नोटबंदी और राजनीतिक हिंसा के विरुध्द विरोध के तौर पर केवल चार दिन पहले माकपा में शामिल होनेवाले एक स्थानीय आरएसएस नेता ने संघ परिवार में वापसी कर ली है। ‘हिंदू ऐक्य वेदी’ के पूर्व प्रांत सचिव पी पद्मकुमार संघ के साथ अपने चार दशक लंबे संबंध को तोड़कर २७ नवंबर को माकपा में शामिल हो गए थे। माकपा जिला सचिव अनावूर नागप्पन की उपस्थिति में पद्मकुमार ने संवाददाताओं को बताया था कि, भाजपा-आरएसएस की राजनीतिक हिंसा और अमानवीय रूख से उकताकर उन्होंने माकपा में शामिल होने का निर्णय लिया। परंतु, गुरुवार शाम (१ दिसंबर) को ‘युवा मोर्चा’ की ओर से आयोजित एक बैठक में पद्मकुमार ने संघ परिवार में अपनी वापसी की घोषणा की !
उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘माकपा में रहने के दौरान मेरे अनुभव और भावनाएं आयएस आतंकवादियों के बीच पकड़े गए किसी राष्ट्रवादी के समान थी !’’ उन्होंने यह भी दावा किया कि, २७ नवंबर को हुए प्रेस कांफ्रेंस में माकपा नेताओं ने जो प्रेस विज्ञप्ति वितरित की उसमें उनके विचारों को प्रदर्शित नहीं किया गया। माकपा में शामिल होने के अपने निर्णय की घोषणा करते हुए पद्मकुमार ने कहा था, ‘‘मैं आरएसएस के अमानवीय रवैये और राजनीतिक हिंसा के विरुध्द हूं। १,००० रुपये और ५०० रुपये के नोटों की नोटबंदी वो आखिरी मुद्दा थी और फिर मैंने संगठन छोड़ने का निर्णय कर लिया !’’
केरल में संघ और कम्यूनिस्ट दलों में तनातनी सालों से बनी से हुई है। पिछले दिनों कम्यूनिस्ट पार्टी के एक नेता ने संघ की तुलना आतंकी संगठन आयएस से कर दी थी। वहीं केरल के मंत्री ने बयान दिया था कि, आरएसएस मंदिरों में हथियार छुपा रहा है।
स्त्रोत : जनसत्ता