‘किसी जाति का अथवा पंथ का कार्य करनेवालों का, अर्थात्…

‘किसी जाति का अथवा पंथ का कार्य करनेवालों का, अर्थात् जात्यंधों तथा पंथांधों का कार्य तात्कालिक स्वरूप में रहता है । मानवजाति हेतु धर्म द्वारा किया गया कार्य स्थल तथा काल की सीमा पार करता है ।’

अन्य संगठनाएं कार्य का वार्षिक एवं आर्थिक ब्यौरा प्रस्तुत करती…

अन्य संगठनाएं कार्य का वार्षिक एवं आर्थिक ब्यौरा प्रस्तुत करती है, तो सनातन संस्था साधकों की आध्यात्मिक प्रगती का तथा ग्रंथ प्रकाशन का ब्यौरा प्रस्तुत करती है तथा हिन्दू जनजागृति समिति धर्मसभा एवं धर्मरक्षा हेतु आयोजित राष्ट्रीय आंदोलनों का ब्योैरा प्रस्तुत करती है !’

‘पाश्चात्त्य संस्कृति स्वेच्छा को प्रोत्साहन देनेवाली व्यक्तिस्वतंत्रता का पुरस्कार करती…

‘पाश्चात्त्य संस्कृति स्वेच्छा को प्रोत्साहन देनेवाली व्यक्तिस्वतंत्रता का पुरस्कार करती है तथा दुःख को निमंत्रण देती है, तो हिन्दू संस्कृति ‘स्वेच्छा नष्ट कर सत्-चित्-आनंदावस्था की प्राप्ति कैसे करना’, इस बात का ज्ञान देती है ।’

‘कहां अल्प भौतिक सुख के लिए ईसाई धर्मपरिवर्तन करनेवाले हिन्दू,…

‘कहां अल्प भौतिक सुख के लिए ईसाई धर्मपरिवर्तन करनेवाले हिन्दू, तो कहां धर्म हेतु प्राण अर्पण कर इतिहास में अजरामर होनेवाले छत्रपति शिवाजी महाराज !’

यदि हिन्दुओं को धर्म सिखाया, तभी अन्यधर्मियों समान उनके मत एकगुट होंगे !

‘मुसलमान एवं ईसाई उनका हित देखनेवालों को मतप्रदान करते हैं, जब कि बुद्धिप्रामाण्यवाद, समाजवाद, साम्यवाद इत्यादि विविध मानसिकता के अनुसार मत देते हैं । इसलिए उनके मत विभाजित होते हैं तथा भारत में उनका कोई मूल्य नहीं रह जाता ! हिन्दुओं को धर्म सिखाया तभी उनके मत अन्य धर्मियों समान एकगुट होंगे ।-’

अध्यात्म में आयु का नहीं, अपितु आध्यात्मिक स्तर का महत्त्व होता है !

‘व्यावहारिक जीवन में हमसे अधिक आयु के व्यक्ति को हम नमस्कार करते हैं । इसके विपरीत अध्यात्म में आयु का नहीं, अपितु आध्यात्मिक स्तर का महत्त्व होता है ! छोटी आयु के संतों को भी बडे व्यक्ति सम्मान के साथ नमस्कार करते हैं ।’

घरवापसी का अर्थ है अन्य धर्म स्वीकारनेवालों को पुनः हिन्दू धर्म में लाने के संदर्भ में वस्तुस्थिति !

१. ‘धर्मांतरण चुपचाप करते हैं, जबकि घरवापसी का कार्यक्रम उजागरी से होता है । २. एक समय में अनेक लोगों का धर्मपरिवर्तन किया जाता है, जबकि घरवापसी कुछ लोग ही करते हैं । ३. कुछ लोगों की घरवापसी हुई, तब भी मुसलमान तथा ईसाई इस संदर्भ में पूरे विश्व से विरोध करते हैं । ‘भारत … Read more

अध्यात्म में आयु का नहीं, अपितु आध्यात्मिक स्तर का महत्त्व…

अध्यात्म में आयु का नहीं, अपितु आध्यात्मिक स्तर का महत्त्व होता है ! : ‘व्यावहारिक जीवन में हमसे अधिक आयु के व्यक्ति को हम नमस्कार करते हैं । इसके विपरीत अध्यात्म में आयु का नहीं, अपितु आध्यात्मिक स्तर का महत्त्व होता है ! छोटी आयु के संतों को भी बडे व्यक्ति सम्मान के साथ नमस्कार … Read more

‘कहां है आप का भगवान ?’, ऐसा कहनेवाले उचित भाष्य…

‘कहां है आप का भगवान ?’, ऐसा कहनेवाले उचित भाष्य करते हैं; क्योंकि मृत्यु के पश्चात वे एक तो भगवान के, अन्यथा असुर के घर अथवा पाताल अथवा नरक में जाते हैं । इसलिए उन्हें ईश्वर कभी नहीं मिलता ।