आजादी का अमृत महोत्सव – राष्ट्रध्वज का सम्मान करें !

राष्ट्रध्वज राष्ट्रीय अस्मिता का प्रतीक है । उसका योग्य मान रखना, यह राष्ट्राभिमान का लक्षण है । राष्ट्रध्वज हमें त्याग, क्रांति, शांति एवं समृद्धि जैसे मूल्यों की शिक्षा देता है । उत्साह के आवेश में राष्ट्रध्वज का अनावश्यक एवं अनुचित उपयोग करते समय हम इन मूल्यों को ही अपने पैरोंतले रौंद रहे हैं, यह सदैव स्मरण रखिए । राष्ट्रध्वज का होनेवाला अपमान रोकना, यह प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है । स्वातंत्रता प्राप्ति के लिए लडनेवाले स्वातंत्र्यवीरों की एवं क्रांतिकारियों का स्मरण कर उनके जिन गुणों के कारण उन्होंने स्वतंत्रता-संग्राम किया, उन गुणों को आत्मसात कर, उसीनुसार आचरण करने का प्रयत्न करें ।

ध्वज के संबंध में क्या ध्यान रखना चाहिए ?

क्या करें और क्या न करें

  • ध्वजसंहिता में बताए अनुसार एवं ऊंचे स्थान पर राष्ट्रध्वज फहराएं ।
  • छोटे बच्चों को राष्ट्रध्वज का उपयोग खिलौने समान न करने दें ।
  • मुख तथा कपडे राष्ट्रध्वज समान न रंगवाएं !
  • प्लास्टिक के राष्ट्रध्वज का उपयोग पताका के रूप में न करें ।
  • राष्ट्रध्वज पैरोंतले रौंदा न जाए तथा फटे नहीं, इसपर ध्यान दें ।
  • राष्ट्रगीत-गायन अनुचित स्थान एवं अनुचित समय पर न हो, इसपर ध्यान दें!
  • राष्ट्रगीत के अंततक ‘सावधान’ स्थिति में खडे रहें तथा उस समय आपस में बात न करें !

राष्ट्रध्वज का अनादर

 

सूचना : ऊपर दिखाए गए चित्र सिर्फ जानकारी तथा जागरूकता हेतु प्रदर्शित किये हैं, राष्ट्र भावना दुखाने हेतु नहीं

ध्वज के संबंध में क्या ध्यान रखना चाहिए ?

 

हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा ‘राष्ट्रध्वज का सम्मान’ नामक राष्ट्रीय स्तर पर एक अभियान आरंभ किया है । इस अभियान के अंतर्गत समिति विभिन्न पाठशालाओं में जाकर बच्चों को शिक्षित करने का प्रयास कर रही है । सार्वजनिक स्थानों और सूचना फलक पर  निवेदन का प्रदर्शन करना और अंतरजाल के माध्यम से अधिकतम लोगों तक पहुंचने का प्रयास समिति कर रही है ।

१. समिति उपरोक्त उपायोंको लागू करनेके लिए, समाचार पत्रके माध्यमद्वारा लोगों से निवेदन कर रहा है ।
२. समिति, भारत के कुछ राज्यों के मुख्यमंत्री से मुलाक़ात कर, उनके सम्मुख यह मांग रखी है कि राष्ट्रध्वज के अनादर के संदर्भ में कडी कार्यवाई की जाए ।
३. प्लास्टिक के झंडों पर प्रतिबंध, प्रमुख मांगों में एक है ।
४. समिति ने स्वतंत्रता दिवस पर, कई शहरों में अलग-अलग स्थानोंपर झंडा संग्रह करने के लिए बक्सों का प्रबंध किया है ।
५. भारत की ‘ध्वज संहिता’के अनुसार, एकत्रित झंडों को सम्मान पूर्वक जलाया अथवा दफनाया जाएगा ।

दूसरों को प्रेरित करें, अपने प्रयासों को साझा करें !

हमारे राष्ट्रीय ध्वज की गरिमा की रक्षा करते हुए फोटो/वीडियो हमें @hindujagrutiorg इस ट्विटर हैंडल पर टैग कर साझा करें !

राष्ट्रध्वज का अनादर

 

गैलरी देखने के लिए यहां क्लिक करें !

मैं कैसे योगदान कर सकता हूं ?

 

आप इस अभियान में सहभागी होकर, आपसे जितना बन सकता है उतना कर सकते हैं :

१. सक्रिय बनें : ऊपर उल्लेखित अप्रिय घटनाओं को रोकने के लिए अपने मित्रों और सगे-संबंधियोंको यह जानकारी दे सकते हैं ।

२. क्षतिग्रस्त झंडों को एकत्रित कीजिए और सम्मान पूर्वक जलाने अथवा दफनाने की व्यवस्था कीजिए ।

३. इस जानकारी को आप पाठशालाओं में ‘यह करें’ और ‘यह न करें’के रूप में सूचना फलक में प्रसारित कर सकते हैं ।

४. आपके साथ संपर्क में आनेवाले अधिकाधिक लोगों को, आप इस विषय में प्रबोधन करने का प्रयास कर, अपनी मातृभूमि के प्रति अपना कर्तव्य पूरा कर सकते हैं ।

५. एक समूह बनाकर, लोगों का प्रबोधन कीजिए और राष्ट्र ध्वज का अनादर होने से रोकिए ।

६. हमें [email protected] सूचित करें कि आपने इस बारे में क्या कार्य किया है और कार्य से संबंधित तस्वीरें भेजें, जिसे हम उदाहरण के तौर पर प्रकाशित कर सकें । इससे अन्योंको भी प्रेरणा मिलेगी ।

आओ, पुनः रामराज्य साकार करें !

हिन्दू एकता से हम पहाड हिला सकते हैं !

संबंधी समाचार

 

क्षतिग्रस्त ध्वज की व्यवस्था के लिए सूचना (दिशानिर्देश)

 

1. राज्य, सैन्य, केंद्रीय अर्ध-सैन्य बलों के अंतिम संस्कार के अलावा किसी भी रूप में ध्वज का उपयोग किसी भी रूप में एक पर्दे के रूप में नहीं किया जाना चाहिए।

2. झंडे को किसी वाहन, ट्रेन या नाव पर नहीं लपेटा या चिपकाया नहीं जा सकता।

3. किसी भी घर में झंडे को पर्दे के रूप में इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।

4. झंडे को किसी भी कपड़े या रूमाल, नैपकिन, कुशन आदि पर नहीं छापना चाहिए।

5. राष्ट्रीय ध्वज पर कुछ भी लिखा या मुद्रित नहीं होना चाहिए।

6. झंडे का इस्तेमाल किसी भी तरह के विज्ञापन में नहीं किया जाना चाहिए और न ही जिस पोल से झंडा फहराया जाता है, उस पर विज्ञापन का चिन्ह नहीं लगाया जाना चाहिए।

7. केवल स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर ध्वजारोहण से पहले फूलों की पंखुड़ियों को ध्वज के अंदर रखा जाता है।

ध्वज के क्षतिग्रस्त अथवा मैले हो जाने पर उसे सम्मान पूर्वक जलाया जाएगा अथवा किसी अन्य विधि द्वारा नष्ट किया जाएगा, जो ध्वज की गरिमा पर आंच न आने दे । – ‘भारतकी ध्वज संहिता’, धारा द्वितीय,पॉइंट

आप यह भी  देख सकते हैं : भारत की ध्वज संहिता