गोवंश रक्षक धर्मसम्राट स्वामी करपात्रीजी महाराज !

सत्य के शोध के लिए स्वयं कृति कर समाज को दिशा देनेवाले करपात्री स्वामीजी हम सभी के लिए अत्यंत पूजनीय है । उनके नेतृत्व में वर्ष १९६६ में हुआ गोरक्षा आंदोलन भारतीय इतिहास का सबसे बडा आंदोलन कहा जा सकता है । Read more »

Watch Video : स्वतंत्रता के लिए प्रेरित करनेवाला महामंत्र ‘वन्दे मातरम्’ !

स्वतंत्रता प्राप्त करनेसे पूर्व भारतीयों ने अंग्रेजों की कुटिल राजनीति का सामना ‘वन्दे मातरम्’, की सामूहिक शंखध्वनि से किया । Read more »

गृहस्थ जीवन में होते हुए भी; सभी के सामने भावभक्ति का आदर्श रखनेवाले संत सावता महाराज !

कर्तव्य एवं कर्म करते रहना ही वास्तविक ईश्‍वरसेवा है’, ऐसे प्रवृत्तिमार्ग की शिक्षा देनेवाले संत ! वारकरी संप्रदाय में निहित एक वरिष्ठ एवं श्रेष्ठ संत, ऐसी उनकी ख्याती है। श्री विठ्ठल ही उनके परमदेवता थे। वे कभी पंढरपुर नहीं गए, अपितु प्रत्यक्षरूप से श्री विठ्ठल ही उनसे मिलने आ गए ! Read more »

खगोल शास्त्र एवं फलज्योतिष विज्ञान में अद्भुत संशोधन करनेवाले आचार्य वराहमिहीर

राजा विक्रमादित्य की राजधानी प्राचीन उज्जयिनी (आज का उज्जैन) नगरी से केवल २५ कि.मी. की दूरीपर कायथा गांव है। खगोल शास्त्र एवं फलज्योतिष विज्ञान में अद्भुत अविष्कार करनेवाले आचार्य वराहमिहीर की यह जन्मस्थली है। Read more »

मेवाडके महान राजा : महाराणा प्रताप सिंह

जिनका नाम लेकर दिनका शुभारंभ करे, ऐसे नामोंमें एक हैं, महाराना प्रताप । उनका नाम उन पराक्रमी राजाओंकी सूचिमें सुवर्णाक्षरोंमें लिखा गया है, जो देश, धर्म, संस्कृति तथा इस देशकी स्वतंत्रताकी रक्षा हेतु जीवनभर जूझते रहे ! Read more »

महाराजा भोज – एक विश्ववंदनीय शासक एवं माँ सरस्वती के वरदपुत्र

महाराजा भोज ने जहाँ अधर्म और अन्याय से जमकर लोहा लिया और अनाचारी क्रूर आतताइयों का मानमर्दन किया, वहीं अपने प्रजा वात्सल्य और साहित्य-कला अनुराग से वह पूरी मानवता के आभूषण बन गये। मध्यप्रदेश के सांस्कृतिक गौरव के जो स्मारक हमारे पास हैं, उनमें से अधिकांश राजा भोज की देन हैं। Read more »

महान योद्धा श्रीमन्त बाजीराव पेशवा

प्रख्यात बाजीराव प्रथम ने मात्र बीस वर्ष की आयु में अपने पिता से उत्तराधिकार में पेशवा का दायित्व ग्रहण किया और जिसने अपने शानदार सैन्य जीवन द्वारा हिंदूस्थान के इतिहास में एक विशेष स्थान बना लिया। Read more »

क्षात्रतेज तथा ब्राह्मतेज से ओतप्रोत, राष्ट्र-धर्म के रक्षक श्री गुरु गोविंदसिंह !

क्षात्रतेज तथा ब्राह्मतेजसे ओतप्रोत श्री गुरु गोविंदसिंहजीके विषयमें ऐसा कहा जाता है कि, ‘यदि वे न होते, तो सबकी सुन्नत होती ।’ यह शतप्रतिशत सत्य भी है । देश तथा धर्मके लिए कुछ करनेकी इच्छा गुरु गोविंदसिंहमें बचपनसेही पनप रही थी । Read more »