फाल्गुन कृष्णपक्ष द्वादशी, कलियुग वर्ष ५११६
निधर्मीपन के नाम पर पुलिसकर्मियोंकी पक्षपाती वृत्ति !
निपाणी-बेलगावी (कर्नाटक) : श्रीराम सेना के कार्यकर्ताओंद्वारा १२ फरवरी को ६ गोवंशियोंको लेकर पशुवधगृह जानेवाला वाहन कसाईयोंके साथ पकडा गया था। कसाईयोंके पास परिवहन तथा अन्य किसी भी प्रकार की अनुमति नहीं थी। ऐसा होते हुए भी पुलिस ने बल पूर्वक यह वाहन छोडने के लिए बाध्य किया। तदनंतर घटनास्थल पर उपस्थित एक पुलिस अधिकारी ने श्रीराम सेना के कार्यकर्ताओंपर ही लगान (खंडणी) प्राप्ति करने का अपराध प्रविष्ट करने की धमकी दी। (इससे यह स्पष्ट होता है कि निधर्मीपन के नाम पर पुलिसकर्मियों में ही कैसी पक्षपाती वृत्ति है ? हिन्दूनिष्ठोंको धमकी देनेवाले ऐसे कानूनद्रोही पुलिसकर्मियोंको हिन्दू राष्ट्र में आजन्म कडी साधना करने का दंड किया जाएगा ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
१. श्रीराम सेना के श्री. उत्तम कमते तथा श्री. मेघनाथ मोडीकर को यह सूचना प्राप्त हुई थी कि १२ फरवरी को दोपहर १.१५ बजे एक वाहन ६ गोवंशियोंको लेकर निपाणी से यमकणमड्डी के पशुवधगृह की ओर जा रहा है। उन्होंने शीघ्र ‘अमर उपहारगृह’ की ओर प्रस्थान कर अमर उपहारगृह के सामने वाहन को त्वरित रोक दिया।
२. उस समय वाहन के २ कसाई भाग गए, उर्वरित २ कसाईयोंको श्रीराम सेना के कार्यकर्ताओंद्वारा वाहन का अनुमतिपत्रक, पशु परिवहन करने का प्रमाणपत्र, साथ ही अन्य जानकारी मांगने के पश्चात कसाईयोंने टोलमटोल की। कुछ समय में ही घटनास्थल पर २५ धर्मांध उपस्थित हुए, साथ ही उन्होंने कार्यकर्ताओंके साथ अनबन करना आरंभ किया। (हिन्दुओ, धर्मांधोंद्वारा यह संगठित भाव सीखें ! कहां अपने धर्मबांधव आपत्ति में हैं, यह ध्यान में आते ही उनकी सहायता हेतु आनेवाले धर्मांध कहां, तो कहां हिन्दू आपत्ति में होते हुए किसी भी प्रकार की सहायता न करनेवाले जन्महिन्दूं ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
३. उस समय अधिवक्ता निलेश हत्ती घटनास्थल पर उपस्थित हुए। जब उन्होंने संबंधित व्यक्तियोंसे पूछताछ की, तो यह बात ध्यान में आई कि कसाईयोंके पास अनुमति नहीं है।
४. इस कालावधि में वहां दो पुलिस हवलदार भी उपस्थित हुए। उन्होंने हिन्दूनिष्ठोंकी बातें सुनने की अपेक्षा कसाईयोंको ही वाहन के साथ मुक्त कर दिया।
५. कुछ समय में एक पुलिस अधिकारी घटनास्थल पर आए तथा उन्होंने श्रीराम सेना के कार्यकर्ताओंको धमकी दी कि ‘गोवंश पकडने का अधिकार आप को किसने दिया ? वर्तमान में शहर में चोरी के साथ-साथ अन्य अपराध भी घट रहे हैं। अब तुम पर ही पथ पर चोरी का अपराध प्रविष्ट करता हूं।’ इस पुलिस अधिकारी ने श्रीराम सेना के कार्यकर्ताओंके नाम, उनके छायाचित्र, साथ ही दूरभाष क्रमांक लिख लिए।
६. इस गोवंशोंको बचाने में श्रीराम सेना के कार्यकर्ता सर्वश्री राजू कोपार्डे, अविराज शहा, प्रकाश खोत, समर्थ रसाळ, विजय कामते, श्रीनिवास चव्हाण, शैलेश सांगावकर सम्मिलित थे। (गोवंशोंकी रक्षा हेतु प्रयास करनेवाले श्रीराम सेना के सभी कार्यकर्ताओंका अभिनंदन ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात