वैशाख कृष्णपक्ष तृतीया, कलियुग वर्ष ५११७
केवल हिंदुओंकी सभाओंको अनुमती न देनेवाली पुलिस धर्मांध ओवैसी बंधुओंकी सभाओंको घुटने टेकती हुई सुरक्षा प्रदान करती है, क्या यही है उनकी धर्मनिरपेक्षता !
• पुलिस अधीक्षक लखमी गौतम का स्थानांतरण करने की छावा संगठनद्वारा की गई मांग
• पुलिस की दमननीति का हिंदु संगठनोंद्वारा प्रत्युत्तर
नगर (महाराष्ट्र) : हिंदू जनजागृति समिति की ओर से १२ अप्रैल को यहांपर हिंदू धर्मजागृति सभा का आयोजन किया गया था। सभा तथा ध्वनिक्षेपक के लिए पुलिस ने वैधानिक रूप से अनुमति दी थी; परंतु सभा के पूर्व एक सप्ताह ५ अप्रैल को कानून और सुव्यवस्था का कारण देकर पुलिस ने दी गई अनुमति निरस्त कर दी।
६ अप्रैल को नगर वाचन मंदिर में आयोजित की गई पत्रकार वार्ता में हिंदुत्वनिष्ठ संगठनोंके पदाधिकारियोंद्वारा ऐसी भावना व्यक्त की गई कि, यह कृत्य एक प्रकार से पुलिस की दमननीति ही है।
इस समय हिंदू जनजागृति समिति के श्री. प्रवीण नाईक, ह.भ.प. क्षीरसागर महाराज, बजरंग दल के श्री. अनिल देवराव, शिवसेना के भूतपूर्व महापौर श्री. भगवान फुलसुंदर उपस्थित थे।
नगर जनपद पुलिस अधीक्षक लखमी गौतम के कार्यकाल में नगर जनपद का सामाजिक वातावरण दूषित होने का आरोप करते हुए छावा संगठन के जनपदाध्यक्ष श्री. शिवाजी सांगळे ने मांग की कि, उनका स्थानांतरण किया जाए।
पुलिसद्वारा ऐसी ही दमननीति चलती रही, तो वारकरी जूते हाथ में लेंगे ! – ह.भ.प. क्षीरसागर महाराज
वर्तमान में धर्मकार्य में राजनीतिक हस्तक्षेप बढ रहा है। पुलिस को साथ लेकर हिंदुत्ववादियोंका गला घोटा जा रहा है। अनिष्ट प्रवृत्तियोंपर रोक लगाने की अपेक्षा हिंदू जनजागृति समिति जैसे अच्छे कार्य करनेवाले संगठन को छला जा रहा है। पुलिसद्वारा ऐसी ही दमननीति चलती रही, तो वारकरी जूते हाथ में लेंगे।
सभा के लिए अनुमति नकारना अन्यायजनक ! – श्री. प्रवीण नाईक, हिंदू जनजागृति समिति
कानून और सुव्यवस्था के नामपर पुलिस ने अनुमति निरस्त कर दी; परंतु नगर जनपद का वातावरण देखते हुए प्रश्न उत्पन्न होता है कि क्या यह सत्य है ? २५ मार्च को सभा की अनुमति के लिए पुलिस को वैधानिक रूप से आवेदन दिया गया था। १ अप्रैल को सभा के लिए लिखित अनुमति प्राप्त हुई। तदुपरांत सभा का प्रचार-प्रसार आरंभ हुआ; परंतु अब अनुमति निरस्त की जाना अनुचित है। पुलिस जानती है कि श्रीरामनवमी के दिन तनावपूर्ण परिस्थिती किस के कारण उत्पन्न हुई। ऐसा होते हुए भी धर्मांधोंपर कार्यवाही की जाने की अपेक्षा हिंदुओंपर ही लाठी चलाई जा रही है। वैधानिक मार्ग से होनेवाले हिंदू संगठन को पुलिसद्वारा रोक क्यों लगाई जा रही है ? गत १३ वर्षों में समिति के उपक्रम के पश्चात पूरे देश में कहीं भी अनुचित घटना नहीं घटी है। ऐसा होते हुए भी हिंदू धर्मजागृति सभा के लिए अनुमति नकारी जाना अन्यायजनक है।
पुलिसद्वारा प्राप्त पत्रानुसार हम हिंदू धर्मजागृति सभा निरस्त कर रहे हैं, अपितु पुलिसद्वारा बार-बार होनेवाली हिंदुत्व की दमननीति के प्रति हम रोष व्यक्त करते हैं। श्री. प्रवीण नाईक ने यह बात स्पष्ट की कि, पालक मंत्री श्री. राम शिंदे को इस संदर्भ में हिंदुत्ववादियोंद्वारा निवेदन दिया जानेपर भी उन्होंने कोई कार्यवाही नहीं की है।
कानून और सुव्यवस्था के नामपर अनुमति निरस्त की जाना, पुलिस की अकार्यक्षमता ही है ! – संभाजी कदम, शिवसेना शहर प्रमुख, नगर
पुलिसद्वारा कानून और सुव्यवस्था बनाए रखने के नामपर धर्मजागृति सभा की अनुमति नकार कर अपनी अकार्यक्षमता ही प्रकट की गई है। नगर में इसके पहले भी हिंदू धर्मजागृति सभाएं हुई हैं। अबतक की सभाओंमे कभी किसी वक्ताद्वारा भावना भडकानेवाला अथवा आपत्तिजनक वक्तव्य नहीं दिया गया है। इस प्रकार से आरंभ में अनुमति देकर भी पश्चात उसे नकारने की इस घटना के प्रति मैं रोष व्यक्त करता हूं।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात