छत्तीसगढ़ : जंगलों में घिरे 60 जवान अब तक नहीं लौटे

छत्तीसगढ़ के सुकमा में नक्सलियों के खिलाफ संयुक्त ऑपरेशन पर निकले सीआरपीएफ, कोबरा बटालियन और डीएफ के जवानों की तीन पार्टियां सोमवार देर रात तक जंगलों में फंसी थीं. पुलिस मुख्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, लगभग 60 जवान जंगलों से वापस कैंप तक नहीं पहुंच पाए हैं.

इस बीच आला अधिकारियों की बैठक जारी हैं. शहीद जवानों को मंगलवार को हेलीकाप्टर से जगदलपुर लाया जाएगा. उसके बाद रायपुर के पीटीएस मैदान में उन्हें श्रद्धांजलि दी जाएगी.

एडीजी नक्सल ऑपरेशन आर.के. विज ने बताया कि चिंतागुफा से दस किलोमीटर दूर कसलनार के पास नक्सलियों ने निशाना बनाया. इन सघन जंगलों में शनिवार से सीआरपीएफ, कोबरा बटालियन और डीएफ के जवान संयुक्त रूप से सर्चिंग पर निकले थे.

उन्होंने बताया कि जंगल में नक्सलियों की मौजूदगी की सूचना पुलिस टीम के पास थी. इसे देखते हुए ही ऑपरेशन किया जा रहा था. विज ने बताया कि जवानों के पास पर्याप्त बैकअप है. कुछ टीम अभी लौटी नहीं है. उसके आने के बाद स्थिति और स्पष्ट हो पाएगी.

गौरतलब है कि यह घटना उस समय हुई, जब राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ब्यूरो के पदाधिकारी जगदलपुर के दौरे पर थे.

बताया जा रहा है कि नक्सली भी सैकड़ों की संख्या में थे और जवानों को घेरकर तीन घंटे से ज्यादा समय तक फायरिंग की गई. नक्सली दो दिसंबर से पीएलजीए सप्ताह मनाने की तैयारी में थे. इसको लेकर सुकमा और आसपास के इलाकों में नक्सलियों ने पर्चे भी फेंके थे.

बताया जा रहा है कि मुठभेड़ में एक दर्जन से ज्यादा जवान घायल भी हुए हैं, जिनका सुकमा कैंप में प्राथमिक इलाज कराया जा रहा है. नक्सलियों के खिलाफ अभियान में सीआरपीएफ के आईजी एचएस सिद्धू भी शामिल थे. बताया जा रहा है कि सीआरपीएफ के आला अधिकारियों ने जगदलपुर कैंप में डेरा डाल दिया है.

– इनपुट IANS से

स्रोत : आज तक


देखिए सुकमा हमले में शहीद जवानों के PHOTOS और पढ़‍िए INSIDE STORY

 

(हमले की लोकेशन का ग्राफिकल प्रेजेंटेशन।)

जगदलपुर/रायपुर. वायुसेना के हेलिकॉप्टर पर हमले के दस दिन बाद नक्सलियों ने सुकमा जिले में ही सोमवार को फिर एक बड़ी वारदात को अंजाम दिया। चिंतागुफा से 11 किमी दूर एलमागुंडा पंचायत के कसलपाड़ गांव को घेरने पहुंचे सीआरपीएफ जवानों पर घात लगाए नक्सलियों ने अंधाधुंध फायरिंग कर दी। हमले में सीआरपीएफ के असिस्टेंट कमांडेंट राजेश कपूरिया और डिप्टी कमांडेंट बीसी वर्मा समेत 14 जवान शहीद हो गए। 15 जवानों को गोलियां लगी हैं, जिनमें तीन की हालत गंभीर है। इस मुठभेड़ में करीब आठ नक्सलियों के भी मारे जाने की खबर है।

