व्यष्टि एवं समष्टि प्रारब्ध, देन-लेन हिसाब, कालावधि आदि मूलभूत कारणों को ध्यान में लेकर उसपर उपाय केवल अध्यात्मशास्त्र ही बता सकता है

किसी भी घटना का मूल कारण ढूंढे बिना उस पर आधुनिक वैद्य, न्यायाधीश, सरकार आदि सभी केवल उपरि तौर पर उपाय करते हैं । इसके विपरीत व्यष्टि एवं समष्टि प्रारब्ध, देन-लेन हिसाब, कालावधि आदि मूलभूत कारणों को ध्यान में लेकर उसपर उपाय केवल अध्यात्मशास्त्र ही बता सकता है !

व्यक्तिस्वतंत्रता का उद्घोष करनेवालों के यह क्यों समझ में नहीं आता कि . . .

व्यक्तिस्वतंत्रता का उद्घोष करनेवालों के यह क्यों समझ में नहीं आता कि, जीवन में निहित अधिकांश भाग प्रारब्ध पर निर्भर होता है ?

सत्ययुग में नियतकालिक, दूरचित्रवाहिनियां, संकेतस्थळ इत्यादि की आवश्यकता ही नहीं थी; क्योंकि . . .

सत्ययुग में नियतकालिक, दूरचित्रवाहिनियां, संकेतस्थळ इत्यादि की आवश्यकता ही नहीं थी; क्योंकि उस समय अनिष्ट वार्ताएं ही नहीं थी तथा सभी लोग निरंतर ईश्‍वर के अनुसंधान में होने से आनंदित थे ।

हिन्दू राष्ट्र में कर्मचारी, अधिकारी, साथ ही पुलिसकर्मी भी साधक होंगे

हिन्दू राष्ट्र में कर्मचारी, अधिकारी, साथ ही पुलिसकर्मी भी साधक होंगे । अतः उनका आचरण आदर्श होगा और जनता को उनका आधार प्रतीत होगा ।

शारीरिक एवं मानसिक कष्टोंपर उपयों के संदर्भ में आध्यात्मिक उपायों का महत्त्व

१. शारीरिक : उपरसे नीचे गिरने के कारण यदि किसी की हड्डी टूट गई, तो उपायों की दृष्टि से वहां पर केवल शारीरिक बातों के संदर्भ में विचार करना पर्याप्त होता है । वहां पर मानसिक विश्‍लेषण उपयोगी नहीं होता । इसका कारण यह कि उसके गिरने का कारण अध्यात्मशास्त्र ही बता सकता है । … Read more

जीवनभर प्राथमिक चरण की साधना कर भी अपेक्षित उन्नति न होने के कारण

कई लोग कहते हैं, ‘‘मैं अनेक वर्षों से प्रतिदिन १-२ घंटे ग्रंथों का पठन करता हूं अथवा मंदिर की परिक्रमा करता हूं । ऐसा करनेवाले अधिकांश लोगों की साधना में उन्नति होते नहीं दिखाई देती । इसके कारण निम्नानुसार हैं – १. उपर्युक्त कृत्य करना साधना के शिशुविहार में शिक्षा लेने जैसा है । हम … Read more

अनेक संत एवं महर्षि सनातन के साधकों की सहायता करते हैं; क्योंकि साधकों की साधना समष्टि साधना है ।

अनेक संत एवं महर्षि सनातन के साधकों की सहायता करते हैं; क्योंकि साधकों की साधना समष्टि साधना है ।

कलियुग के अधिकांश माता-पिताआें का साधना के संदर्भ में दृष्टिकोण

१. पहले लडके को साधना करने न देनेवाले माता-पिताआें के उदाहरण बहुत अल्प थे, उदा. प्रह्लाद । अब अधिकांश माता-पिता असात्त्विक वृत्ति के होने से वो अपने बच्चों की साधना का विरोध करते हैं । २. हम स्वयं भी साधना नहीं करेंगे और तुम्हें भी (बच्चों को) नहीं करने देंगे । ३. साधना, साधना क्या … Read more

समष्टि साधना के कारण व्यक्तिगत जीवन में निहित स्वेच्छा शीघ्र न्यून होती है ।

व्यक्तिगत जीवन में निहित स्वेच्छा को नष्ट करने हेतु अनेक वर्षोंतक व्यष्टि साधना करनी पडती है । इसके विपरीत समष्टि साधना के कारण व्यक्तिगत जीवन में निहित स्वेच्छा शीघ्र न्यून होती है ।

संत, गुरु एवं ऋषियों द्वारा सिखाई जानेवाली साधना तथा सनातन द्वारा बताई जानेवाली साधना

१. संत एवं गुरु : ये शिष्य को व्यष्टि साधना सिखाते हैं । यह सिखाना स्थल एवं समय में सीमित होता है । २. ऋषी : ऋषी शिष्य को विश्‍व के संदर्भ में समष्टि साधना सिखाते हैं । इस सीख के लिए स्थल एवं समय की सीमा नहीं होती । ३. सनातन संस्था : सनातन … Read more