इसरायलसे अब मित्रता होनी ही चाहिए !

श्रावण शुक्ल पक्ष द्वादशी, कलियुग वर्ष ५११६

हमें, आज भी डरानेवाली समस्याओंका निराकरण इसरायलद्वारा चुटकी बजाते ही किया जाता है !

हमें आज भी डरानेवाली समस्याओंका निराकरण इसरायलद्वारा चुटकी बजाते ही किया गया है । इसीलिए इसरायलसे मित्रता करना आवश्यक है । इसरायलके साथ मित्रता रखनेसे धर्मांधोंके मन आहत होंगे, इसकी चिंता करनेका मोदी शासनको कारण नहीं है । वह वोट बैंक अब बेबाक की गई है । यही वह समय है, पराराष्ट्र नीतिमें अच्छे दिन आनेके !

युद्धखोर अरबोंका पक्ष लेनेवाले भारतीय राजनेता !

वर्ष १९५० में राष्ट्रसंघके नेतृत्वमें इसरायल राष्ट्र स्थापित हुआ । प्रथम राष्ट्राध्यक्ष येन गुरीयनसे लेकर वर्तमान समयके राष्ट्रप्रमुख बेंजामिन न्येतान्युहूतक सभीने भारतके आगे मित्रताका हाथ बढाया; परंतु हमने मित्रता तो दूर, अनेक वर्षोंतक इसरायलके साथ राजनीतिक संबंध भी नहीं रखे थे । वर्ष १९६७ में प्रथम इसरायल-अरब युद्ध आरंभ हुआ । तबसे उचित कौन तथाअनुचित कौन यह न देखते हुए हम अरब राष्ट्रोंका समर्थन करते थे । वास्तवमें क्रश इसरायल घोषणा देते हुए १४ अरब राष्ट्रोंद्वारा इसरायलपर आक्रमण किया गया था । इस युद्धमें सिरियाद्वारा गोलान पहाडियां, सायनका उपसागर जॉर्डनद्वारा जॉर्डन नदीका पश्चिम किनारा, तथा संपूर्ण गाजा पट्टी ऐसा बडा प्रदेश इसरायलने जिता । अरबोंने युद्धका आरंभ किया गया, तब भी हमने अरबोंका ही पक्ष लिया । विश्वका प्रथम आतंकवादी यास्सर अराफत जिसने विमान अपहरण एवं म्युनिच ओलिंपिकमें जाकर ज्यू खिलाडियोंकी हत्या की, वह सदैव हमें संत एवं सज्जन ही प्रतीत हुआ ।
 

धर्मांधोंके मतपेटीपर ध्यान रखकर अरब राष्ट्रोंका समर्थन करनेवाली कांग्रेस !

ऐसा प्रतीत होता था कि अरबोंसे पेट्रोल लेते हैं; इसलिए उनका पक्ष ले रहे हैं; परंतु वह बिलकुल झूठा था । वह कांग्रेसद्वारा धर्मांधोको खुश करनेका एक हिस्सा था । कांग्रेसको भय था कि यदि इसरायलका समर्थन किया, तो धर्मांध वोट बैंकसे दूर जाएगे । अब हिन्दू वोट बैंक दसगुना बडी हो गई थी । अयोध्याका राममंदिर, समान नागरी कानून करना, धारा ३७० निरस्त करना ऐसा आश्‍वासन देते हुए मोदी सरकार स्पष्ट बहुमतसे सत्तामें आई है । इतनाही नहीं, बल्कि हिंदुहितकी स्पष्ट रूपसे इज्जत करनेवाला घोषणापत्र रहनेके कारण ही भरपूर मत प्राप्त हुए । ऐसी परिस्थितिमें अब यदि इसरायलसे घनिष्ट संबंध रखे, तो उससें क्या बिगडेगा ? पूर्वमें एवं अभी जो मत कभी मिले ही नहीं, उन मतोंके न मिलनेका व्यर्थ भय रखनेका कोई कारण ही नहीं है ।
 

शत्रुको जैसेको तैसा उत्तर देनेवाला इसरायल !

कांग्रेसकी पूर्वकी नीति अबतक स्थायी है । १६ जुलाईको इसी पैलेस्ताईन प्रश्‍नपर राज्यसभा प्रथम दो बार एवं पश्चात ३ बजे दिनभरके लिए स्थगित हो गई । इस विषयमें भाजपाद्वारा अपनाई गई भूमिकामें वास्ववमें समाधान प्रतीत हुआ । ३ इसरायली युवकोंकी हत्याके पश्चात १५ दिनसे यह संघर्ष चालू है । इसरायलने इस हत्याके प्रतिशोधके रूपमें पैलेस्ताईन एवं गाजापट्टीमें प्रचंड बमबारी कर क्षेपणास्त्र छोडे, जिसमें २०० से अधिक लोगोंकी मृत्यु हो गई । हमारे ३ मारे, तो आपके २०० यह इसरायलका हिसाब है । राष्ट्रसंघके प्रधान सचिव ‘बान की मून’द्वारा किए गए शांतिका आवाहनको इसरायलद्वारा तत्काल कूडादानीमें डाल दिया गया; मात्र १४ जुलाईको इजिप्तकी मध्यस्थतासे आए शांतिप्रस्तावका स्वीकार किया गया । पैलेस्ताइनका ‘हमास’ आतंकवादी संगठन इसरायलसे प्रत्येक समय छेडखानी करता है । इसरायलद्वारा इजिप्तका प्रस्ताव स्वीकारनेका कारण यह है कि इजिप्त इसरायलसे शांति समझौता करनेवाला प्रथम अरबी देश है । एक सैनिकने यह समझौता करनेवाले इजिप्तके अध्यक्ष अन्वर सादान की तत्काल हत्या की । इजिप्तका शांतिप्रस्ताव इसरायलने इसीलिए स्वीकार किया !
 

