मोक्षप्राप्ति की चाह होना एवं धर्मकार्य करने हेतु पुनर्जन्म मिलने की इच्छा होना !

साधना करनेवाले लोग ऐसी इच्छा रखते हैं कि, अगला जन्म नहीं होना चाहिए जबकि राष्ट्र एवं धर्मप्रेमी पुनर्जन्मप्राप्ति की कामना करते हैं । यदि इसे स्वेच्छा कहें, तो अगला जन्म न हो ऐसी कामना भी स्वेच्छा ही सिद्ध होती है !

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