पूजा में उपयुक्त विविध घटकों का महत्त्‍व

देवतापूजन में पूजासामग्री होना आवश्यक ही है । यह घटक ईश्वरीय कृपा प्राप्त होने में महत्त्वपूर्ण कडी है । प्रत्येक घटक का अध्यात्मशास्त्रीय महत्त्व समझ लेनेसे, इन घटकों के प्रति मन में भाव निर्माण होता है और धार्मिक व सामाजिक कृति अधिक भावपूर्ण हो पाती है । Read more »

नित्य देवता पूजन कैसे करें ?

जैसे हम घर आए अतिथिका स्वागत आदरपूर्वक करते हैं, उसी प्रकार भगवानका करें । देवताका आवाहन करना, उन्हें बैठनेके लिए आसन देना, उन्हें पैर धोनेके लिए जल देना, इस प्रकार क्रमानुसार सोलह उपचारोंके माध्यमसे विधिवत भावपूर्ण धर्माचरण धर्मशास्त्रमें सिखाया गया है । Read more »

पूजा की पूर्वतैयारी कैसे करें ?

पूजाके माध्यमसे निर्मित चैतन्यको ग्रहण करनेकी क्षमता पूजकमें निर्माण हो, इस हेतु हिंदू धर्ममें सगुणसे निर्गुणकी ओर ले जानेवाली देवतापूजनकी पूर्वतैयारी जैसी कृतियां बताई गई हैं, उदा. पूजास्थलकी शुद्धि, रंगोली बनाना, शंखनादके लाभ, पूजामें बैठने हेतु आसन लेना इत्यादि कृतियां आती हैं । Read more »

नारियल फोडकर उद्घाटन क्याें करें ?

१. उद्घाटन अ. परिभाषा ‘उद्’ अर्थात प्रकट करना । देवतातरंगों को प्रकट कर अथवा घट में (कार्यस्थल पर) उनके स्थान ग्रहण करने हेतु आवाहन (प्रार्थना) कर कार्यारंभ अर्थात उद्घाटन करना । आ. उद्घाटन करने का महत्त्व किसी भी समारोह अथवा कार्य की सिद्धि के लिए देवता के आशीर्वाद आवश्यक हैं । शास्त्रीय पद्धति अनुसार उद्घाटन … Read more

वस्त्रों के रंगों का चयन किस प्रकार करें ?

प्रस्तुत लेख में वस्त्रों के रंगों का चुनाव किस प्रकार करें कि रंगों का संयोजन आध्यात्मिक दृष्टिकोण से योग्य हो, ऋतु एवं व्यक्ति के स्वभाव के अनुकूल हो तथा विशिष्ट देवता के तत्व को आकृष्ट करता हो, यह विस्तार से बताया गया है । Read more »

प्राकृतिक धागों से बने वस्त्र पहनने का महत्त्व

सामान्य मनुष्य को चैतन्य ग्रहण करने के उद्देश्य से सात्त्विक वस्त्र ही पहनने चाहिए । प्रस्तुत लेख में वस्त्रों के प्रकार तथा प्राकृतिक धागों से बने वस्त्रों का कृत्रिम धागे से बने वस्त्रों की तुलना में क्या महत्त्व है, इसका वर्णन किया गया है । Read more »

हिन्दू धर्म में बताए गए वस्त्र धारण करनेसे क्या लाभ होता है ?

हिन्दू धर्म में स्त्री एवं पुरुषद्वारा धारण किए जानेवाले वस्त्रों की रचना देवताओं ने की है । इस लेख में हम वस्त्रधारण क्यों करते हैं, सात्त्विक वस्त्र पहनने का क्या महत्त्व है और इसके शारीरिक, मनोवैज्ञानिक तथा आध्यात्मिक दृष्टिकोण से क्या लाभ हैं । Read more »

भोजन के संदर्भ में आचार

शाकाहार एवं सात्त्विक आहार का सेवन करें ! दूध, मक्खन, गाय का घी, छाछ, चावल, गेहूं, दालें, साग, फल जैसे अथवा इन से बने सात्त्विक अन्नपदार्थों का सेवन करें । पाचन तंत्र स्वस्थ रखने हेतु मिताहार करें ! भोजन करते समय पेट के दो भाग अन्न सेवन करें । तृतीय भाग जल हेतु एवं चतुर्थ भाग वायु हेतु रिक्त रखें । Read more »

कुदृष्टि उतारने के लाभ

हिंदू संस्कृति में प्राचीनकाल से कुछ रूढियां एवं परंपराएं चली आ रही हैं । इनमें से एक प्रथा है – ‘कुदृष्टि उतारना’ । ‘जीव पर बाहर से हो रहे सूक्ष्म अनिष्ट आक्रमणों के कारण उसे कष्ट होते रहते हैं । इन कष्टों को दूर करने के लिए बाह्य मंडल में करने योग्य आध्यात्मिक उपायों में से एक है – ‘कुदृष्टि उतारना’ । Read more »

अलंकार धारण करने का मूलभूत उद्देश्य एवं महत्त्व

इस लेख को पढने के उपरांत, सभी अलंकारों का महत्त्व एवं हिन्दू संस्कृति में सम्पूर्ण शरीर पर अलंकार धारण करने की परंपरा के महत्त्व को समझ सकते हैं । यह केवल हिन्दू संस्कृति की महानता को दिखाता है जो हर चरण पर मानवता के आध्यात्मिक कल्याण के बारे में सोचता है । Read more »