्येक पदार्थ अथवा वस्तु इस्लाम के अनुसार वैध अर्थात ‘हलाल’ होने की मांग की जा रही है । उसके लिए ‘हलाल सर्टिफिकेट (प्रमाणपत्र)’ लेना अनिवार्य किया गया । इसके द्वारा इस्लामी अर्थव्यवस्था अर्थात ‘हलाल इकॉनॉमी’ को धर्म का आधार होते हुए भी बहुत ही चतुराई के साथ निधर्मी भारत में लागू किया गया । हिन्दू समाज में इसके प्रति जागृति लाना अब समय की आवश्यकता है । साथ ही देश एवं देश के लोगों की सुरक्षा के लिए इसके संदर्भ में आंदोलन खडा कर सरकार के पास संगठितरूप से शिकायतें और हलाल प्रमाणपत्र देने पर प्रतिबंध लगाने की मांग करनी चाहिए।
Sign Petition
धर्मनिरपेक्ष भारत में धर्म आधारित ‘हलाल’ प्रमाणपत्र पर तत्काल प्रतिबंध लगाएं !
Request you to send the email with this demand to Hon’ble Prime Minister of India by clicking on the button below. Please send a copy of the email to [email protected]
(Note: ‘Send Email’ button will work only on Mobile)
‘हलाल जिहाद’ के विरुद्ध हिन्दू जनजागृति समिति का अभियान
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हिन्दू जनजागृति समिति ने 2019 से ‘हलाल जिहाद’ के खिलाफ आंदोलन शुरु किया !
🚩 समिति ने सर्वप्रथम हलाल जिहाद पर व्यापक शोध और आंकडों को लेकर एक ग्रंथ प्रकाशित किया ।
🚩 समिति हलाल जिहाद पर व्यापारियों और उद्यमियों के लिए व्याख्यान आयोजित करती है। इससे प्रेरित होकर वे भी आर्थिक जिहाद के विरुद्ध हिन्दू जनजागृति समिति के अभियान में सम्मिलित हो रहे हैं।
🚩 समिति दीपावाली और अन्य त्यौहारों के समय लोगों को गैर-हलाल प्रमाणित वस्तुओं को खरीदने करने पर विचार करने के लिए प्रोत्साहित करती रही है ।
🚩 समिति ने संपूर्ण देश में सम-विचारधारा वाले संगठनों के साथ हिंदू राष्ट्र जागृति आंदोलन (जन आंदोलनों) का आयोजन किया और केंद्र सरकार से हलाल प्रमाणपत्र पर तत्काल प्रतिबंध लगाने की मांग की।
🚩 समिति के नेतृत्व वाले प्रतिनिधिमंडलों ने विविध स्थानों पर सरकारी अधिकारियों से भेट की और धार्मिक आधार पर ‘हलाल प्रमाणपत्र’ को तुरंत बंद करने और ऐसे प्रमाण पत्र जारी करने वाले सभी संस्थानों की जांच करने की मांग करते हुए ज्ञापन सौंपे।
🚩 समिति ने हलाल प्रमाणपत्र पर उद्यमियों और कानूनी विशेषज्ञों के साथ ऑनलाइन चर्चा भी आयोजित की।
🚩 समाज के सभी वर्गों से हुए विरोध के कारण ‘हलाल शो इंडिया’ के आयोजकों को इसे रद्द करने के लिए विवश किया गया । हलाल के विरोध में एक और जीत हुई ।
इन सभीं के परिणामस्वरूप, केंद्र सरकार ने सभीं निर्यात वाले मांस को हलाल प्रमाणित करने की आवश्यकता को रद्द किया। हिंदू एकता की यह सबसे बडी जीत है ।
Tag Halal products photos to @HindujagrutiOrg
आप क्या कर सकते है ?
