हिन्दुओं के पूर्व की पीढियों द्वारा धर्मसंपत्ति का विनाश !
एक अरबपति के लडके ने उसकी पूरी संपत्ति गंवा दी हो, उसी प्रकार हिन्दुओं के पूर्व की पीढियों ने पूरी धर्मसंपत्ति का विनाश कीया है !
एक अरबपति के लडके ने उसकी पूरी संपत्ति गंवा दी हो, उसी प्रकार हिन्दुओं के पूर्व की पीढियों ने पूरी धर्मसंपत्ति का विनाश कीया है !
हिन्दू धर्म का जितना भी अभ्यास किया, उतनी मात्रा में भगवान द्वारा ऐसे परिपूर्ण हिन्दू धर्म में जन्म देने के कारण कृतज्ञता बढती गई ।
श्रीराम एवं श्रीकृष्ण ने सनातन धर्म राज्य स्थापित किया । वह अवतारी कार्य था । अब ‘हिन्दू राष्ट्र’ की (सनातन धर्म राज्य की) स्थापना होगी । वह कालमहिमा के अनुसार होगी । अत: किसी के लिए उसका श्रेय लेना असंभव होगा ।
अपने बच्चे का आगे क्या होगा ?, ऐसी चिंता उसके मां-बाप को होती है । इसके विपरीत राष्ट्र के सभी अपने बच्चे ही हैं, ऐसे व्यापक भाव के कारण संत सदैव आनंदी होते हैं ।
डॉक्टर केवल अस्वस्थता को न्यून करते हैं; परंतु मृत्यु को नहीं टाल सकते । इसके विपरीत संत जन्म-मृत्यु के फेरे से मुक्त करते हैं !
विश्व में केवल एक ही ऐसा संबंध है, जिसमें कलह नहीं होता, वह है गुरु-शिष्य संबंध !
यहां दिए गए खगोलशास्त्र के एक उदाहरण से यह सूत्र ध्यान में आएगा । आकाश के ग्रहों के विषय में विज्ञान जो शोध करता है, वह केवल भौतिक दृष्टि से है । इसके विपरीत हिन्दू धर्म विज्ञान ग्रहों की भौतिक जानकारी के साथ ग्रहों का परिणाम क्या होता है ? कब होता है ? तथा … Read more
अपनी इच्छा से जो करता है, वह उचित अथवा अनुचित हमें समझ में नहीं आता । इसलिए स्वेच्छा नहीं, अपितु साधना में आगे बढे लोगों के मार्गदर्शनानुसार अर्थात परेच्छा से सब कुछ करना चाहिए । इसमें से आगे ‘ईश्वरेच्छा क्या है, यह समझ में आता है एवं प्रत्येक कदम ईश्वरप्राप्ति की ओर आगे बढता है … Read more
साधना करनेवाले लोग ऐसी इच्छा रखते हैं कि, अगला जन्म नहीं होना चाहिए जबकि राष्ट्र एवं धर्मप्रेमी पुनर्जन्मप्राप्ति की कामना करते हैं । यदि इसे स्वेच्छा कहें, तो अगला जन्म न हो ऐसी कामना भी स्वेच्छा ही सिद्ध होती है !
उपयोग करें एवं फेंक दें (use and throw) पाश्चात्त्यों की ऐसी जो आधुनिक संस्कृति है, उसे अब अनेक युवकों ने भी आत्मसात कर लिया है । इसलिए जिन मां-बाप ने जन्म दिया, जन्म से लेकर स्वावलंबी होने तक सभी प्रकार से चिंता की, उदा. बीमारी में सभी सेवा की, शिक्षा दी, उनके विषय में कृतज्ञ … Read more