नई देहली : हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक पू. (डॉ.) चारुदत्त पिंगळेजी ने केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय के वैज्ञानिक तथा तांत्रिक शब्दकोष आयोग के अध्यक्ष प्रा. अवनीश कुमार से हाल ही में भेंट की।
इस अवसरपर संस्कृत भाषा के आधारपर शब्दकोश बनाने के संदर्भ में विचार विमर्श किया गया। इस समय प्रा. अवनीश कुमार ने महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय के कार्य के संदर्भ में जानकारी ली। साथ ही उन्होंने विश्वविद्यालयद्वारा संस्कृत भाषा पर किए जा रहे अनुसंधान कार्य की प्रशंसा की !
अंग्रेजी भाषा में संस्कृत की भांति सूक्ष्म चिंतन, विविधता एवं स्पष्टता का अभाव ! – पू. (डॉ.) चारुदत्त पिंगळेजी
इस अवसरपर बातचीत करते हुए पू. (डॉ.) पिंगळेजी ने कहा, ‘संस्कृत भाषा के आधार पर शब्दों को निर्धारित करना पूरी मनुष्यजाति के लिए आवश्यक बन गया है। संस्कृत ही एकमात्र देवभाषा है। अन्य सभी भाषाओं को उत्पत्ति संस्कृत से ही हुई है। देशहित की दृष्टि से २२ भाषाओं में विविध विषयों के शब्दकोश बनाने का शासन का यह प्रयास प्रशंसनीय है। अमरकोश में एक संस्कृत शब्द के अनेक विकल्पवाले शब्द हैं, जो उस शब्द की विविधता को स्पष्ट करते हैं, उदा. ‘गगन’ शब्द के लिए आकाश, नभ, खग ये एक ही अर्थ के शब्द हैं; किंतु अंग्रेजी भाषा में इस प्रकार का सूक्ष्म चिंतन, विविधता एवं स्पष्टता नहीं है। ऐसे अनेक कारणों से मशीन, टेलिविजन आदि शब्दों के लिए संस्कृत भाषा उपयोगी भाषा सिद्ध होती है !’
इस समय प्रा. अवनीश कुमार ने अपने कार्यालय में पू. (डॉ.) पिंगळेजी के मार्गदर्शन के आयोजन की इच्छा भी व्यक्त की !
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात