आनेवाले भीषण संकटकाल में रक्षा हेतु सभी को साधना कर तपोबल को बढाने की आवश्यकता ! – सद्गुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळेजी
काठमांडू (नेपाल) : हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळेजी ने अपनी नेपाल यात्रा के अंतर्गत ८.४.२०१९ को काठमांडू का दैनिक ‘नया पत्रिका’ के पत्रकार श्री. परशुराम काफले, विराटनगर जूट मिल के अध्यक्ष तथा नेपाल सरकार की आई.टी. समिति के सदस्य श्री. बसंतजी से भेंट की । उनके साथ चर्चा के समय सद्गुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळेजी ने बताया, ‘‘ईश्वरीय संकेत के अनुसार आगे आनेवाले संकटकाल के लिए सभी को साधना कर तपोबल को बढाने की आवश्यकता है ।’’
समाचारपत्रों के माध्यम से जागृति लेकर शंकराचार्यजी की ५वीं पीठ की स्थापना करने के षड्यंत्र को असफल बनानेवाले श्री. परशुराम काफले !
काठमांडू में जब नए सिरे से पशुपतिपीठ के शंकराचार्यजी की घोषणा का प्रयास किया गया, तब श्री. परशुराम काफले ने समाचारपत्र में ‘इस प्रकार की घोषणा करना धर्मविरोधी है । केवल आद्यशंकराचार्यजी द्वारा स्थापित ४ पीठ और उन्होंने उनके संदर्भ में जो नियम लिखकर रखे हुए हैं, वह धर्म को स्वीकार्य हैं’, इस आशय का लेखन कर समाज में जागृति की । इसके कारण नए सिरे से शंकराचार्यजी के ५वें पीठ की स्थापना का यह षड्यंत्र असफल रहा । लेखन कर जागृति लाने की यह सेवा करवाई जाने के लिए उन्होंने ईश्वर के चरणों में कृतज्ञता व्यक्त की ।
सद्गुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळेजी ने श्री. परशुराम काफले द्वारा किए गए संघर्ष की प्रशंसा कर उनका अभिनंदन किया । इस अवसरपर हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. गुरुराज प्रभु उपस्थित थे ।
इस अवसरपर श्री. बसंतजी ने सद्गुरु (डॉ.) पिंगळेजी को विराटनगर आने का अनुरोध कर गोवा के सनातन आश्रम के अवलोकन की इच्छा व्यक्त की ।
काठमांडू के त्रिचंद्र महाविद्यालय के प्राध्यापक श्री. गोविंद शरण उपाध्याय के साथ भारत में सात्त्विक समाजव्यवस्था के विषय में चर्चा
काठमांडू : सद्गुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळेजी ने ९.४.२०१९ को यहां के त्रिचंद्र विश्वविद्यालय के प्रा. गोविंद शरण उपाध्याय से भेंट की । इस अवसरपर प्रा. उपाध्याय ने आज के दिन उनके द्वारा ‘अमेरिकी एवं भारतवर्ष (नेपाल एवं भारत) की समाजव्यवस्था’ विषयपर किए जा रहे अध्ययन की जानकारी दी । इस विषय में उन्होंने कहा, ‘‘अमेरिकी समाज में विवाहविच्छेद की मात्रा ५२ प्रतिशत है और इस तुलना में भारत-नेपाल में यही मात्रा केवल १.५ प्रतिशत है । सुखी परिवार के संदर्भ में भी भारत आगे ही है ।’’ इसका कारण स्पष्ट करते हुए सद्गुरु (डॉ.) पिंगळेजी ने भारत की सात्त्विक समाजरचना, महिलाआें का किया जानेवाला सम्मान, मातृसत्ता पद्धति, विवाहसंस्कार आदि के विषय में जानकारी दी ।
सद्गुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळेजी ने काठमांडू के नवचेतना ऑनलाईन पोर्टल के संपादक श्री. कर्ण प्रखर धेताल से भेंट कर उनके साथ चर्चा की । इस अवसरपर श्री. धेताल ने कहा, ‘‘नेपाल से राजशाही समाप्त हुई और उसके कारण नेपाल का विश्व के एकमात्र हिन्दू राष्ट्र की श्रेणी को समाप्त कर उसे धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र बना दिया । इसके कारण बहुसंख्यक हिन्दू समाज में निराशा फैल गई । ऐसे समय में हिन्दू धर्म कैसे पुनः जागृत होगा ?’’ इसपर सद्गुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळेजी ने कहा, ‘‘सनातन धर्म की यह परंपरा रही है कि जब धर्म के पुनरुत्थान के कार्य का समय आएगा, तब समाज में प्रतिकूल वातावरण बनेगा । ऐसी स्थिति में समाज ईश्वर के प्रति संपूर्णरूप से शरणागत होकर आत्मचिंतन करेगा; क्योंकि केवल आत्मचिंतन से ही स्वयं में विद्यमान दोष दूर होकर हिन्दू समाज पुनः पुनरुत्थान की दिशा में आगे बढ सकता है । धर्म के कार्य के समय विचार एवं दृष्टि महत्त्वपूर्ण होती है । हिन्दू समाज में विद्यमान निराशा का वातावरण दूर होने हेतु आज समाज को दिशा एवं दृष्टि प्रदान करनेवाले, साथ ही पुनरुत्थान हेतु आवश्यक ऊर्जा को संक्रमित करने की क्षमता रखनेवाले आध्यात्मिक अधिकारी व्यक्ति की आवश्यकता है ।’’
धर्मनिरपेक्ष संविधान का विरोध कर हिन्दूू राष्ट्र की मांग का आग्रह रखनेवाले काठमांडू की विश्व हिन्दू महासंघ की केंद्री समिति के सदस्य श्री. शंभू हरि बस्तोला !
काठमांडू : ८.४.२०१९ को सद्गुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळेजी ने काठमांडू की विश्व हिन्दू केंद्रीय समिति के सदस्य श्री. शंभु हरि बस्तोला से भेंट की । इस अवसरपर श्री. बस्तोला ने कहा, ‘‘नेपाली जनतापर सरकार द्वारा थोपे गए धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र के विषय में बहुसंख्यक नेपाली जनता में तीव्र असंतोष है । सरकार जनता की भावनाआें को अपने पैरोंतले कुचल रही है । इसके लिए हम नेपाली कांग्रेस की केंद्रीय बैठक में जकार कांग्रेसी धर्मनिरपेक्ष अर्थात पापी संविधान का समर्थन कर पाप में भागीदार बन रहे हैं । नेपाली कांग्रेस को जनता को इसका उत्तर देना ही होगा, इसका भान कराया और नेपाली कांग्रेस में हिन्दू राष्ट्र की मांग का बिगुल बजाया ।’’
इस अवसरपर सद्गुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळेजी ने कहा, ‘‘बिना संघर्ष के हिन्दू राष्ट्र नहीं आएगा । आज नेपाल के सभी हिन्दू संगठनों को एकत्रित होकर योजनाबद्ध पद्धति से कार्य करने की, साथ ही धर्मविरोधी संविधान के विरुद्ध वैधानिक पद्धति से आंदोलन चलाने की आवश्यकता है ।’’