केश की नैसर्गिकता तथा सौंदर्य की रक्षा किस प्रकार करें ?

केश की सुंदरता बनाए रखने के साथ ही उनपर अनिष्ट शक्तियों के संभावित आक्रमणों को रोकने हेतु केश की ओर विशेष ध्यान देना आवश्यक है । केवल केश के सौंदर्य की देख-रेख करते समय वह रज-तम पद्धति से करने पर केश की नैसर्गिकता नष्ट हो सकती है । केश की नैसर्गिकता को संजोकर, उनका सौंदर्यवर्धन करना, अर्थात केश को सात्त्विक पद्धति से संजोना । हिन्दू संस्कृति में केश को सात्त्विक पद्धति से संजोने के विषय में बताया गया है । केश धोने हेतु शिकाकाई, रीठा, नींबू, आंवला व फलों की सूखी छालों का प्रयोग करने पर केश में विद्यमान रज-तम अल्प होकर केश के सात्त्विक बनने में सहायता मिलती है । केश में सात्त्विकता की मात्रा बढने से उनकी प्रतिकारक्षमता भी बढती है एवं इस कारण केश पर अनिष्ट शक्तियों के आक्रमणों की मात्रा घट जाती है । आइये देखते हैं केशकी नैसर्गिकता तथा सौंदर्य की किस प्रकार करें ।

१. केश में तेल लगाना

अ. केश में नियमितरूप से तेल लगाने के लाभ

१. ज्ञानतंतुओं का बल, इच्छावर्ती स्नायु एवं अवयवों की शक्ति बढती है ।

२. दृष्टि में सुधार होता है, गाल एवं नेत्रों को बल प्राप्त होता है ।

३. मस्तिष्क एवं तंत्रिकाओं के रोग में हितकर है ।

४. सिर के केश बढकर लंबे, काले, कोमल एवं सशक्त बनते हैं ।

५. मुख की कांति बढती है । वहां की सिकुडन नष्ट होती है तथा त्वचारोग एवं मुहासे नहीं होते ।

६. केश असमय श्वेत नहीं होते एवं गंजेपन पर रोक लगती है ।

७. सिर में वेदना नहीं होती ।

८. सिर में फोडे एवं खुजली नहीं होती ।

९. गहरी एवं शांत नींद लगती है ।

आ. केश धोने के उपरांत तुरंत तेल लगाने के लाभ

वर्तमान में स्त्रियां केश धोकर सुखाने के उपरांत केश को तेल लगाती हैं; मात्र पूर्वकाल में स्त्रियां केश धोने के उपरांत तुरंत तेल लगाया करती थीं, इसका क्या कारण है ?

१. केश अधिक समयतक गीले रहने पर अनिष्ट शक्तियों द्वारा पीडा होने की संभावना बढना : नहाने के उपरांत पानी में विद्यमान आपतत्त्व के स्पर्श से केश बाह्य वायुमंडल के स्पंदन ग्रहण करने में अत्यधिक संवेदनशील बनते हैं । इसलिए केश अधिक समयतक गीले रहने से वे बाह्य वायुमंडल के कष्टप्रद स्पंदन शीघ्रता से ग्रहण कर, अनिष्ट शक्तियों की पीडा की बलि चढ सकते हैं ।

२. केश में तेल लगाने के उपरांत अनिष्ट शक्तियों द्वारा पीडा की संभावना अल्प होना : केश में तेल लगाने के उपरांत केशवाहिकाओं से होनेवाले आपतत्त्वात्मक तरंगों के संक्रमण को जडत्व प्राप्त होने से शरीर की तथा केश की बाह्य वायुमंडल के कष्टप्रद स्पंदनों को शीघ्र प्रतिक्रिया देने की क्षमता अल्प हो जाने के कारण अनिष्ट शक्तियों द्वारा पीडा की संभावना अल्प हो जाती है ।

३. केश में तेल मलने से केश के मूल में मारक तत्त्व निर्मित होने में सहायता होना : केश में तेल मलने से तेल के घर्षण से केश की जडों में उष्णता निर्मित होती है । इससे केश में मारक तत्त्व निर्मित होने में सहायता मिलती है । मारक तत्त्व की निर्मितिसे अनिष्ट शक्तियों द्वारा पीडा से केश सुरक्षित रखना संभव होता है । इसलिए पूर्वकाल की स्त्रियां केश धोने के उपरांत केश में तुरंत तेल लगाया करती थीं ।

