जानिए यौन गुलाम से योद्धा तक, यजीदी महिलाओ की जिंदगी…

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इस्लामिक स्टेट के उदय के साथ ही इराक और सीरिया में रहने वाले अल्पसंख्यक के विरुद्ध आक्रमण बढ गए । पुरुषो की हत्या के साथ ही महिलाओ और लडकियों का अपहरण कर उनके साथ दुष्कर्म किया गया । तथा उनको सेक्स गुलाम के रूप में बंधक बना दिया गया ।

कुछ महिलाए जो इस्लामिक स्टेट के कैद से निकल भागी उन्होंने अपनी यातनापूर्ण कहानी अपने समुदाय को बतायी, तो इस्लामिक स्टेट के विरुद्ध लडने की हिम्मत जागृत हुर्इ । आज इन यज़ीदी और कुर्द महिलाओ ने विश्व के सबसे बड़े खतरनाक समझे जाने वाले आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट की जडे हिला कर रख दी है ।

वर्ष २०१४ में इस्लामिक स्टेट ने जब उत्तरी इराक के सिज्जर शहर में आक्रमण किया तो उन्हें वहां कुछ यजीदी हथियारबंद लडकियों के कडे प्रतिरोध का सामना करना पड़ा ।

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इस्लामिक स्टेट के अत्याचारों को याद करते हुए असमा दाहिर कहती है, उन्होंने मेरे पडोस से आठ लोगो को उठा लिया मैंने देखा कि, वो बच्चोंको मार रहें थे ।

हजारो अल्पसंख्यक यजिदियो के कत्ल और उनके जबरन धर्म परिवर्तन करने की इस्लामिक स्टेट की कट्टरपंथी विचारधारा के विरुद्ध इन महिलाओ को कुछ हमलो में अमेरिकी सहयोग भी मिलाता है ।

२१ वर्षीय असमा दाहिर कुर्द इस्लामिक स्टेट के विरुद्ध लडने वाली महिलाओ की कुर्दिश पेश्मेगा फ़ोर्स की प्रमुख है । उन्होने इस्लामिक स्टेट को उत्तरी इराक में काफी क्षति पहुचाई है ।

याज़ियी महिलाओ की तरह यह मात्र ३० महिलाओ का घातक दस्ता है । इन महिलाओ के लिए एक ही बात मायने रखती है कि, हर उस आतंकवादी से बदला लेना है जो महिलाओ को पिटता हो तथा उनका बलात्कार करता हो ।

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असमा कहती है, आतंकवादियों की क्रूरता को देखकर वो दंग रह गर्इ । उन्होंने मेरे चाचा का कत्ल कर दिया और मेरे भाई की पत्नी को उठा ले गये जिसकी आठ दिन पहले ही शादी हुयी थी । वो दिन आज भी आंखों में किसी कांटे की तरह चुभते है । हजारो यज़ीदी और कुर्द महिलाओ की तरह उनके भाई की पत्नी आज भी इस्लामिक स्टेट के आतंकियों के पास कहीं कैद है ।

२०१४ में असमा ने सिंजर में इस्लामिक स्टेट के दो आतंकियों को मार गिराया था । इस आक्रमण में उनके पैर में भी गोली लग गयी थी ।

अपने कमरों और दर्पण के इन्होने अपने बच्चो तथा परिजनों की तस्वीरे लगा रखी है जो इनको याद दिलाती है की उन्होंने इस युद्ध में क्या बलिदान दिए है ।

२४ वर्षीय हसीबा नौजाद यूनिट की कमांडर है । हसीबा अपने पति के साथ टर्की में रहती थी । किंतु यह अब अपनी विवाहित जीवन को छोड इराक लौट आर्इ है इस्लामिक स्टेट को उत्तरी इराक से भागने के लिए ।

हसीबा कहती है, अपनी कुर्द बहनों के साथ हो रहें बलात्कार को मैं स्वीकार नही कर सकती ।

हसीबा के पति ने भागकर यूरोप चलने को कहा और उसके लिए उसने कुछ लोगो को पैसे भी दिए जो इस्लामिक स्टेट से लोगो को गुप्त रास्तो से यूरोप पहुचाते है । किंतु हसीबा ने वापस घर जाकर आतंकियों से लड़ने का फैसला किया ।

हसीबा के पति ने उन्हें छोड़ दिया और वो मानव तस्करों के साथ चला गया । हसीबा कहती है, मैंने अपने निजी जीवन को एक तरफ रख दिया, और मैं अपने कुर्द बहनों और माताओं की रक्षा के लिए दुश्मनों से लड़ने यहाँ आ गयी ।

एक रुदिवादी समाज में अक्सर ही महिलाओ को घर में रहने के लिए कहा जाता है और तर्क देते है कि, महिलाओ का शारीर युद्ध के मैदान के लिए उपयुक्त नही है ।

हसीबा कहती है, यदि एक आदमी हथियार चला सकता है तो ओरत भी चला सकती है । एक पुरुष तब और भी उत्साह से लड़ता है जब वो युद्ध भूमि में अपने पास एक महिला को गोली चलते हुए देखता है ।

इस्लामिक स्टेट के आतंकी इन महिलाओ से डर कर भागते है इस बारे में हसीबा कहती है, क्यूंकि आतंकी सोचते है यदि वो एक ओरत के हाथ से मरे गए तो उन्हें जन्नत नही मिलेगी ।

यह महिलाये एक प्रेणना है इस्लामिक स्टेट के विरुद्ध लड़ने वालो के लिए ।

संदर्भ : रिव्होल्ट प्रेस

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