१. केश धोने के लिए प्रयुक्त घटकों के प्रकार
अ. कृत्रिम घटक
केश धोने के लिए वर्तमान में अनेक प्रकार के (कृत्रिम) रासायनिक साबुन और केशमार्जक (शैंपू) मिलते हैं । केश की समस्याओं के अनुरूप
भी विविध केशमार्जक उपलब्ध हैं । ऐसे साबुन से केश धोने पर वे बाह्यतः कौशेय (रेशमी), कोमल और चमकदार तो दिखाई देते हैं; परंतु उनमें प्रयुक्त रासायनिक घटकों के कारण केश की अनेक समस्याएं भी उत्पन्न होती हैं ।
आ. नैसर्गिक घटक
सैकडों वर्षों से स्त्रियां केश धोने के लिए शिकाकाई और रीठे का उपयोग करती आ रही हैं । शिकाकाई की सूखी फली का चूर्ण, आंवले का
चूर्ण, नारंगी अथवा नींबू के सूखे छिलकों के चूर्ण सममात्रा में लेकर मिश्रण बनाएं तथा उस मिश्रण को रात में पानी में भिगोकर रखें । दूसरे दिन सवेरे यह पानी सिर के केश में मलें । आधे घंटे पश्चात रीठे के पानी से केश धोएं । केश शुष्क हों, तो रात को केश में तेल लगाएं तथा दूसरे दिन शिकाकाई और रीठे के पानी से केश धोएं । यह संभव न हो, तो आयुर्वेदिक साबुन से केश धोएं ।
केश स्वच्छ करने के लिए नैसर्गिक गुणधर्मवाले घटकों का प्रयोग करें । इससे केश की हानि नहीं होती और उनकी अच्छी देखभाल होती है ।
शिकाकाई का महत्त्व : केशमार्जक से (शैंपू से) केश धोने पर मुझे सिर में भारीपन तथा रूखापन लगता है । शिकाकाई से केश धोने पर सिर में अच्छी शक्ति ग्रहण होकर मुझे शांत लगता है ।
समुद्री नमक घुले पानी से केश धोने पर केश में विद्यमान काली शक्ति शीघ्र नष्ट होना : स्नान के समय प्रथम पानी में चम्मचभर समुद्री नमक मिलाकर वह पानी सिर पर डालने से केश में विद्यमान काली शक्ति वेगपूर्वक बाहर निकलती और सिर हलका लगता है । साधारण पानी से केश धोने पर काली शक्ति न्यून होकर अल्प मात्रा में हलका लगता है।
२. रासायनिक केशमार्जक तथा आयुर्वेदिक केशमार्जकसे केश धोना
रासायनिक केशमार्जक | आयुर्वेदिक केशमार्जक | |
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१. केश पर परिणाम
अ. कडे / कोमल आ. झडने की मात्रा |
कडापन आना अधिक |
कोमल होना अल्प |
२. व्यक्ति पर परिणाम
अ. कष्टप्रद / अच्छी आ. मुख पर अस्तित्व इ. प्रकटीकरण |
काली शक्ति के आवरण में वृद्धि से सिर के सर्व ओर जडता एवं उष्णता अनुभव होना मांत्रिक का बढने का अनुभव होना |
सिर में अच्छी संवेदनाएं एवं शीतलता अनुभव होना स्वयं का अल्प होकर अपने अस्तित्व का अनुभव होना |
३. सूक्ष्म-स्तरीय परिणाम | ||
अ. गंध एवं उसका परिणाम | कृत्रिमता के कारण मायावी गंध उत्पन्न होना तथा जीव की ओर वातावरण की काली शक्ति की तरंगें खींची जाना | ईश्वर-निर्मित नैसर्गिक घटकों द्वारा बनने के कारण दैवी-गंध होना तथा वातावरण की सत्त्व तरंगें खींची जाना |