👉🏻 इस Petition को Sign करें और अपने दोस्तों से भी Sign करवाएं
👉🏻 हलाल प्रमाणित उत्पाद न खरीदें और दूसरों को भी हलाल प्रमाणपत्र के संकट से अवगत कराएं
👉🏻 सोशल मीडिया के माध्यम से जागरूकता निर्माण करें
👉🏻 यदि आप एक हिन्दू दुकानदार हैं, तो हलाल प्रमाणित उत्पादों को बिक्री के लिए रखने से बचें
👉🏻 यदि आप एक हिंदू व्यवसायी हैं तो अपने उत्पादों के लिए ‘हलाल प्रमाणपत्र’ प्राप्त करने से बचें
👉🏻 यदि आपको स्थानीय दुकान में कोई हलाल प्रमाणित उत्पाद दिखे, तो उसका फोटो लेकर #BoycottHalalProducts इस हॅशटैग के साथ ट्विटर पर संबंधित कंपनी को टैग कर ट्विट करें
👉🏻 भारतीय अर्थव्यवस्था को हलाल अर्थव्यवस्था से लडने में मदद करने के लिए अपना योगदान दें !

हलाल जिहाद ?
भारतीय अर्थव्यवस्था पर नया आक्रमण
इस ग्रंथ को खरीदें, प्रायोजित करें, दूसरों को भी उपहार दें
राष्ट्र के लिए अपना योगदान दें !

इस ग्रंथ को खरीदें, प्रायोजित करें, दूसरों को भी उपहार दें !
राष्ट्र के लिए अपना योगदान दें !
हलाल क्या है ?
अरबी शब्द ‘हलाल’ का अर्थ है इस्लाम के अनुसार वैध और स्वीकार्य; तो उसका प्रतिवाचक शब्द है ‘हराम’ अर्थात इस्लाम के अनुसार अवैध/निषिद्ध/वर्जित । ‘हलाल’ शब्द मुख्यत: खाद्यान्न एवं तरल पदार्थों के संदर्भ में प्रयोग किया जाता है । इस संदर्भ में कुरआन का आदेश तथा हराम के पदार्थ खाने से पाप लगने, साथ ही मृत्यु के पश्चात दंडित किया जाएगा, इस भय से मुसलमान हलाल अन्न का आग्रह रखते हैं । हलाल पदार्थ बनाते समय उसमें हराम माने जानेवाले किसी एक भी घटक को अंतर्भूत किया गया, तो वह अन्न हलाल नहीं रहता । इसलिए सभी देशों में हलाल मांस की बडी मात्रा उपलब्ध की जाती है । अधिक पढें..
हलाल प्रमाणपत्र क्या है ?
विश्वस्तर पर इस्लामी देशों का संगठन (ऑर्गनाईजेशन ऑफ इस्लामिक कंट्रीज – OIC) ‘उम्माह’ अर्थात इस्लाम के अनुसार देश और सीमा रहित धार्मिक भाईचारे की संकल्पना पर चलता है । इसलिए भारत-नेपाल-चीन जैसे गैरइस्लामी देशों के उत्पादों का मुसलमान देशों में निर्यात करना हो, तो पहले उन्हें अपने देश में स्थित वैध इस्लामिक संगठन से हलाल प्रमाणपत्र लेना अनिवार्य है । अतः प्रत्येक निर्यातक को यह प्रमाणपत्र प्राप्त करने के लिए खर्चा तो करना ही पडता है ।
केवल खाना ही नहीं, औषधि से लेकर
लिपस्टिक तक सभी है हलाल
ग्लोबल हलाल सर्टिफिकेशन मार्केट अब मांस तक ही सीमित नहीं है, अपितु हमारे दैनंदिन जीवन के हर क्षेत्र में व्याप्त है । – मांस से लेकर पैकेज फूड, हाउसिंग प्रोजेक्ट्स से लेकर हॉस्पिटल्स तक, औषधियों से लेकर ब्यूटी प्रोडक्ट्स तक; यहां तक की मॉल भी छूटा नहीं है।
आज की तारीख में हलाल फ्रेंडली टूरिज्म भी अस्तित्व में है तथा गोदाम को भी हलाल सर्टिफिकेट मिले है। लॉजिस्टिक्स, मीडिया, ब्रांडिंग और मार्केटिंग में भी हलाल सम्मिलित है। हलाल प्रमाणित डेटिंग वेबसाइट हैं जो शरीया के अनुरूप कार्य करती है। कोच्चि के एक बिल्डर ने हाल ही में हलाल प्रमाणित अपार्टमेंट बेचने की पेशकश भी की थी। जो कोई भी अपने उत्पादों को इस्लामिक देशों में निर्यात करना चाहता है, उसे हलाल प्रमाणित होना चाहिए।
कंपनियां सभीं को हलाल उत्पाद क्यों बेचती हैं ?