जवानों की शहादत अनायास हुई घटना नहीं है, बल्कि यह नक्सलियों की सुनियोजित रणनीति की परिणति लग रही है। घटना के बाद जब पुलिस और गृह विभाग के आला अफसर कड़ियों को जोड़ रहे हैं तो ऐसा लग रहा है कि नक्सलियों ने फोर्स को झांसे से कसलपाड़ के आसपास बुलाया और उसके बाद उन्हें घेरकर भून डाला।

संकेत मिल रहे हैं कि नक्सलियों ने अपने इनफार्मर के जरिए ऑपरेशन पर निकले जवानों और उनके अफसरों तक यह सूचना पहुंचाई की कसलपाड़ गांव में नक्सलियों का जमावड़ा है। इस सूचना में यह भी बताया गया कि हाल में आईजी के साथ पिछले सप्ताह हुई मुठभेड़ में कुछ नक्सली मारे गए थे। मारे गए नक्सलियों को उसी गांव में जलाया गया है या फिर दफना दिया गया है। इसी सूचना के आधार पर 237 जवानों का दल कासुलपाड़ को गांव को घेरने पहुंचा था। फोर्स ने घेरा डाला ही था कि गांव के भीतर से नक्सलियों ने एक कोने में लाइट मशीनगनों से तगड़ी फायरिंग की। शहीद जवान इसी फायरिंग का शिकार हो गए।

प्राथमिक सूचना के आधार पर यह कहा जा रहा है कि नक्सलियों ने उसी मोर्च से जवानों का घेरा तोड़ा और बाहर निकल गए। यानी नक्सली पहले से घात लगाए बैठे थे। उनको पता था कि जवान उनकी खोज खबर लेने के लिए उस गांव में आने वाले हैं।

नक्सलियों के पास जवानों के पल-पल मूवमेंट की जानकारी थी। जवान उस एरिया में 29 नवंबर से निकले थे। वहां लगातार ऑपरेशन चला रहे थे। अलग-अलग स्थानों पर वे रात को कैंप भी कर रहे थे। इस कारण नक्सली उन पर बराबर नजर रखे हुए थे। इसी दौरान नक्सलियों ने जवानों के लिए अपना जाल फैलाया और इतनी बड़ी वारदात को अंजाम दिया।

सेंट्रल मिलिट्री कमीशन का हाथ

हमले में नक्सलियों की सेंट्रल मिलिट्री कमीशन का हाथ होने की आशंका जताई जा रही है। यह कमीशन ही बड़ी वारदातों की रणनीति तैयार करती है। सीआरसी(सेंट्रल रिजनल कमांड) 1 और 2 इस क्षेत्र में माह भर पहले ही आ चुकी थी। जो दरभा से लेकर सुकमा तक की रेकी कर रही थी। पुख्ता जानकारी के बाद मौका देखकर नक्सलियों ने पूरी ताकत से हमला बोल दिया। शीर्ष नेता देवजी और व्यंकटेश की इस इलाके मौजूदगी है।

(प्रातिनिधिक चित्र)

(शनिवार दोपहर- शनिवार को सीआरपीएफ, जिला पुलिस बल, कोबरा बटालियन का दल चिंतागुफा से अलग-अलग क्षेत्रों में सर्चिंग के लिए निकला)

चिंतागुफा के आसपास बड़े नक्सली कमांडर मौजूद, चुनौती से बौखलाए

चिंतागुफा के आसपास नक्सलियों के सबसे पुराने गढ़ पर पिछले एक माह से फोर्स ने जबर्दस्त दबाव बना दिया है। फोर्स इसे तोड़ने में जुट गई है, इसीलिए एक महीने में इसी इलाके में कम से कम फोर्स और नक्सलियों के चार एनकाउंटर हुए हैं। पुलिस के पास खुफिया सूचनाएं हैं कि इस वक्त चिंतागुफा के आसपास नक्सलियों के शीर्ष नेता देवजी और वैंकटेश, गुरिल्ला कमांडर हिड़मा और दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी का सचिव तथा खूंखार नक्सली रामन्ना भी मौजूद हो सकता है। दोरनापाल से जगरगुंडा के बीच जिस हिस्से में फोर्स ने नक्सलियों के दबदबे को कड़ी चुनौती दी है, वहां जंगल ज्यादा घना नहीं है और पहाड़ियां भी कम हैं। नक्सलियों ने इसी इलाके में पहली गुरिल्ला बटालियन बनाई थी।

