महाराष्ट्र के मालेगांव के हिंगड परिवार के लिए बुधवार बहुत बडी खुशी का दिन था । दरअसल बुधवार को हिंगड परिवार की सबसे बडी बेटी हिना हिंगड ने सूरत में आचार्य यशोवर्मा सुरेश्वर से जैन धर्म की दीक्षा ली और अपने जीवन का एक नया अध्याय शुरु किया । बता दें कि जैन धर्म की दीक्षा लेने के साथ ही हिना ने अपना घर छोड दिया और अब वह एक साध्वी का जीवन बिताएंगी । उल्लेखनीय है कि, हिना हिंगड हमेशा से ही पढाई में अच्छी रही हैं । हिना के दीक्षा कार्यक्रम के दौरान उनके चाचा ने बताया कि हिना ने मैट्रिक की परीक्षा में ९४ प्रतिशत, जूनियर कॉलेज में ८६ प्रतिशत अंक हासिल किए । हिना लोनी के विखे पाटिल मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की गोल्ड मेडलिस्ट हैं ।
मेडिकल की पढाई करने के बाद हिना महाराष्ट्र में मुंबई समेत ३ जगहों पर मेडिकल प्रैक्टिस भी कर चुकी हैं । हालांकि हिना को हमेशा से ही लगता था कि मेडिकल का फील्ड उनके लिए नहीं है । हिना के पिता का सपना था कि उनकी बेटी डॉक्टर बने और यही वजह थी कि हिना ने उनकी इच्छा के लिए मेडिकल की पढाई की । हिना जब १७ साल की थीं, तब पहली बार उनका झुकाव अध्यात्मिकता की आेर हुआ था और उस समय हिना ने ४५ दिनों तक ‘उत्थान तप’ किया था । उसके तुरंत बाद ही हिना ने अपने माता-पिता से संघ में शामिल होने की बात कही थी, जिस पर हिना के माता-पिता ने उसे थोडा इंतजार करने की बात कही थी । बता दें कि हिना के पिता अशोक हिंगड मालेगांव में सिंथेटिक यार्न बनाने का बिजनेस चलाते हैं और अरबपति माने जाते हैं ।
हिना ६ बहनों में सबसे बडी हैं और बाकी सभी बहनें मुंबई में रहकर पढाई कर रही हैं । हिना का परिवार मूलतः राजस्थान के पाली का रहने वाला है और पिछली २ पीढियों से महाराष्ट्र में रह रहा है । हिना की बहन मोक्षदा का कहना है कि हिना ने शादी से इंकार कर दिया था और बार बार परिजनों से साध्वी बनने की आज्ञा देने की विनती कर रही थी । हिना ने सबसे पहले दादा जी को दीक्षा लेने के लिए मनाया । उसके बाद दादाजी ने पूरे परिवार को इसके लिए मनाया । फिलहाल उनका पूरा परिवार हिना के इस निर्णय से काफी खुश है । जैन धर्म की दीक्षा लेने के बाद हिना ने केशदान किए और सफेद वस्त्र धारण कर घर छोड दिया है और अब हिना साध्वी विषारद माताजी के नाम से जानी जाएंगी ।
स्त्रोत : जनसत्ता