वैश्विक स्थिति का विचार करने पर हलाल अर्थव्यवस्था आज विश्व की सबसे तीव्र गति से बढ रही अर्थव्यवस्था मानी जा रही है । हलाल मार्केट का मूल्य 3 ट्रिलियन डॉलर्स से अधिक है । (रू. 24,71,38,50,00,00,000) इसमें तीव्र गति से बढ रही मुसलमान जनसंख्या का भी बडा हाथ है । इसका बाजार हर साल 15-20% की दर से बढ रहा है। इनमें से खाद्य पदार्थों का हिस्सा केवल 6-8% है। दुनिया की लगभग 32% जनसंख्या मुस्लिम है। उनके पास एक विशाल उपभोक्ताओं का आधार है और यह भाग निर्माताओं के लिए महत्वपूर्ण हैं। कोई भी उद्योग एक ही उत्पाद को दो तरह से नहीं बनाना चाहेगा, एक जो हलाल प्रमाणित हो और दूसरा गैर-इस्लामी देशों के लिए। इससे लागत भी बढ़ेगी और उत्पादन भी जटिल होगा। इस कारण से ही कंपनियों को हलाल सर्टिफिकेट लेकर सभी को एक जैसा उत्पाद बेचने में आसानी होती है।
हलाल सर्टिफिकेट कौन देता है ?
भारत में पांच या छह संस्थाएं हैं जो हलाल प्रमाणपत्र जारी करती हैं। सबसे ज्यादा मांग जमीयत-उलमा-ए-महाराष्ट्र और जमीयत-उलमा-ए-हिंद हलाल ट्रस्ट की है। शरिया समिति कंपनी द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट और दस्तावेजों को देखकर तय करती हैं कि हलाल प्रमाणपत्र जारी किया जाए या नहीं। ऐसा नहीं लगता कि उत्पाद का वैज्ञानिक या विश्लेषणात्मक परीक्षण है। इस संपूर्ण प्रक्रिया में सरकार की कोई भूमिका नहीं है।
आखिर हलाल सर्टिफिकेट का पैसा कहां जाता है ?
- हलाल प्रमाणित उत्पाद खरीदने के लिए गैर-मुस्लिमों को क्यों बाध्य किया जाता है ?
- इतनी बड़ी रकम का उपयोग हलाल सर्टिफिकेट देने वाली एजेंसियां कहां करती हैं ?
ये कुछ महत्त्वपूर्ण प्रश्न हैं जो भारत में हलाल पर बार-बार पूछे जाते हैं। हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. रमेश शिंदे ने एक लेख में लिखा है कि, 2 खरब डॉलर होनेवाली हलाल अर्थव्यवस्था भारत की जीडीपी को टक्कर दे रही है ! धर्म में आधार एक समानांतर आर्थिक व्यवस्था धीरे-धीरे विशाल रूप धारण कर रही है; जिसका निश्चित रूप से भारत के ‘धर्मनिरपेक्षता’ पर प्रभाव पड़ेगा। हिंदुओं को ‘हलाल’ प्रमाणित उत्पादों और ऐसी कंपनियों के उत्पादों को खरीदने से बचना चाहिए, जो हिंदू परंपराओं का ‘इस्लामीकरण’ कर रही हैं।
भारतीय सेना में 23 वर्ष सेवारत रह चुके सरोज चड्ढा ने टाइम्स ऑफ इंडिया पर अपने ब्लॉग में लिखा है कि, सरकार के हस्तक्षेप से न केवल भारतीय मुसलमान, अपितु इस्लामी देश भी क्रोधित होगे। इसे मुसलमानों के मौलिक अधिकारों के हनन के रूप में भी उपस्थित किया जा सकता है। उपभोक्ताओं को इसका निर्णय लेने देना अधिक योग्य होगा। यदि गैर-मुसलमानों को लगता है कि, हलाल सर्टिफिकेशन उनके साथ ठगी कर रहा है या इससे उनकी भावनाओं को ठेस पहुंची है, तो उन्हें ऐसे उत्पाद नहीं खरीदने चाहिए।