मुंबई : १६ अप्रैल से मस्जिद पर लगाए गए भोंपूओं को निकालने के संदर्भ में पूरे देश में पुनः चर्चा आरंभ हो गई है। आज यदि आधुनिकता का उपयोग कर ‘एसएमएस (लघुसंदेश) एवं व्हॉटस्अॅप के माध्यम से तलाक दिया गया तो चलता है; तो अजान के लिए मस्जिद पर से भोंपू बजाने की आवश्यकता ही किसलिए ?
नमाज के लिए दी जानेवाली अजान भी ‘एसएमएस तथा अलार्मद्वारा क्यों नहीं दी जा सकती, हिन्दू जनजागृति समिति ने भोंपू एवं उनके माध्यम से होनेवाले ध्वनिप्रदूषण का समर्थन करनेवालों को यह प्रश्न पूछा है ?
समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. रमेश शिंदे ने एक प्रसिद्धि पत्रक में कहा है कि, भारत हिन्दुबहुसंख्यक देश है। भारत में १४ प्रतिशत मुसलमानों को नमाज हेतु आमंत्रित करने के लिए भोंपूओं के माध्यम से दी जानेवाली कर्णकर्कश एवं सुबह के समय की अजान ८६ प्रतिशत गैरमुसलमानों की इच्छा न होते हुए भी वे क्यों सुने ?
आज कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल ने ‘नमाज के लिए अजान महत्त्वपूर्ण है, भोंपू नहीं’, ऐसा कहा है। इसलिए मोदी शासन को आवाहन करते हुए समिति ने कहा है कि, ‘पूरे देश में तीन तलाक, बहुपत्नीत्व, बुरखापद्धति के साथ अब मस्जिदों पर भोंपूओं लगाने पर भी प्रतिबंध लगाने के सूत्र को भी प्राधान्य देकर सर्वसाधारण लोगों को होनेवाला कष्ट दूर करना चाहिए !’
स्रोत : दैनिक सनातन प्रभात