धर्मांधो प्रेमकी ढांस !

‘हमास’ने शांति प्रस्ताव अस्वीकार करते ही इसरायलद्वारा १५ जुलाईसे पुनः आक्रमण चालू किए गए । तत्काल कांग्रेसको धर्मांधके प्रेमकी ढांस लगी । इसरायलद्वारा होनेवाले आक्रमणपर चर्चाका प्रस्ताव दोनों ही सभागृहोंमें रखा गया । यह विषय संवेदनशील रहनेसे इसपर विचार-विमर्श न करनेकी उचित भूमिका शासनद्वारा अपनाई गई, जिसे गिनेचुने सदस्य रहनेवाली कांग्रेसको लोकसभामें स्वीकार करना पडा; परंतु राज्यसभाके ८० सदस्योंने चर्चाकी मांग करते हुए कामकाज बंद करनेपर विवश किया । रेल्वे अर्थसंकल्पपर चर्चाकी अपेक्षा कांग्रेसको पैलेस्ताईन प्रश्‍न अधिक महत्त्वपूर्ण प्रतीत हुआ । मुख्यतः इसरायल एवं पैलेस्ताईन दोनों ही हमारे मित्र हैं, ऐसी भूमिका अपनाकर सरकारने एक कदम आगे बढाया है । इसरायल हमारा मित्र देश है, यह भूमिका प्रथम ही सुनाई दी । यह मित्रता सभी क्षेत्रोंमें विशेष रूपसे लश्करके संदर्भमें वृद्धिंगत होना आवश्यक है ।
 

भारतको इसरायलसे घनिष्ठ मित्रता करना आवश्यक !

पाकिस्तान आश्रित दाऊद इब्राहिम एवं हाफीज सईदको पकडना अथवा पाकिस्तानमें जाकर लादेनसमान हत्या करना इस समय तो हमारे लिए असंभव है । इसरायलको देखें । १९३५ से ४३ की कालावधिमें सहस्रों यहूदियोंकी हत्या करनेवाला नाजी अधिकारी आईशमन जर्मनीके पराजित होनेके पश्चात लापता हो गया । इसरायलने २५ वर्ष जांच कर उसे ढूंढा । वृद्ध होनेपर भी उसे पकडकर इसरायलमें लाया एवं उसपर अभियोग चलाकर उसे दंड दिया । यहूदी यात्रियोंका ईस्राइलका एक विमान पैलेस्तनी आतंकवादियोंद्वारा अगुवा कर युगांडाके एंटीबी हवाईअड्डेपर ले जाया गया । युगांडाका राष्ट्राध्यक्ष इदी अमिन पैलेस्तनियोंका समर्थक होते हुए भी ईस्राइलने सभी अपहरणकर्ताओंकी हत्या कर सब यात्रियोंको भली-भांति कैसे मुक्त किया, यह एक रोमहर्षक इतिहास है । इसीलिए और चार कदम आगे बढकर इसरायलसे घनिष्ठ मित्रता करनी चाहिए ।
 

अच्छे दिन पराराष्ट्र नीतिमें भी आने दो !

वालुकामय भूमि एवं सागरका खारा पानी ऐसा राष्ट्र मिलनेपर भी निराश न होते हुए समुद्रके पानीको मीठे पानीमें रूपांतरित कर वालुकामय प्रदेशमें प्रगत खेती की गई है । हमें इस कृषि तंत्रज्ञानका लश्करसमान लाभ होगा । अपने देशमें केवल १६ भाषा हैं । तब भी संस्कृत जाननेवाले सहस्रों लोग होते हुए भी उसको मृत भाषा सिद्ध कर राष्ट्रभाषाके प्रश्‍नको हमने पेचीदा किया । इसरायलमें १०० भाषा बोलनेवाले लोगोंके एकत्रित आनेपर समस्या अधिक कठिन थी; परंतु सभी लोगोंने मूल भाषा हिबु्र, जिसे संजोनेवाले केवल चार लोग थे । तब भी वह आज इसरायलकी राजभाषा हो गई है । हमें आज भी डरानेवाली समस्याओंका निराकरण इसरायलद्वारा चुटकी बजाते ही किया गया है । इसीलिए इसरायलसे मित्रता करना आवश्यक है । इसरायलके साथ मित्रता रखनेसे धर्मांधोंके मन आहत होंगे, इसकी चिंता करनेका मोदी शासनको कारण नहीं है । वह वोट बैंक अब बेबाक की गई है ।

यही वह समय है, पराराष्ट्र नीतिमें अच्छे दिन आनेके !

– श्री. अरुण रामतीर्थकर, ज्येष्ठ पत्रकार, सोलापुर.

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

Leave a Comment

Notice : The source URLs cited in the news/article might be only valid on the date the news/article was published. Most of them may become invalid from a day to a few months later. When a URL fails to work, you may go to the top level of the sources website and search for the news/article.

Disclaimer : The news/article published are collected from various sources and responsibility of news/article lies solely on the source itself. Hindu Janajagruti Samiti (HJS) or its website is not in anyway connected nor it is responsible for the news/article content presented here. ​Opinions expressed in this article are the authors personal opinions. Information, facts or opinions shared by the Author do not reflect the views of HJS and HJS is not responsible or liable for the same. The Author is responsible for accuracy, completeness, suitability and validity of any information in this article. ​