अंदमान स्थित, स्वातंत्र्य वीर सावरकर की स्मृति जागृत करनेवाले छायाचित्र

अंदमान ! समस्त देशभक्तोंका स्फूर्तिस्थल ! यह वही भूमि है, जहां स्वतंत्रतापूर्व की अवधि में स्वातंत्र्य वीर सावरकर के साथ अनेक स्वातंत्र्य सैनिकोंने भारतमाता की मुक्ति हेतु अनेक मरणप्राय यातनाएं हंसते हंसते सहन कीं ! Read more »

पांडवोंके निवास से पवित्र महाराष्ट्र के एरंडोल (महाराष्ट्र) का ‘पांडववाडा’ !

महाराष्ट्र के एरंडोल (जलगांव) का पांडववाडा ! पांडवोंके निवास से पवित्र !! महाभारत के पूर्व अज्ञातवास में रहते समय पांडव इसी एकचक्रनगरी में रहते थे। वे जिस बाडे में रहे थे, वह बाडा ही ‘पांडववाडा’ कहलाता है ! Read more »

उत्कृष्ट वक्तृत्व के कौशल्यवाले महान मदनमोहन मालवीय !

१८८६ में कोलकाता में संपन्न हुए कांग्रेस के द्वितीय अधिवेशन में २५ वर्ष के मदन मोहन मालवीय ने वक्तव्य दिया था । उनके उस वक्तव्य से अध्यक्ष दादाभाई नवरोजी इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने ये उद्गार निकाले, कि ‘उस समय मालवीयजी के मुख से साक्षात भारतमाता ही वक्तव्य दे रही थीं ।’ Read more »

भारत की प्रगत प्राचीन कलाकौशल का उत्कृष्ट नमुना : मोहेंजोदडो शहर !

आधुनिक विज्ञान के इस युग के चमचमाते शहरों को भी आश्‍चर्यचकित करेगी, ऐसी सुपरक्लास सिटी सहस्रो वर्षपूर्व भारत में थी और वह थी मोहेंजोदडो ! इतिहास के पुस्तक से जानकारी मिलती है कि सिंधु संस्कृति के मोहेंजोदडो शहर में हडाप्पा संस्कृति के अवशेष प्राप्त हुए हैं; परंतु इससे भी अधिक विशेषताएं मोहेंजोदडो में प्रत्यक्ष में थी । सहस्रो वर्षपूर्व के इस शहर का निर्माण नियोजनपूर्णता से किया था । Read more »

प्राचीन भारतीय शस्त्रास्त्रविद्या

हमारे पूर्वजों ने पाककलाशास्त्र, चिकित्साशास्त्र, नाट्यशास्त्र, संगीतशास्त्र, चित्रशास्त्र, गंधशास्त्र इत्यादि अनेक शास्त्रों का अध्ययन किया दिखाई देता है । इन अनेक शास्त्रों में से शस्त्रास्त्रविद्या, एक शास्त्र है । पूर्वकाल में शल्यचिकित्सा के लिए ऐसे कुछ विशिष्ट शस्त्रों का उपयोग होता था । Read more »

असम को मुगलों से मुक्त करनेवाले हिन्दू योद्धा – लाचित बरफुकन (লাচিত বৰফুকন)

असम के लोग तीन महान व्यक्तियों का बहुत सम्मान करते हैं। प्रथम, श्रीमंत शंकर देव, जो १५ वी शताब्दी में वैष्णव धर्म के महान प्रवर्त्तक थे। दूसरे, लाचित बरफुकन, जो असम के सबसे वीर सैनिक माने जाते हैं। Read more »

क्रांतिकारी राजगुरु

एक धोखा के कारण राजगुरु पकडे गए । लाहौर में उनके साथ असीम छल किया गया । लाहौर की प्रखर धूप में चारों ओर से भट्ठियां लगा कर राजगुरु को उन के मध्य को बिठाया गया । मारपीट की गई । कारागृह में असीम छल होते हुए भी राजगुरु ने सहयोगियों के नाम नहीं बताए । Read more »

भारत के दक्षिण-पूर्व किनारे का महत्त्वपूर्ण तीर्थक्षेत्र – रामेश्वरम् !

रामेश्वरम्, यह हिन्दुओंकी पवित्र चारधाम यात्रा में से दक्षिणधाम है। हिन्दुओंकी जीवनयात्रा की पूर्णता बद्रीनाथ, द्वारका, पुरी तथा रामेश्वरम् इन चार धामोंकी यात्रा के पश्चात ही होती है। रामेश्वरम्, यह तीर्थक्षेत्र भारतवर्ष के १२ प्रमुख ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह मंदिर भव्य है। इस के विस्तार एवं भव्यता के संदर्भ में तुलना करनेवाला अन्य कोई भी मंदिर भारत में नहीं है। Read more »

भक्तिमती शबरीमैया

रत्नगर्भा वसुुंधराका एक अंश इस देवभूमि भारतके, गर्भसे न जाने कितने अनमोल रत्नोंका उदय हुआ है । जीवनके प्रत्येक क्षेत्रमें उनके नाम और कार्यके बलपर युगो-युगोंसे इस भूमिकी पवित्रता अक्षुण्ण रही है । ऐसा ही एक भक्तिरत्न है, ‘शबरी’, जिसकी जीवनचर्या आज भी हमें हिन्दू धर्मकी महानताका, श्रीगुरुके चैतन्यमय वचनपर दृढ श्रद्धाका तथा भगवद्भक्तिका पाठ पढाती है । Read more »

‘नेता’ इस उपाधिका सार्थ प्रतीक : नेताजी सुभाषचंद्र बोस

‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा !’ इस ललकारके साथ अपने प्रखर क्षात्रतेजका तथा संगठन कुशलताके परिचायक तथा ‘नेता’ इस उपाधिको सर्वथा सार्थ करनेवाला केवल एक ही नाम है, नेताजी सुभाषचंद्र बोस ! भारतीयोंको संगठित कर उन्हें शक्तिशाली ब्रिटिश साम्राज्यके विरुद्ध सशस्त्र क्रांतिकी ओर ले जानेवाले इस महानायकको इतिहास सदैव नेताके रूपमें ही जानेगा । Read more »