आ. काली शक्ति का आवरण / कवच | अ. रासायनिक द्रव्यों में तम गुण होने से अपने सर्व ओर काली शक्ति के आवरण में वृद्धि होना | नैसर्गिक घटकों द्वारा बनने के कारण सत्त्वगुणयुक्त होने से आध्यात्मिक उपाय होना |
आ. सिर के सर्व ओर काली शक्ति का आवरण निर्मित होना |
काली शक्ति का आवरण भेदना एवं सिर के सर्व ओर श्वेत वलय दिखाई देना | |
इ. सतत काली शक्ति ग्रहण होने के कारण सिर के सर्व ओर आया काली शक्ति का आवरण अधिक बलशाली होना | सिर के सर्व ओर विद्यमान श्वेत वलय के कारण बाहर से आनेवाली काली शक्ति का आक्रमण निरस्त होना |
२. रासायनिक केशमार्जकसे (शैंपूसे) केश धोना और नैसर्गिक लेप लगाकर केश धोना
रासायनिक केशमार्जक से (शैंपूसे) केश धोना | प्राकृतिक लेप लगाकर केश धोना | |
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१. घटक | रासायनिक | दैवी तत्त्वों से युक्त वनौषधियों के पत्ते |
२. प्रधान गुण | तम | सत्त्व |
३. गुण का परिणाम | ||
अ. | टिप्पणी १ | वनस्पतियों तथा वातावरण में विद्यमान दैवी तत्त्व आकर्षित होना एवं उससे जीव के सर्व ओर सुरक्षा-कवच बनना |
आ. | तमतरंगों के कारण सिर पर निरंतर आघात होते रहने से आनेवाले विचार अनिष्ट शक्तियों के ही होना एवं सिर पर निरंतर काली शक्ति का आवरण होना | ईश्वरीय तत्त्व ग्रहण होते रहने से मन एवं बुद्धि पर आया आवरण घटकर ईश्वरीय विचार ग्रहण होना एवं अपने मन एवं बुद्धि के अनुसार कार्य करना |
४. केश पर परिणाम | ||
अ. निस्तेज / आनंदी | केश निस्तेज होकर वे नीचे अचेत अवस्था में पडे हुए दिखाई देना एवं उनपर काली शक्ति का प्रवाह अनुभव होना | जडों के स्थान पर केश आनंद से हिलते हुए दिखाई देना एवं उनमें सजीवता अनुभव होना |
आ. केश पर सूक्ष्मस्तरीय परिणाम | टिप्पणी २ | टिप्पणी ३ |
इ. केश धोने पर केश से आनेवाले स्पंदन | कष्टप्रद | अच्छी |
५. शारीरिक परिणाम | ||
अ. मुख पर परिणाम | टिप्पणी ४ | |
आ. कांति | काली शक्ति के आवरण के कारण निस्तेज दिखना | |
इ. सूक्ष्म-स्तरीय परिणाम | ||
१. | सिर के सर्व ओर विद्यमान काली शक्ति के घने आवरण के कारण सिर के सर्व ओर तथा अपने सर्व ओर उष्णता का अनुभव होना |
लेप के कारण ईश्वरीय चैतन्य का आदान-प्रदान होते रहने से, तथा अपने सर्व ओर ईश्वरीय चैतन्य होने से शीतलता अनुभव होना |
२. | कान एवं सिर भारी होना | कुछ भी शारीरिक कष्ट न होना |
३. | शरीर के सर्व ओर एक प्रकर का जडत्व होना एवं थकावट का अनुभव होना |
शरीर के सर्व ओर आया काली शक्ति का आवरण अल्प होने से हल्कापन अनुभव होना एवं प्राणशक्ति उतनी ही रहना |
६. मन
अ. वृत्ति आ. उदास लगना/आनंद का अनुभव होना |
बहिर्मुख होना उदास, दुःख लगना एवं मन अशांत होना |
अंतर्मुख होना मन हल्का एवं अच्छा लगना तथा आनंद अनुभव होना |
७. नामजप | बंद होना | प्रारंभ होना |
८. आध्यात्मिक परिणाम | ||
अ.