(प्रातिनिधिक चित्र)

(सोमवार दोपहर 1 बजे- सोमवार को सीआरपीएफ, कोबरा और डीएफ के लगभग 240 जवान कसलपाड़ गांव से पहले जंगल में दाखिल हुए।)

चार मुठभेड़ों में दो जवान शहीद तथा दर्जनभर घायल

बरसात खत्म होने के बाद फोर्स ने इसी इलाके पर फोकस किया है, ताकि नक्सलियों की रीढ़ कमजोर की जाए। आला अफसरों ने माना कि इस इलाके में फोर्स चार-पांच बार घुस चुकी है और लगभग हर बार फायरिंग हुई है। इस वारदात से पहले इसी इलाके में हुई चार मुठभेड़ों में दो जवान शहीद हुए थे तथा दर्जनभर घायल हो चुके हैं। दस दिन पहले फोर्स के हमले में आधा दर्जन नक्सलियों के मारे जाने की खबर थी। शनिवार को चिंतागुफा के आसपास आठ अलग-अलग शिविरों से फोर्स इसी सूचना पर निकली थी कि मारे गए नक्सलियों को कासलबाड़ के आसपास जलाया या दफनाया गया है।

(प्रातिनिधिक चित्र)

(दोपहर 3 बजे- दोपहर करीब तीन बजे जंगल में छिपे 100 नक्सलियों ने संभवत: ‘यू’ शेप के एंबुश में सीआरपीएफ की टुकड़ी को घेर लिया।)

दिल्ली दौरा रद्द कर लौटे सीएम

मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह घटना के बाद रात को ही विशेष विमान से दिल्ली से लौट आए। वे तीन दिसंबर को लौटने वाले थे। रायपुर आते ही उन्होंने अपने निवास पर वरिष्ठ अफसरों की आपात बैठक बुलाकर स्थिति की समीक्षा की।

(दोपहर 3 से 3.30 बजे- नक्सलियों ने लाइट मशीनगनों से ताबड़तोड़ फायरिंग की। कुछ मिनट की फायरिंग में 14 जवान वहीं शहीद हो गए तथा 15 घायल।)

नक्सलियों ने भ्रम फैलाकर फोर्स को झांसे से बुलाया और भून डाला

जवानों की शहादत अनायास हुई घटना नहीं है, बल्कि यह नक्सलियों की सुनियोजित रणनीति की परिणति लग रही है। घटना के बाद जब पुलिस और गृह विभाग के आला अफसर कड़ियों को जोड़ रहे हैं तो ऐसा लग रहा है कि नक्सलियों ने फोर्स को झांसे से कसलपाड़ के आसपास बुलाया और उसके बाद उन्हें घेरकर भून डाला।

संकेत मिल रहे हैं कि नक्सलियों ने अपने इनफार्मर के जरिए ऑपरेशन पर निकले जवानों और उनके अफसरों तक यह सूचना पहुंचाई की कसलपाड़ गांव में नक्सलियों का जमावड़ा है। इस सूचना में यह भी बताया गया कि हाल में आईजी के साथ पिछले सप्ताह हुई मुठभेड़ में कुछ नक्सली मारे गए थे। मारे गए नक्सलियों को उसी गांव में जलाया गया है या फिर दफनाया दिया गया है। इसी सूचना के आधार पर 237 जवानों का दल कासुलपाड़ को गांव को घेरने पहुंचा था। फोर्स ने घेरा डाला ही था कि गांव के भीतर से नक्सलियों ने एक कोने में लाइट मशीनगनों से तगड़ी फायरिंग की। शहीद जवान इसी फायरिंग का शिकार हो गए।

