सूक्ष्म की अनिष्ट शक्तियों को नष्ट करने हेतु साधना आवश्यक !

मनुष्य कितना भी बलवान है, उसके पास शस्त्र हो, फिर भी उसे कीटाणूनाशक औषधियों का सेवन करना पडता है; क्योंकि कीटाणू सूक्ष्म होते हैं । उसी प्रकार अनिष्ट शक्तियों को नष्ट करने हेतु साधना करनी पडती है । पाश्‍चात्त्यों को केवल कीटाणू समझ में आए जबकि अपने संतों एवं ऋषियों को सूक्ष्मातिसूक्ष्म विश्व समझ में आया ।

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