इ. सिर पर तेल लगाने पर हुई अनुभूतियां

१. सिर पर तेल लगाने से वहां की काली शक्ति बाहर निकलना,  अनिष्ट शक्ति का केश में तेल न लगाने देना एवं सप्ताह अथवा १५ दिनों में एक ही बार तेल लगाने पर भी ब्रह्मरंध्र पर अच्छी संवेदनाएं अनुभव होकर मन स्थिर होना : ‘साधना में आने से पूर्व सिर पर तेल लगाना मुझे अच्छा नहीं लगता था । सिर पर तेल लगाते समय केश की जडों में उंगलियों से मर्दन (मालिश) करने पर वहां की काली शक्ति बाहर निकलती है । मुझे लगता था कि सिर पर तेल न लगाऊं । मुझे कष्ट देनेवाली अनिष्ट शक्ति ही मेरे मन में तेल लगानेसंबंधी नकारात्मक विचार डालकर आनाकानी करता है । साधना में आने के उपरांत मैं थोडासा तेल लगाने लगी । आज भी प्रतिदिन तेल लगाना आवश्यक है यह जानते हुए मैं सप्ताह में अथवा १५ दिनों में एक ही बार तेल लगाती हूं । तेल लगाने पर काली शक्ति बाहर निकलने से सिर प्रथम गरम हो जाता है तथा चैतन्य मिलते ही वह शीतल एवं शांत हो जाता है । ब्रह्मरंध पर अच्छी संवेदनाएं अनुभव होकर अच्छी शक्ति केश में ग्रहण हो रही है, ऐसा प्रतीत होता है । इसलिए मन स्थिर हो जाता है ।’ – कु. गिरिजा, गोवा.

२. केश में नियमित रूप से तेल लगाने से उपनेत्र का (चश्मे का) क्रमांक घट जाना : विगत १५ वर्षों से मैं केश में तेल नहीं लगा रहा था । ‘केश की आवश्यक देखभाल’ ग्रंथ पढने पर प्रतिदिन केश धोकर तेल लगाना प्रारंभ किया । तेल लगाने से पूर्व उसमें विभूति मिलाकर श्रीकृष्ण के चरणों में प्रार्थना करता हूं, ‘केश की जडों में अनिष्ट शक्तियों के जो स्थान हैं, उन्हें नष्ट होने दीजिए ।’ इस प्रकार मैं विगत २ माह से नियमित रूप से तेल लगा रहा हूं । तेल लगाने पर मस्तक शांत रहता है । इसी कालावधि में उपनेत्र का क्रमांक जांचा, तो ध्यान में आया कि क्रमांक ०.५ से घट गया है । जब मेरे माता-पिता को यह ज्ञात हुआ कि मैं नियमित रूप से केश में तेल लगाता हूं, तो उन्होंने भी आश्चर्य व्यक्त किया ।’ – श्री. बळवंत पाठक, नवीन पनवेल, रायगड. (फरवरी २०११)

२. केश निरोग रखने के लिए आवश्यक आहार

केश निरोग रखने के लिए आहार में मोटे अनाज और पत्तेवाली तरकारी (मुख्य रूप से प्याज के पत्तों)का उपयोग करें । अन्नपदार्थ पकाने के लिए तिल या नारियल के तेलका उपयोग करें । इसी प्रकार आंवला, लिसोडा, आम, नारियल, चिरौंजी, ये फल खाने चाहिए । अतिरिक्त लवण (नमक)का सेवन केश के लिए अहितकर होने से इसका न्यूनतम प्रयोग करना चाहिए ।

३. केश आरोग्यसंपन्न रखने के लिए व्यायाम

अ. सिर को तेल मर्दन (मालिश)

उंगलियों के अग्रभाग से अथवा हथेलियों से सिर को दबाते हुए मर्दन करते समय तेल अथवा तत्सम घटकों में विभूति मिलाएं । साथ ही ईश्वर से प्रार्थना करें, ‘केश के मूल में विद्यमान अनिष्ट शक्तियों के स्थान नष्ट हों’ । इससे केश के मूल में विद्यमान काली शक्तियों के स्थान नष्ट होने में सहायता मिलती है और त्वचा उत्तेजित होकर उस स्थान पर रक्त प्रवाह बढ जाता है ।

त्वचा की स्थितिनुसार / गुणवत्ता के अनुसार तेल मर्दन में प्रयुक्त घटक

सिर की त्वचा की स्थिति / गुणवत्ता मर्दन करने हेतु उपयोगी घटक
१. रुक्ष एवं शुष्क तिल का तेल
२. ताम्र छटायुक्त (पतली) दूध की मलाई
३. तैलीय त्रिफला चूर्ण

आ. व्यायाम एवं आसन करना

व्यायाम से पाचनशक्ति सुधरती है, रोग प्रतिकारकशक्ति बढती है एवं त्वचा कांतिमान बनती है । नियमित व्यायाम से केश आरोग्यसंपन्न रहते हैं तथा मन की स्थिति सुधरकर एकाग्रता बढती है । प्राणायाम भी करें । शीर्षासन से सिर की ओर रक्त प्रवाह बढता है । शवासन से मानसिक तनाव घटता है एवं तनाव से उत्पन्न केश की समस्याएं दूर हो सकती हैं ।

संदर्भ : सनातन का ग्रंथ, ‘केशकी आवश्यक देखभाल