नारियल पूर्णिमा

नारियल पूर्णिमा प्राकृतिक परिवर्तनपर आधारित त्यौहार है । वर्षाकालके आरंभमें प्रथम दो महीने समुद्री व्यापार अथवा समुद्री-यात्रा करना संभव नहीं होता है । परंतु श्रावण पूर्णिमाके कालमें वर्र्षाका परिमाण घटता है । Read more »

श्रीकृष्णजन्माष्टमी

हिंदुस्थानमें ही नहीं, संपूर्ण विश्वमें श्रीकृष्णजन्माष्टमी अर्थात श्रीकृष्ण जयंती अत्यंत धूमधामसे मनाई जाती है । श्रीकृष्णजन्माष्टमी त्योहार, व्रत तथा उत्सव भी है । गोकुल, मथुरा, वृंदावन, द्वारका, पुरी ये सभी श्रीकृष्णकी उपासनासंबंधी पवित्र स्थल हैं, जहां यह उत्सव विशेष रूपसे मनाते हैं । Read more »

श्री गणेश चतुर्थी

श्री गणेश चतुर्थी पर तथा श्री गणेशोत्सवकाल में नित्यकी तुलना में पृथ्वीपर गणेशतत्त्व १ सहस्र गुना अधिक कार्यरत रहता है । इस काल में की गई श्री गणेशोपासना से गणेशतत्त्व का लाभ अधिक होता है । Read more »

श्रावण मासके व्रत

श्रावण मास कहते ही व्रतोंका स्मरण होता है । उपासनामें व्रतोंका महत्त्व अनन्यसाधारण है । सामान्य जनोंके लिए वेदानुसार आचरण करना कठिन है । इस कठिनाईको दूर करनेके लिए पुराणोमें व्रतोंका विधान बताया गया है । Read more »

श्रावणी सोमवार व्रत

श्रावण मासमें बच्चोंसे लेकर बडे-बूढोंतक सभीके द्वारा किया जानेवाला एक महत्त्वपूर्ण व्रत है, श्रावण सोमवारका व्रत । श्रावण सोमवारके व्रतसंबंधी उपास्य देवता हैं भगवान शिवजी । श्रावण महीनेमें हर सोमवार शंकरजीके मंदिर जाकर उनकी पूजा करें और संभव हो, तो निराहार उपवास रखें अथवा नक्त व्रत रखें । Read more »

शिवमुष्टि व्रत

विवाहके उपरांत पहले पांच वर्ष सुहागिनें क्रमसे यह व्रत करती हैं । इसमें श्रावणके प्रत्येक सोमवार एकभुक्त रहकर शिवलिंगकी पूजा करनेकी और चावल, तिल, मूंग, अलसी एवं सत्तू (पांचवा सोमवार आए तो) के धान्यकी पांच मुट्ठी देवतापर चढानेकी विधि है । शिवमुष्टि व्रतविधि शिवजीके देवालयमें जाकर की जाती है । Read more »

हरितालिका

पार्वतीने यह व्रत रखकर शिवजी को प्राप्त किया था । इसलिए इच्छानुसार वर मिलने के लिए, उसी प्रकार अखंड सौभाग्य प्राप्त करने के लिए स्त्रियां यह व्रत रखती हैं । Read more »

ऋषिपंचमी

‘जिन ऋषियोंने अपने तपोबल से विश्‍व के मानव पर अनंत उपकार किए हैं, जीवन को उचित दिशा दी है । उन ऋषियों का इस दिन स्मरण किया जाता है । Read more »

ज्येष्ठा गौरी

श्री महालक्ष्मी गौरीने भाद्रपद शुक्ल पक्ष अष्टमी के दिन असुरों का संहार कर शरण में आईं स्त्रियों के पतियों को तथा पृथ्वी के प्राणियों को सुखी किया । इसीलिए अखंड सुहाग की प्राप्ति हेतु स्त्रियां ज्येष्ठा गौरी का व्रत करती हैं । Read more »