भारत के पास हिन्दू धर्म एवं धर्मपरंपरा के अतिरिक्त अभिमान…

भारत के पास हिन्दू धर्म एवं धर्मपरंपरा के अतिरिक्त अभिमान प्रतीत होने समान क्या है ? बुद्धिप्रामाण्यवादी, साम्यवादी तथा जात्यंध आदि लोगों द्वारा बुद्धिभ्रम करने से हिन्दू धर्म दुर्लक्षित किया गया । इसीलिए हिन्दुओं की स्थिति अत्यंत दयनीय हो गई है ।’

‘धर्मशिक्षा के अभाव में तथा बुद्धिवादियों द्वारा निर्माण किए गए…

‘धर्मशिक्षा के अभाव में तथा बुद्धिवादियों द्वारा निर्माण किए गए विकल्पों के कारण हिन्दुओं को हिन्दू धर्म की महानता ज्ञात नहीं है तथा इसलिए हिन्दुओं मेेंं धर्माभिमान नहीं है; इसलिए विश्व के सर्व धर्मियों में हिन्दुओं की स्थिति अत्यंत दयनीय हो गई है !’

स्वयं कुछ भी न कमाते हुए पैतृक संपत्ति उडाकर भारत को दीवालिया बनानेवाले स्वतंत्रता प्राप्त से अभी तक के सर्वपक्षीय राज्यकर्ता !

‘पूर्वजों की संपत्ति उडाकर व्यक्ति दीवालिया बन जाता है । उसी प्रकार भारत का गोधन, खनिज आदि समाप्त होने पर भारतीय दीवालिया बन जाएंगे । दीवालिया भारत को पुनः व्यवस्थित करने के लिए हिन्दू राष्ट्र की स्थापना करना आवश्यक है !

बुद्धिप्रामाण्यवादियों के जीवनभर के कार्य की फलनिष्पत्ति शून्य रहने का कारण

यदि किसी विषय का अभ्यास उस विषय की पद्धति के अनुसार न कर कोई उसके संदर्भ में निश्चित रूपसे कहता है कि मेरा ही कहना उचित है, तो उसपर कोई गम्भीरता से ध्यान नहीं देता । यही स्थिति है बुद्धिप्रामाण्यवादियों की । अध्यात्म का अभ्यास अर्थात बिना साधना किए वे इस संदर्भ में भाष्य करते … Read more

खरे ‘हिन्दू राष्ट्र’की स्थापनाके लिए एक-दो पीढियां लगनेके कारण !

लडकोंकी शिक्षा अयोग्य रहनेका एकमात्र कारण केवल यह नहीं कि वे अंग्रेजी माध्यमके विद्यालयमें शिक्षा ग्रहण करते हैं । घरमें होनेवाले झगडे तथा दैनिकमें एवं दूरदर्शन (टीवी) प्रणालपर आनेवाले स्वेच्छाचार, भ्रष्टाचार, जात्यन्धता, अपहरण, बलात्कार, हत्या इत्यादि समाचारोंसे भी उनपर अनिष्ट संस्कार होते हैं । भविष्यमें ऐसे समाचारोंका उनपर कुछ परिणाम नहीं होता एवं कुछ कालावधिके … Read more

हिन्दुनिष्ठों, हिन्दुसंगठन हेतु हानिकारी अहंकारकी व्याधि न होने दें !

वर्तमान समयमें विविध सगठनोंके हिन्दुनिष्ठ एकत्रित आकर धर्मरक्षाका कार्य कर रहे हैं । ऐसे समयमें संगठित सभी हिन्दुनिष्ठोंसे ऐसी अपेक्षा है कि वे एक-दूसरेके विचारोंसे निर्णय लें । कभी कभी कुछ लोग कोई उपक्रम आयोजित करनेवाले संगठनके नियोजनमें अपनी इच्छाके अनुसार परिवर्तन करते हैं एवं इस विषयमें उन्हें सूचित करनेपर भी आयोजकोंकी चिन्ता न करते … Read more

संगठनोंके लिए भारतके हिन्दुओंकी चिन्ता करना ही असम्भव प्रतीत होता…

संगठनोंके लिए भारतके हिन्दुओंकी चिन्ता करना ही असम्भव प्रतीत होता है, वहां पाकिस्तान तथा बांग्लादेशके हिन्दुओंकी चिन्ता क्या वे कभी कर सकेंगे ? इसीलिए हिन्दू राष्ट्रकी स्थापना अनिवार्य हो गई है !

स्वतंत्र एव स्वतंत्रता

भारतको स्वतंत्रता प्राप्त हुई, अर्थात निश्चित रूपसे क्या हुआ ? यह ध्यानमें आ रहा है कि केवल उपरी तौरपर परायोंकी सत्ता समाप्त हुई तथा स्वयंकी सत्ता आई, इतनी ही स्वतंत्रता प्राप्त हुई है । स्वम् आत्मानं शास्ति सः स्वतन्त्रः । अर्थात जो अपना, अपनी आशा-आकांक्षा, भाव-भावना, विकार तथा विचार आदिका नियमन करता है, वही स्वतंत्र … Read more

जगतके आदर्श धर्मयुद्धका एकमेव उदाहरण है, महाभारत युद्ध !

महाभारत युद्धके समय कौरव एवं पांडव सूर्योदय से सूर्यास्ततक के कालमें युद्ध करते थे । वे रात्रिकी बेलामें एक दूसरे के पडावमें जाकर निडर हो एक दूसरेसे संपर्क करते थे । ऐसा उदाहरण किसी अन्य देश एवं धर्ममें नहीं दिखाई देगा । इतना ही नहीं, अपितु कोई ऐसी कल्पना भी नहीं कर सकता ।