कंबोडिया : कौंडिण्य ऋषि का क्षेत्र

महाभारत में जिस देश को ‘कंभोज देश’ कहा गया है, वह है आज का कंबोडिया देश ! यहां १५वीं शताब्दी तक हिन्दू रहते थे । ऐसा कहा जाता है कि यहां वर्ष ८०२ से लेकर १४२१ तक ‘खमेर’ नामक हिन्दू साम्राज्य था । वास्तव में कंभोज प्रदेश कौंडिण्य ऋषि का क्षेत्र था, साथ ही कंभोज देश नागलोक भी था । ऐसा भी उल्लेख मिलता है कि कंभोज देश के राजा ने महाभारत युद्ध में सहभाग लिया था । नागलोक होने से यह शिवक्षेत्र भी है और ऐसा मानना है कि महेंद्र पर्वत पर श्रीविष्णु के वाहन गरुड देवता भी थे । महर्षि अध्यात्म विश्‍वविद्यालय की सद्गुुरु (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी तथा उनके साथ ४ छात्र-साधकों ने ऐसे हरिहर क्षेत्र रहे कंभोज देश की आध्यात्मिक यात्रा के समय वहां से मान्यवरों के साथ हुई भेंट, प्राचीन स्थानों की विशेषताएं तथा वहां की हिन्दू संस्कृति के चिन्हों को दर्शानेवाला यह लेख प्रस्तुत कर रहे हैं ।

अंकोर वाट : राजा सूर्यवर्मन (दूसरा) द्वारा निर्मित विश्‍व का सबसे बडा हिन्दू मंदिर !

अंकोर वाट मंदिर का विशाल परिसर १. हिन्दू राजा यशोवर्मन द्वारा स्थापित अंकोर नगर का नाम यशोधरपुरा होना, आगे जाकर उसी वंश के राजा सूर्यवर्मन (दूसरा) द्वारा नगर के मध्यभाग में विशाल भगवान श्रीविष्णुजी के परमविष्णुलोक मंदिर का निर्माण किया जाना हिन्दुआें का विश्‍व में सबसे बडा मंदिर हिन्दूबहुसंख्यक भारत में न होते हुए वह … Read more

कंबोडिया में सनातन हिन्दू धर्म से संबंधित राजा नरोदोम सिंहमोनी के राजमहल के चिन्ह

१५ वीं शताब्दी तक कंबोडिया की राजधानी वहां की सीम रिप नामक प्रांत में थी । उस नगरी को अब अंकोर नगरी कहा जाता है । उसके पश्‍चात वहां के खमेर हिन्दू साम्राज्य बौद्ध राष्ट्रों के आक्रमण के कारण नष्ट हुआ । १६ वीं शताब्दी से लेकर कंबोडिया की राजधानी अनेक बार बदली गई । Read more »

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