धार (मध्यप्रदेश) के भोजशाला मुक्ति आंदोलनमें हिंदुत्वनिष्ठोंपर हुए अत्याचारोंसंबंधी उत्तेजक अनुभवकथन !

ज्येष्ठ शुक्ल १ , कलियुग वर्ष ५११५

भाजपाशासित मध्यप्रदेशमें धारके भोजशाला मुक्ति आंदोलनमें हिंदुत्वनिष्ठोंपर हुए अत्याचारोंसंबंधी उत्तेजक अनुभवकथन !

प्रस्तावना

मध्यप्रदेशमें धारकी भोजशालामें (श्री सरस्वतीदेवीके मंदिरमें) हिंदुओं को वर्षमें एक बार बसंत पंचमीके दिन पूजाके लिए प्रवेश मिलता है; परंतु मुसलमान प्रत्येक शुक्रवारको नमाजपठन करते हैं । वर्ष २००६ में हिंदुत्वनिष्ठोंपर जैसे अत्याचार हुए, उसकी पुनरावत्ति भाजप शासनने वर्ष २०१३ में की । इस वर्ष बसंतपंचमी शुक्रवारके दिन आनेके कारण हिंदुत्वनिष्ठोंने इस दिन मंदिरमें पूजा ही करेंगे, ऐसा दृढ निश्‍चय कर पुन: एक बार आंदोलनकी भूमिका अपनाई; परंतु इस बार भी हिंदुद्रोही भाजपा शासनने श्री सरस्वतीदेवीके हिंदुत्वनिष्ठ भक्तोंका दमन किया । सत्तांध तथा मुसलमानोंकी चापलूसी करनेके लिए अधीर हुए भाजपा शासनद्वारा किए गए अनन्वित अत्याचारोंका अनुभवकथन द्वितीय अखिल भारतीय हिंदू अधिवेशनके अंतिम सत्रमें किया गया ।

स्वतंत्र भारतमें हिंदुओ को उनका स्थान दिखानेवाला भोजशालाका प्रसंग ! – श्री. नवलकिशोर शर्मा, राष्ट्रीय संयोजक, भोजशाला मुक्तियज्ञ समिति

भोजशाला मुक्तियज्ञ समितिके राष्ट्रीय संयोजक श्री. नवलकिशोर शर्माजीने कहा कि धारकी भोजशालाके (श्री सरस्वती मंदिरके) मुक्तिके लिए अनेक वर्ष संघर्ष किया । पहले कांग्रेसके एवं तदुपरांत भाजपके विषयमें प्रचंड क्लेषदायी अनुभव हुएं । गत १ सहस्र वर्षोंसे हिंदू संघर्ष कर रहे हैं । स्वतंत्रता प्राप्तिके पश्‍चात भी संघर्ष समाप्त नहीं हुआ है ।

भोजशालामें हिंदुओ पर हो रहे अत्याचार, स्वतंत्र भारतमें हिंदुओंका क्या स्थान है, इस बातको स्पष्ट करनेवाला प्रकार है ।

श्री. शर्माजीने आगे कहा, वर्ष २००६ में बसंतपंचमी और शुक्रवार एक ही दिनपर आनेसे मुसलमानोंके नमाजपठनके विषयको लेकर राज्यशासन एवं हिंदुओ में जो संघर्ष हुआ था, वैसा ही प्रसंग पुन: वर्ष २०१३ में उत्पन्न हुआ । इस वर्ष बसंतपंचमी शुक्रवारको ही आई थी । हम सरस्वतीदेवीके मंदिरमें पूजा करनेकी तैयारीमें थे; परंतु उसे जनसमर्थन मिलने हेतु मैं कुंभमेलेमें गया । वहां हिंदू जनजागृति समितिके मार्गदर्शक पू. डॉ. पिंगळे और हिंदू जनजागृति समितिके राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. रमेश शिंदेकी सहायतासे कुंभमेलेमें उपस्थित संत, धर्माचार्य एवं शंकराचार्यको इस विषयसे अवगत कराया । भाजप एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघको इसकी भनक लगी । इसलिए उन्होंने पहलेसे ही संतगणोंमें ऐसा अपप्रचार आरंभ किया कि, श्री. शर्माको चुनावके लिए टिकट चाहिए, इसलिए वे विवाद उत्पन्न कर रहे हैं, उनकी ओर ध्यान न दें । फिर भी हम प्रयत्नपूर्वक विषयको प्रस्तुत करते रहें और संतगणोंमें जागृति होती गई । तबतक मध्यप्रदेशके भाजपाके अनेक मंत्रिगण कुंभमेलेमें पहुंच गए । मैंने जो भोजशालासे संबंधित दृश्यश्रव्य-चक्रिका (वीडियो सीडी) वितरीत की थी, उसे वे सभी संत एवं धर्माचार्योंके मंडपोंमें जाकर ढूंढते लगे । हमारे उद्बोधनके कारण काशी सुमेरूपीठके शंकराचार्य स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वतीजीने पहल की और बसंतपंचमीके दिन मध्यप्रदेशमें आनेके लिए स्वीकृति दी । उनके लिए विमानका टिकट निकाला; परंतु मध्यप्रदेश शासनने वह टिकट परस्पर निरस्त किया । मध्यप्रदेशका भाजपा शासन हाथ धोकर पीछे पडा; इसलिए शंकराचार्य अंतमें नई देहलीके मार्गसे मध्यप्रदेश पहुंचे । इतना होनेपर भी भाजपा शासनकी पुलिसने शंकराचार्य जीको स्थानबद्ध किया । उसके विरोधमें शंकराचार्य जीने वहींपर अनशन आरंभ किया, तब पुलिसने बलपूर्वक उनके मुखमें अन्न ठूसनेका प्रयत्न किया ।

