राष्ट्र-धर्म के संबंध में कुछ एक कर्तव्य न होनेवालों में बहुसंख्य पत्रकारों का भी अंतर्भाव होता है !

राष्ट्र-धर्म के संबंध में कुछ एक कर्तव्य न होनेवालों में बहुसंख्य पत्रकारों का भी अंतर्भाव होता है !

बंदर क्या जाने अद्रक का स्वाद ? इस कहावत को हिन्दू धर्म के संदर्भ में वास्तविक बनानेवाले स्वतंत्रता से लेकर अबतक के सर्वदलीय राज्यकर्ता एवं बुद्धीजीवी (धर्मद्रोही) !

शिक्षा में व्याप्त भूगोल, गणित, विज्ञान, वनस्पतिशास्त्र, प्राणीशास्त्र, व्याकरण इत्यादि सभी विषय, साथ ही स्वास्थ्य, संगीत, भाषा, स्थापत्यशास्त्र, खगोलशास्त्र, ज्योतिषशास्त्र, राज्यशास्त्र, अध्यात्मशास्त्र इत्यादि सभी क्षेत्रों में निहित विस्मयचकित करनेवाला ज्ञान हिन्दू धर्म में बताया गया है; परंतु उसे स्वतंत्रता से लेकर अबतक के शैक्षणिक पाठ्यक्रम में अंतर्निहित कर उसे न सीखाकर छात्रों को एवं जनता … Read more

हिन्दुआें को अधोगति की ओर ले जानेवाला सर्वधर्मसमभाव !

हिन्दुआें को छोडकर अन्य धर्म का एक भी व्यक्ति सर्वधर्मसमभाव को नहीं मानता । सर्वधर्मसमभाव का पुरस्कार करनेवाले हिन्दुआें की स्थिति दयनीय हो गई है और वैसा न कहनेवाले सभी की स्थिति हिन्दुआें की तुलना में बहुत अच्छी है ।

पंथ एवं संप्रदाय की सीख के परे धर्माधिष्ठित एवं सभी के लिए उपयुक्त गुरुकृपायोग !

पंथ एवं संप्रदाय की सीख उसके अनुयायियोंतक ही सीमित होती है । सभी को वह अपनी नहीं प्रतीत होती । इसके विपरीत धर्म तो केवल एक है तथा वह सभी के लिए है । गुरुकृपायोग तो धर्म में ही अंतर्निहित है; क्योंकि उसमें बताई गई अष्टांग साधना सभी के लिए उपयक्त है । अष्टांग साधना … Read more

हिन्दू धर्म की शिक्षा देने के लिए किए जा रहे विरोध को प्रखरता के साथ विरोध कर उनके प्रयासों को तोड डालिए !

मुसलमान एवं ईसाईयों के विद्यालयों में उनके धर्म की शिक्षा दी जाती है; किंतु इसके विपरीत हिन्दू बुद्धीजीवि एवं सर्वधर्मसमभाववाले विद्यालयों में हिन्दू धर्म की शिक्षा देने का विरोध करते हैं । उसके कारण हिन्दुआें की स्थिति केवल भारत में ही नहीं, अपितु विश्‍व में दयनीय हो चुकी है । इसका एकमात्र समाधान यह है … Read more

विद्यालयीन शिक्षा में हिन्दू धर्म की शिक्षा न देने के कारण हिन्दुओं की हुई दुःस्थति !

यदि विद्यालय के पाठ्यक्रम में हिन्दू धर्म में बताया गया ज्ञान, विज्ञान तथा अच्छे संस्कार करनेवाली बातें अंतर्भूत की जाती, तो विद्यार्थियों के ध्यान में हिन्दू धर्म की महानता आकर राष्ट्र एवं धर्म के प्रति उन्हें अभिमान लगता । इसके अभाव में विद्यार्थियों के मन में एवं वे बडे होने पर भी उनके मन में … Read more

राष्ट्र-धर्म के संदर्भ में कुछ न करनेवाले पत्रकार

राष्ट्र-धर्म के संदर्भ में कुछ करने हेतु अन्यों को सीखानेवाले; किंतु स्वयं कुछ न करनेवाले पत्रकारों का औरों को नसीहत, अपनों की फजीहतवाले समूह में अंतर्भाव होता है ।

हिन्दुआें, जब तक विद्यमान मंदिरों की रक्षा करने का सामर्थ्य उत्त्पन्न नहीं होता, तब तक नए मंदिरों का निर्माण न करे ।

हिन्दुआें, जब तक विद्यमान मंदिरों की रक्षा करने का सामर्थ्य उत्त्पन्न नहीं होता, तब तक नए मंदिरों का निर्माण न करे ।

कहां आधुनिक लेखकों द्वारा किया गया लेखन, तो कहां संतों ने किया हुआ लेखन !

संत जनाबाई, संत नामदेव महाराज, संत निवृत्तिनाथ महाराज, संत ज्ञानदेवजी, संत सोपानकाका महाराज, संत मुक्ताबाई, संत एकनाथ महाराज, संत गोरा कुम्हार, संत चोखामेळा, समर्थ रामदास स्वामी, संत तुकाराम महाराज इत्यादि संत अनेक सदियां बीत जानेपर भी लोगों के स्मरण में हैं; परंतु आज के जो साहित्यकार उनको प्राप्त पुरस्कारों को वापस लौटा रहे हैं, उनके … Read more