हिन्दू राष्ट्र में क्षमता के अनुसार नौकरियां देने से प्रशासन सक्षम रहेगा

‘हिन्दू राष्ट्र’ में जाति, धर्म इत्यादि के अनुसार आरक्षण नहीं रहेगा, अपितु क्षमता के अनुसार ही नौकरियां देने से प्रशासन सक्षम रहेगा । इसलिए जनता के सभी प्रश्‍न अनेक वर्षों तक प्रलंबित न रख कर तत्काल उनका समाधान निकाला जाएगा ।

बुद्धिप्रामाण्यवादी आैर साधक

बुद्धिप्रामाण्यवादी अर्थात प्राणियों समान स्वेच्छा से आचरण करनेवाले तथा साधक अर्थात परेच्छा एवं ईश्‍वरेच्छा से आचरण करनेवाले !

भक्तियोग में होनेवाली समष्टि साधना !

अत्यधिक लोगों को ऐसा प्रतीत होता है कि, भक्तियोग में केवल व्यष्टि साधना होती है । परंतु प्रत्यक्ष में वैसा नहीं है, अपितु भक्त की ओर अन्य लोग आकर्षित होते हैं एवं उनके मार्गदर्शनानुसार साधना करने लगते हैं । इसलिए उनकी समष्टि साधना भी होती है ।

जिस प्रकार कुछ लोग अंधों का अनुकरण करते हैं, उसी…

जिस प्रकार कुछ लोग अंधों का अनुकरण करते हैं, उसी प्रकार कुछ हिन्दू बुद्धिप्रामाण्यावादियों का अनुकरण करते हैं; इसलिए अंधे के खाई में गिरने पर उसका अनुकरण करनेवाले भी उसी खाई में गिर जाते हैं । उसी प्रकार ऐसे हिन्दू बुद्धिप्रामाण्यादियों के साथ अधोगति की ओर जा रहे हैं !’

हिन्दुत्ववादियों की दयनीय सद्यस्थिति !

यदि गायों की हत्या हुई, तो गंगा प्रदूषण रोकने हेतु कार्यरत लोगों पर उस का कोई परिणाम नहीं होता एवं गंगा प्रदूषण रोकने हेतु कार्यरत लोगोंपर पुलिस ने लाठीहल्ला किया, तो गोरक्षकों पर उसका कोई परिणाम नहीं होता ! प्रत्येक को ‘हिन्दुओं के सभी प्रश्‍न मेरे ही हैं, ऐसा प्रतीत होगा, उसी समय ‘हिन्दू राष्ट्र’ … Read more

‘किसी जाति का अथवा पंथ का कार्य करनेवालों का, अर्थात्…

‘किसी जाति का अथवा पंथ का कार्य करनेवालों का, अर्थात् जात्यंधों तथा पंथांधों का कार्य तात्कालिक स्वरूप में रहता है । मानवजाति हेतु धर्म द्वारा किया गया कार्य स्थल तथा काल की सीमा पार करता है ।’

‘पाश्चात्त्य संस्कृति स्वेच्छा को प्रोत्साहन देनेवाली व्यक्तिस्वतंत्रता का पुरस्कार करती…

‘पाश्चात्त्य संस्कृति स्वेच्छा को प्रोत्साहन देनेवाली व्यक्तिस्वतंत्रता का पुरस्कार करती है तथा दुःख को निमंत्रण देती है, तो हिन्दू संस्कृति ‘स्वेच्छा नष्ट कर सत्-चित्-आनंदावस्था की प्राप्ति कैसे करना’, इस बात का ज्ञान देती है ।’

‘कहां अल्प भौतिक सुख के लिए ईसाई धर्मपरिवर्तन करनेवाले हिन्दू,…

‘कहां अल्प भौतिक सुख के लिए ईसाई धर्मपरिवर्तन करनेवाले हिन्दू, तो कहां धर्म हेतु प्राण अर्पण कर इतिहास में अजरामर होनेवाले छत्रपति शिवाजी महाराज !’

यदि हिन्दुओं को धर्म सिखाया, तभी अन्यधर्मियों समान उनके मत एकगुट होंगे !

‘मुसलमान एवं ईसाई उनका हित देखनेवालों को मतप्रदान करते हैं, जब कि बुद्धिप्रामाण्यवाद, समाजवाद, साम्यवाद इत्यादि विविध मानसिकता के अनुसार मत देते हैं । इसलिए उनके मत विभाजित होते हैं तथा भारत में उनका कोई मूल्य नहीं रह जाता ! हिन्दुओं को धर्म सिखाया तभी उनके मत अन्य धर्मियों समान एकगुट होंगे ।-’

घरवापसी का अर्थ है अन्य धर्म स्वीकारनेवालों को पुनः हिन्दू धर्म में लाने के संदर्भ में वस्तुस्थिति !

१. ‘धर्मांतरण चुपचाप करते हैं, जबकि घरवापसी का कार्यक्रम उजागरी से होता है । २. एक समय में अनेक लोगों का धर्मपरिवर्तन किया जाता है, जबकि घरवापसी कुछ लोग ही करते हैं । ३. कुछ लोगों की घरवापसी हुई, तब भी मुसलमान तथा ईसाई इस संदर्भ में पूरे विश्व से विरोध करते हैं । ‘भारत … Read more