प्राथमिक सूचना के आधार पर यह कहा जा रहा है कि नक्सलियों ने उसी माेर्चे से जवानाें का घेरा तोड़ा और बाहर निकल गए। यानी नक्सली पहले से घात लगाए बैठे थे। उनकाे पता था कि जवान उनकी खोज खबर लेने के लिए उस गांव में आने वाले हैं। गांव में कोई ऑपरेशन  चलाने के पहले ही नक्सलियों के एंबुश में जवान फंस गए। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हर बार की तरह इस बार नक्सलियों ने किसी प्रकार का विस्फोट नहीं किया। आमतौर पर पुलिस के वाहनों को  विस्फोट कर उनको घेरते हैं और फिर फायरिंग करते हैं। जवान क्रास फायरिंग तो करते रहे पर उनके पास बचने का मौका कम इसलिए था क्योंकि नक्सली पहले से माेर्चा संभाले बैठे थे।
नक्सलियों के पास जवानों के पल-पल मूवमेंट की जानकारी थी। जवान उस एरिया में 29 नवंबर से निकले थे। वहां लगातार अॉपरेशन चला रहे थे। अलग-अलग स्थानों पर वे रात को कैंप भी कर रहे थे। इस कारण नक्सली उन पर बराबर नजर रखे हुए थे। इसी दौरान नक्सलियों ने जवानों के लिए अपना जाल फैलाया और इतनी बड़ी वारदात को अंजाम दिया।

(प्रातिनिधिक चित्र)

(शाम 4.30 बजे- जवाबी फायरिंग में आठ नक्सली मारे गए। फिर नक्सली फायरिंग करते हुए जंगल में ही गायब हो गए। इलस्ट्रेशन -गौतम चक्रवर्ती शाम करीब साढ़े चार बजे घटना की जानकारी सेटेलाइट फोन से सीआरपीएफ मुख्यालय, दिल्ली को दी गई।)
 
दबाव की खीज

हमारे जवान नक्सल क्षेत्रों में नक्सलियों पर दबाव बनाए हुए हैं। नक्सली भारी संख्या में सरेंडर कर रहे हैं। नक्सलियों का हमला इसी की खीज है। यह कायराना हरकत है।”
रामसेवक पैकरा, गृहमंत्री छत्तीसगढ़

असावधानी का नतीजा

प्लानिंग और ऑपरेशन में असावधानी बरती गई होगी। जब उस इलाके में हमारे पक्ष के लोग नहीं हैं तो वहां संभलकर सर्चिंग करनी चाहिए। चिंतागुफा का क्षेत्र बेहद घना जंगल है। जब नक्सली सरेंडर कर रहे हैं तो फिर उस इलाके में अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए। वहां राजनीतिक से साथ सामाजिक-आर्थिक पहल की जानी चाहिए।”
अजीत जोगी, पूर्व सीएम

मोदी ने रमन से की बात, आज आएंगे राजनाथ सिंह

छत्तीसगढ़ के नक्सल हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह से फोन पर बात की और हालात की जानकारी ली। घायल जवानों को इलाज के लिए हेलिकॉप्टर से रायपुर लाया जा रहा है। जरूरत पड़ी तो उन्हें एयर एंबुलेंस से दिल्ली भेजा जाएगा। मंगलवार दोपहर 12.30 बजे तक गृहमंत्री राजनाथ सिंह भी छत्तीसगढ़ आ जाएंगे। वे घटनास्थल जाकर हालात का जायजा लेंगे। उन्होंने राज्य सरकार को भी पूरी मदद देने की भी बात कहे हैं।

स्रोत : दैनिक भास्कर

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