व्यष्टि एवं समष्टि प्रारब्ध, देन-लेन हिसाब, कालावधि आदि मूलभूत कारणों को ध्यान में लेकर उसपर उपाय केवल अध्यात्मशास्त्र ही बता सकता है

किसी भी घटना का मूल कारण ढूंढे बिना उस पर आधुनिक वैद्य, न्यायाधीश, सरकार आदि सभी केवल उपरि तौर पर उपाय करते हैं । इसके विपरीत व्यष्टि एवं समष्टि प्रारब्ध, देन-लेन हिसाब, कालावधि आदि मूलभूत कारणों को ध्यान में लेकर उसपर उपाय केवल अध्यात्मशास्त्र ही बता सकता है !

राष्ट्र-धर्म के संबंध में कुछ एक कर्तव्य न होनेवालों में बहुसंख्य पत्रकारों का भी अंतर्भाव होता है !

राष्ट्र-धर्म के संबंध में कुछ एक कर्तव्य न होनेवालों में बहुसंख्य पत्रकारों का भी अंतर्भाव होता है !

बंदर क्या जाने अद्रक का स्वाद ? इस कहावत को हिन्दू धर्म के संदर्भ में वास्तविक बनानेवाले स्वतंत्रता से लेकर अबतक के सर्वदलीय राज्यकर्ता एवं बुद्धीजीवी (धर्मद्रोही) !

शिक्षा में व्याप्त भूगोल, गणित, विज्ञान, वनस्पतिशास्त्र, प्राणीशास्त्र, व्याकरण इत्यादि सभी विषय, साथ ही स्वास्थ्य, संगीत, भाषा, स्थापत्यशास्त्र, खगोलशास्त्र, ज्योतिषशास्त्र, राज्यशास्त्र, अध्यात्मशास्त्र इत्यादि सभी क्षेत्रों में निहित विस्मयचकित करनेवाला ज्ञान हिन्दू धर्म में बताया गया है; परंतु उसे स्वतंत्रता से लेकर अबतक के शैक्षणिक पाठ्यक्रम में अंतर्निहित कर उसे न सीखाकर छात्रों को एवं जनता … Read more

व्यक्तिस्वतंत्रता का उद्घोष करनेवालों के यह क्यों समझ में नहीं आता कि . . .

व्यक्तिस्वतंत्रता का उद्घोष करनेवालों के यह क्यों समझ में नहीं आता कि, जीवन में निहित अधिकांश भाग प्रारब्ध पर निर्भर होता है ?

सत्ययुग में नियतकालिक, दूरचित्रवाहिनियां, संकेतस्थळ इत्यादि की आवश्यकता ही नहीं थी; क्योंकि . . .

सत्ययुग में नियतकालिक, दूरचित्रवाहिनियां, संकेतस्थळ इत्यादि की आवश्यकता ही नहीं थी; क्योंकि उस समय अनिष्ट वार्ताएं ही नहीं थी तथा सभी लोग निरंतर ईश्‍वर के अनुसंधान में होने से आनंदित थे ।

पंचज्ञानेंद्रिय, मन एवं बुद्धि के परे ज्ञान देनेवाला कुछ तो है, यह ज्ञात न होने से विज्ञानवादियों द्वारा किया गया अनुसंधान बचपने जैसा होता है ।

पंचज्ञानेंद्रिय, मन एवं बुद्धि के परे ज्ञान देनेवाला कुछ तो है, यह ज्ञात न होने से विज्ञानवादियों द्वारा किया गया अनुसंधान बचपने जैसा होता है ।

जहां हिन्दुआें ने अनेक वर्षोंतक वामपंथियों को चुना, उस बंगाल एवं केरल में हिन्दुआें की स्थिति अब अत्यंत दयनीय हो चुकी है । अब तो हिन्दू सतर्क हों, अन्यथा उनका अस्तित्व ही मिट जाएगा ।

जहां हिन्दुआें ने अनेक वर्षोंतक वामपंथियों को चुना, उस बंगाल एवं केरल में हिन्दुआें की स्थिति अब अत्यंत दयनीय हो चुकी है । अब तो हिन्दू सतर्क हों, अन्यथा उनका अस्तित्व ही मिट जाएगा ।

हिन्दुत्व को भूलकर अनेक वर्षोंतक वामपंथियों को चुननेवाले बंगाल एवं केरल में हिन्दुआेंपर अत्याचार हो रहे हैं । इसमें आश्‍चर्य ही क्या है ?

हिन्दुत्व को भूलकर अनेक वर्षोंतक वामपंथियों को चुननेवाले बंगाल एवं केरल में हिन्दुआेंपर अत्याचार हो रहे हैं । इसमें आश्‍चर्य ही क्या है ?

हिन्दू राष्ट्र में कर्मचारी, अधिकारी, साथ ही पुलिसकर्मी भी साधक होंगे

हिन्दू राष्ट्र में कर्मचारी, अधिकारी, साथ ही पुलिसकर्मी भी साधक होंगे । अतः उनका आचरण आदर्श होगा और जनता को उनका आधार प्रतीत होगा ।

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