|
सिरपर काली शक्ति का पारदर्शक आवरण निर्मित होना | केश की काली शक्ति नष्ट होना तथा सिर पर आए काली शक्ति के घने आवरण का भेदन होना |
आ.
|
पारदर्शक काली शक्ति का आवरण निर्मित होने से प्रकटीकरण में वृद्धि होना |
सिर से संपूर्ण शरीर के सर्व ओरका आवरण नष्ट होना तथा सिर के सर्व ओर अच्छी तरंगों की निर्मिति होकर एक प्रकार का सुरक्षा-कवच निर्मित होना |
इ. |
केश द्वारा काली शक्ति की तरंगें वातावरण में प्रसारित होना | वनस्पतियों के दैवी तत्त्व से प्रकाशमय किरण वातावरण में प्रसारित होना |
९. जीव पर परिणाम | जीव अनिष्ट शक्तियों के बंधन में होने से उसके विचारानुसार कृत्य होना |
जीव ईश्वरीय बंधन में होने से योग्य विचार ग्रहण होकर वैसा कृत्य होना |
१०. अनिष्ट शक्ति पर परिणाम | टिप्पणी ५ | सिर पर लगे लेप के फलस्वरूप जीव की देह के सर्व ओर श्वेत प्रकाश दिखना, उसके प्रक्षेपण से काली शक्ति न्यून होकर अनिष्ट शक्ति के लिए कुछ भी करना संभव न होने से वह भीतर छुपा रहना |
टिप्पणी १ – रासायनिक केशमार्जक तमप्रधान होनेसे जीव में विद्यमान अनिष्ट शक्ति को काली शक्ति मिलने में सहायता मिलती है । इसी प्रकार वातावरण की काली तरंगें केश में आकर्षित होने से उनका जीव पर सतत आघात होता रहता है । इस कारण जीव के सर्व ओर का काली शक्ति का आवरण और घना बनता है ।
टिप्पणी २ – प्रत्येक केश के सर्व ओर तथा उसके मूल में काली शक्ति के कोष की निर्मिति होती है । इस कारण केश की जडों को वायुतत्त्व का स्पर्श भी नहीं हो पाता । केश बढने के संदर्भ में आगे की प्रक्रिया अवरुद्ध हो जाती है । केश मृतसमान प्राणहीन होकर झडने लगते हैं ।
टिप्पणी ३ – केश के सर्व ओर की दुर्गंधयुक्त वायु नष्ट होती है । इस कारण वहां की काली शक्ति नष्ट होकर केश की जडों में पोषकता तथा अनुकूलता निर्मित होकर सहजता से उनकी वृद्धि होती है ।
टिप्पणी ४ – मुख पर मायावी सौंदर्य आता है । अनिष्ट शक्ति के मोहिनी रूप धारण करने के कारण मुख (चेहरा) सुंदर दिखाई देता है तथा अनिष्ट शक्ति का मोहिनी रूप थोडा समय टिकता भी है । इसके पश्चात आश्रम के चैतन्य के परिणाम के कारण युद्ध होकर प्रकटीकरण बढने से अनिष्ट शक्ति का अस्तित्व मुख पर व्यक्त होता है, जिससे मुख कष्टप्रद दिखाई देता है ।
टिप्पणी ५ – इसके घटक अनिष्ट शक्तियों के लिए पूरक होने से उनसे उन्हें काली शक्ति मिलती है तथा मायावी गंध के कारण स्प्रिंग समान काले वलयों की निर्मिति होकर उनका आवरण जीव के सर्व ओर बुने जाने से जीव को बंधन में रखने का आनंद अनिष्ट शक्ति को मिलता है ।
३. ‘शिकाकाई’ (पूर्णतः आयुर्वेदिक केशरक्षक चूर्ण) से केश धोना
अ. ‘शिकाकाई’ की विशेषताएं
