साम्यवाद की व्यर्थता !

एक बार सभी को समान पैसे देना संभव हो सकेगा; किंतु क्या शारीरिक प्रकृति, स्वभाव, बुद्धिमत्ता इत्यादी सभी को समानरूप से दे पाना संभव है ? यदि ऐसा है, तो साम्यवाद शब्द का क्या अर्थ रह जाता है ?

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