फाल्गुन कृष्ण पक्ष प्रतिपदा, कलियुग वर्ष ५११५
हिंदू जनजागृति समितिको अयोध्याके संत प.पू. डॉ. स्वामी रामविलासदास वेदांतीजी महाराजके आशीर्वाद
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जबलपुर (मध्यप्रदेश) : अयोध्याके प.पू. डॉ. स्वामी रामविलासदास वेदांतीजी महाराजने प्रतिपादित किया कि यदि साधू-संतोंद्वारा नेतृत्व कर समाजको दिशा दी गई, तो ही ‘हिंदु राष्ट्र’ स्थापित हो सकता है । इसलिए संतोंको केवल मठ-मंदिरोंतक संकीर्ण न रहकर राष्ट्र एवं धर्मके लिए मार्गदर्शन एवं निर्भयतासे कार्य करना आवश्यक है । जबलपुरमें हिंदू जनजागृति समितिके मध्यप्रदेश समन्वयक श्री. योगेश वनमारे एवं श्री. गजानन केसकरने प.पू. डॉ. स्वामी रामविलासदास वेदांतीजी महाराजसे भेंट की । इस समय उन्होंने कार्यको आशीर्वाद दिए ।
विचार-विमर्शके अंतर्गत प.पू. महाराजने कहा,
१. व्यासपीठसे मैं जिस समय राष्ट्रकी दुरावस्था एवं हिंदुसंगठनके विषयमें विचार प्रस्तुत करता हूं, उस समय व्यासपीठपर उपस्थित अन्य धर्माचार्य एवं साधु-संत हमें कहते हैं, ‘इस संदर्भमें आप राजनीतिक उपदेश न दें ।’
२. राजकर्ताओंने राष्ट्र एवं धर्मकी दुरावस्था की है । ऐसी स्थितिमें उसपर बोलना एवं समाजको मार्गदर्शन करना साधु-संतोंका कर्तव्य है ।
३. हमें प्रश्न है कि यदि इस विषयपर बोलनेमें ही साधु-संतोको भय प्रतीत होता है, तो वे धर्मकार्य कैसे करते होंगे ?, साधु-संतोंको भगवानका आधार रहते हुए उन्हें भयभीत होनेका कारण क्या है ?
महाराजने स्वयं होकर कहा कि इससे पूर्व दुर्गमें (छत्तीसगढ) आयोजित हिंदु धर्मजागृति सभामें समितिके कार्यकर्ताओंने प.पू. वेदांती महाराजसे भेंट की थी । उस भेंटका मुझ स्मरण है । इस अवसरपर समितिद्वारा उन्हें ‘हिंदु राष्ट्र क्यों आवश्यक है ?’ ‘धर्मशिक्षा फलक’ यह दो हिंदी ग्रंथ एवं हिंदी मासिक ‘सनातन प्रभात’ भेंट रूपमें दिए गए तथा गोवाके सनातन आश्रमको भ्रमण भेंट देनके संदर्भमें विनती की गई । इसपर उन्होंने कहा कि वे निश्चित रूपसे आएंगे ।
हिंदु सेवा परिषदके श्री. अतुल जेसवानीने अत्यधिक प्रयास कर महाराजसे समितिके कार्यकर्ताओंकी भेंट करवाई ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात