चैत्र शुक्लपक्ष द्वितीया / तृतीया, कलियुग वर्ष ५११७
सभी हिन्दूनिष्ठ संगठनोंके एकत्रित आने की आवश्यकता होते हुए भी समविचारी संगठनद्वारा जानबूझकर अनादर करनेवाले कथित हिन्दूनिष्ठ संगठन
एक राज्य के एक संगठन ने उनके एक वार्षिक समारोह हेतु हिन्दू जनजागृति समिति के एक कार्यकर्ताको वक्ता के रूप में निमंत्रित किया था; किंतु कार्यक्रम के समय समिति के कार्यकर्ताकी ओर अनदेखा कर उसका अनादर किया। (आज राष्ट्र एवं धर्म आपत्ति में हैं, ऐसे समय सर्व हिन्दूनिष्ठ संगठनोंके एकत्रित आने की आवश्यकता है। हिन्दूनिष्ठ संगठन का यह कृत्य दुर्दैवी है। ऐसे संगठनोंद्वारा हिन्दुओंका संगठन कैसे किया जाएगा ?- संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
इस संगठन ने हिन्दू जनजागृति समिति के एक स्थानीय कार्यकर्ताको दूरध्वनि कर संगठन के वार्षिक समारोह के लिए आमंत्रित किया तथा बताया था कि ‘आप को व्यासपीठ पर वक्तव्य देना है।’ इस कार्यक्रम के लिए समिति के २ कार्यकर्ता साढे चार घंटे यात्रा कर वहां गए थे; किंतु आयोजकोंने जानबूझकर समिति के कार्यकर्ताओंको व्यासपीठ पर आमंत्रित करना टाल दिया। तदुपरांत कार्यकर्ताओंने आयोजकोंको चिट्ठी भेज कर इस संदर्भ में नम्रतापूर्वक पूछा। उस पर आयोजकों में से एक ने व्यासपीठ पर दूरध्वनि किया तथा झूठा वक्तव्य दिया कि ‘समिति के कार्यकर्ता का नाम स्वागत पर वक्तव्य देने के लिए पुकारा गया था।’ (प्रत्यक्ष में वहां उपस्थित तीनों कार्यकर्ताओंने बताया कि आयोजकोंने समिति का नाम नहीं पुकारा था।)
कार्यक्रम के पश्चात संबंधित आयोजकोंसे कार्यकर्ताओंकी भेंट हुई।कार्यकर्ताओंने उन्हें अपने अनादर के संदर्भ में पूछा। उस पर उन्होंने पुनः झूठा वक्तव्य दिया कि ‘मैंने आप कानाम पुकारा था। यदि ऐसा मान लीजिए कि भूल से रह भी गया, तो वह गडबडी के कारण हुआ होगा।’ हम सूत्रसंचालकोंसे भेंट करेंगे, समिति के कार्यकर्ताद्वारा ऐसा सुझाने के पश्चात उन्होंने बताया कि ‘सूत्रसंचालक दिखाई नहीं दे रहे हैं। आप असंतुष्ट न हों। मैं आप से क्षमा मांगता हूं।’
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात