कहां बालवाडी समान रहनेवाला एवं संशोधन करनेवाला पाश्‍चात्त्यों का विज्ञान, तो कहां लाखों वर्ष पूर्व का परिपूर्णता प्राप्त हिन्दू धर्म का विज्ञान !

यहां दिए गए खगोलशास्त्र के एक उदाहरण से यह सूत्र ध्यान में आएगा । आकाश के ग्रहों के विषय में विज्ञान जो शोध करता है, वह केवल भौतिक दृष्टि से है । इसके विपरीत हिन्दू धर्म विज्ञान ग्रहों की भौतिक जानकारी के साथ ग्रहों का परिणाम क्या होता है ? कब होता है ? तथा यदि दुष्परिणाम होता है, तो उस पर उपाय क्या है ?’, ऐसा सर्व बताता है । आधुनिक विज्ञान की सभी शाखाओं के संदर्भ में ऐसा ही है ।

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