राष्ट्रकी स्थिति मरणासन्न रोगीकी भांति होना ।

अनादि कालसे चला आ रहा हिंदु धर्म ऋषि-मुनियोंने बताया, आगे उसे सहस्रों वर्षोंतक ब्राह्मणोंने बनाए रखा । अंग्रेजोंके भारतमें आनेपर उन्होंने ‘फूट डालो और राज करो’ की अपनी नीतिके अनुसार विविध जातियोंमें द्वेष उत्पन्न किया । केवल ब्राह्मणोंके कारण ही हिंदु धर्मका अस्तित्त्व बना हुआ था । इसलिए उनपर टूट पडनेके लिए उन्होंने अन्य जातियोंको प्रोत्साहित किया । इसलिए ब्राह्मण वर्ण समाप्तप्राय हो गया । आज हिंदु धर्मके ज्ञाता अत्यल्प संख्यामें शेष रहनेसे धर्मको ग्रहण लगा है । इसलिए देशकी स्थिति मरणासन्न रोगीकी भांति हो गई है ।

1 thought on “राष्ट्रकी स्थिति मरणासन्न रोगीकी भांति होना ।”

  1. सत्य है जिस देश और काल में ब्राह्मणों का आदर व सम्मान नहीं होता वहाँ कभी सुख समृद्धि नहीं होती।

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