दुसरी ओर पुलिस मुझे जबलपुरमें बंदी बनाकर जंगल ले गई थी । वहां पुलिस प्रत्येक पंद्रह मिनटोंमें मेरी माथेपर पिस्तौल रखकर एनकाऊंटरमें मारनेकी धमकी दे रही थी । मुझे उलटा लटकाकर पीटा । मुझपर प्रचंड अत्याचार किए गए । मेरे भाईको बंदी बनाकर उसे भी मारनेकी धमकी पुलिस देती रही । परिजनोंको मानसिक क्लेष देती रही । इस परिस्थितिमें मुझे मेरे गुरुदेव के अस्तित्वका भान हो रहा था ।

भोजशालामें मुसलमानोंको हर प्रकारसे नमाजपठन करनेकी अनुमति देना तथा उसके लिए कैसी भी परिस्थिति आएं, फिर भी हिंदुओंका दमन करना है, ऐसा निश्‍चय करते हुए तद्नुसार हिंदुद्रोही षड्यंत्र रचनेके पीछे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघके एक मुख्य प्रचारकका हाथ था ।

प.पू. डॉ. आठवलेजीने सहस्रों साधक निर्माण किए !

श्री. शर्माजीने कहा, इसके पहलेके भोजशाला मुक्ति आंदोलनके समय भी भाजपा शासनद्वारा मुझपर प्रचंड अत्याचार किए जानेसे मैं निराश हो गया था । उसी अवस्थामें गतवर्ष प्रथम अखिल भारतीय हिंदू अधिवेशनमें सहभागी हुआ । तब मुझे प.पू. डॉ. आठवलेजीके दर्शन हुए और मेरा उत्साह बढा । मेरा अकेलापन नष्ट हुआ । प.पू. डॉ. आठवलेजीके आशीर्वादके कारण ही मैं यह आंदोलन पुन: तीव्र कर सका । इसके पश्‍चात, सनातनके साधकोंसे बार-बार भेंट होने लगी । प.पू. डॉ. आठवलेजीने उनका जीवन हिंदुत्वके लिए संपूर्णत: समर्पित किया है तथा सनातनके प्रत्येक साधकमें हिंदुत्व ओतप्रोत भरा हुआ है । हम अपनी संतानको भी अच्छे प्रकारसे विकसित नहीं कर पाते हैं । प.पू. डॉ. आठवलेजीने तो सहस्रों साधकोंको विकसित किया है ।

क्षणिकाएं

१. पूरे सत्रमें सभी हिंदुत्वनिष्ठ उपस्थित थे ।

२. भोजशाला मुक्ति आंदोलनके समय जो अत्याचार सहने पडे, उसके पीछे संघके मुख्य प्रचारक थे, ऐसा श्री. नवलकिशोरजी शर्माने बतानेपर श्री. प्रमोद मुतालिकसहित कुछ हिंदुत्वनिष्ठोंने आश्‍चर्य व्यक्त किया ।

३. अनुभवकथनके समय सभागृहका वातावरण गंभीर हुआ था । उपस्थित धर्माभिमानियोंमेंसे कुछ हिंदुत्वनिष्ठ भाजपा और संघके प्रति क्रोध व्यक्त कर रहे थे तथा उनका निषेध कर रहे थे ।

४. श्री. शर्माजीके भाषणकी कालावधि समाप्त होनेपर भी केवल हिंदुत्वनिष्ठोंके आग्रहके कारण उनकी कालवधि बढाई गई ।

५. श्री. शर्माद्वारा भोजशालासे संबंधित दृश्यश्रव्य-चक्रिका (वीडियो सीडी) दिखानेपर हिंदुत्वनिष्ठ निषेध कर रहे थे ।

६. श्री. शर्माजीने आखोंमें आंसू लाएं, ऐसी प्रतिक्रिया अधिवक्ता खंडेलवालजीने व्यक्त की ।

७. उपस्थित श्रोतागण समय-समयपर उत्स्फूर्ततासे मां सरस्वतीदेवीकी जय, जयतु जयतु हिंदुराष्ट्रम, श्रीराम जय जय श्रीराम ऐसा जयघोष कर रहे थे ।

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