यह चूर्ण रसायनरहित है तथा इसमें शिकाकाई, रीठा, आंवला, नींबू-संत्रों के छिलकों का चूर्ण, मेहंदी एवं माका, इन वनौषधियों का प्रयोग किया गया है । वनौषधियों में दैवी तत्त्व अधिक होता है । इस आयुर्वेदिक केशरक्षक चूर्ण से केश का पोषण भी होता है ।
आ. ‘शिकाकाई’ की उपयुक्तता
१. यह लगाने से केश स्वच्छ, कोमल तथा चमकदार होने में सहायता मिलती है ।
२. केश झडने की समस्या में उपयुक्त है ।
३. केश में रूसी होने की समस्या पर प्रभावी है ।
४. सिर में छाजन अथवा खुजली की समस्या पर उपयोगी है ।
४. हाटके केशमार्जक तथा ‘सनातन शिकाकाई’ (केशरक्षक चूर्ण) की सूक्ष्म-स्तरीय विशेषताएं
सारणीमें दिए सर्व आंकडे प्रतिशतमें हैं ।
हाट का (बाजार का) केशमार्जक (शैंपू) | शिकाकाई केशरक्षक (चूर्ण) | |
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१. शक्ति (तारक) | ०.५ | १.२५ |
२. चैतन्य | – | १ |
३. अनिष्ट शक्ति
अ. काली शक्ति आ. मायावी शक्ति |
२ ३ |
– – |
४. स्पंदनों का कारण | अप्राकृतिक रासायनिक घटकोंके कारण उसमें काली शक्ति एवं मायावी शक्ति होना | शिकाकाई, आंवला, मेहंदी, रीठा, तथा नीबू-संतरेके छिलके, इन प्राकृतिक घटकोंके कारण उसमें तारक शक्ति एवं चैतन्य होना |
५. व्यक्ति पर परिणाम | ||
अ. शारीरिक | ||
१. केश की जडों पर परिणाम | रासायनिक घटकों के कारण केश की जडों को आवश्यक घटक प्राप्त न होने से वे दुर्बल होना, केश असमय श्वेत होना, अमय झडना, उनमें रूसी होना इत्यादि |
प्राकृतिक घटकों में पोषणमूल्य होने के कारण केश को आवश्यक तत्त्व प्राप्त होने से केश की जडें सुदृढ होना |
२. केश का विकास | कुंठित होना | शीघ्र होना |
आ. मानसिक | मायावी सुगंध से मन को मायावी आनंद प्राप्त होना | प्राकृतिक सुगंध से मन आनंदी एवं उत्साही रहना |
इ. आध्यात्मिक | मायावी सुगंध से निर्मित आकर्षण शक्ति के कारण वातावरण की काली शक्ति आकृष्ट होना एवं सिर भारी होना | प्राकृतिक घटकों के कारण केश पर आक्रमण करनेवाली अनिष्ट शक्तियां दूर होना, केश में शक्ति की तरंगें कार्यरत होकर केश के सर्व ओर सुरक्षा-कवच निर्मित होना |
निष्कर्ष : हाट में मिलनेवाले केशमार्जक की मायावी आकर्षण शक्ति के कारण हमें ऐसा लगता है कि, हमारे केश स्वच्छ हो गए हैं । वास्तव में उस महंगे केशमार्जक के कारण शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक स्तर पर हानि होती है । इसके विपरीत अल्प मूल्य में उपलब्ध ‘शिकाकाई’ केश में लगाने पर उन तीनों स्तरों पर लाभ होता है ।
५. शिकाकाई से केश धोने पर हुई अनुभूति
‘बचपन से मेरे केश में अत्यधिक रूसी होती थी । ‘ऐलोपैथी’के औषधि- उपचार करने पर भी रूसी नहीं गई । शिकाकाई से नियमित २ माह केश धोने पर रूसी पूर्णतः समाप्त हो गई ।’ – कु. संध्या माळी, चालीसगांव, जलगांव.
संदर्भ : सनातन का ग्रंथ, ‘केशकी आवश्यक देखभाल’