उपेक्षित कश्मीरी हिन्दुओं का नरसंहार : एक भीषण वास्तविकता
1989-90 में कश्मीर घाटी में जिहादियों द्वारा हिन्दुओं के वंशसंहार को प्रारंभ हुआ । हिन्दुओं की हत्याए, बलात्कार तथा मंदिरों का विध्वंस का सत्र शुरु हुआ । Read more »
1989-90 में कश्मीर घाटी में जिहादियों द्वारा हिन्दुओं के वंशसंहार को प्रारंभ हुआ । हिन्दुओं की हत्याए, बलात्कार तथा मंदिरों का विध्वंस का सत्र शुरु हुआ । Read more »
जिनका नाम लेकर दिनका शुभारंभ करे, ऐसे नामोंमें एक हैं, महाराना प्रताप । उनका नाम उन पराक्रमी राजाओंकी सूचिमें सुवर्णाक्षरोंमें लिखा गया है, जो देश, धर्म, संस्कृति तथा इस देशकी स्वतंत्रताकी रक्षा हेतु जीवनभर जूझते रहे ! Read more »
महाराजा भोज ने जहाँ अधर्म और अन्याय से जमकर लोहा लिया और अनाचारी क्रूर आतताइयों का मानमर्दन किया, वहीं अपने प्रजा वात्सल्य और साहित्य-कला अनुराग से वह पूरी मानवता के आभूषण बन गये। मध्यप्रदेश के सांस्कृतिक गौरव के जो स्मारक हमारे पास हैं, उनमें से अधिकांश राजा भोज की देन हैं। Read more »
प्रख्यात बाजीराव प्रथम ने मात्र बीस वर्ष की आयु में अपने पिता से उत्तराधिकार में पेशवा का दायित्व ग्रहण किया और जिसने अपने शानदार सैन्य जीवन द्वारा हिंदूस्थान के इतिहास में एक विशेष स्थान बना लिया। Read more »
विविध साधनामार्गों में शीघ्र आध्यात्मिक उन्नति करानेवाला सुलभ मार्ग है नामसंकीर्तनयोग । गुरुद्वारा दिए गए नामजप का, अर्थात गुरुमंत्र का जप श्रद्धा से करने पर मोक्षप्राप्ति होती है; परंतु नाम देनेवाले उचित गुरु न मिलें, तो अपने कुलदेवता का अर्थात कुलदेवी / कुलदेव का जप करना उचित है । Read more »
क्षात्रतेज तथा ब्राह्मतेजसे ओतप्रोत श्री गुरु गोविंदसिंहजीके विषयमें ऐसा कहा जाता है कि, ‘यदि वे न होते, तो सबकी सुन्नत होती ।’ यह शतप्रतिशत सत्य भी है । देश तथा धर्मके लिए कुछ करनेकी इच्छा गुरु गोविंदसिंहमें बचपनसेही पनप रही थी । Read more »
क्या आपको ज्ञात है कि यदि हम देवालय में दर्शन हेतु हमारे धर्मशास्त्र में बताए गए कृतियों का पालन करें तो देवता के दर्शन से हम अत्याधिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं । इनमें से अधिकांश कृत्य का धर्मशास्त्रीय आधार है । Read more »
स्नान के उपरांत अपने-अपने संप्रदाय के अनुसार मस्तक पर तिलक अथवा मुद्रा लगाएं, उदा. वैष्णवपंथी मस्तक पर खडा तिलक, जबकि शैवपंथी आडी रेखाएं अर्थात ‘त्रिपुंड्र’ लगाते हैं । धर्मशास्त्र बताता है कि मध्यमा का प्रयोग कर तिलक धारण करें । Read more »
जन्मदिन अर्थात जीव की आध्यात्मिक दृष्टि से उन्नति । यद्यपि ज्योतिषशास्त्रानुसार जन्मदिन की तिथि के ‘घाततिथि’ होती है । तथापि उस तिथि पर लाभ अधिक होने से जन्मदिन तिथि के अनुसार मनाना उचित होता है । Read more »
शर्करा हमारे भोजन का एक अविभाज्य अंग इस स्तर तक बन गई है कि उससे श्रेष्ठ समकक्ष उपयोग करने के विषय में सोचते भी नहीं हैं । लेकिन क्या हमने कभी सोचा है कि यह शुभ्र (श्वेत) स्फटिक समान वस्तु हमें कितनी हानि पहुंचा रही है ? Read more »