खरी वास्तुशुद्धि !

१. सर्वसाधारण व्यक्ति : इन्हें अपना निवास ही वास्तू प्रतीत होती है एवं उसके लिए यदि आवश्यक है, तो वे वास्तुशद्धि विधि करते हैं ।
२. व्यष्टि साधना करनेवाले : इन्हें शरीर, मन एवं बुद्धि यह आत्मा की वास्तू प्रतीत होती है एवं वे उनकी शुद्धि हेतु प्रयास करते है ।
३. समष्टि साधना करनेवाले : इन्हें राष्ट्र ही वास्तू प्रतीत होती है एवं वे उसकी शुद्धि करते हैं ।

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