हिन्दू राष्ट्र हेतु कटिबद्ध हिन्दू जनजागृति समिति का मार्गक्रमण

प्रस्तावना

हिन्दुत्व के क्षेत्र में मंदिरों की रक्षा, गोरक्षा, धर्म-परिवर्तन रोकना, धर्मप्रसार आदि अनेक विविध विषयों पर कार्य करनेवाले अनेक संगठन हैं; परंतु हिन्दू जनजागृति समिति गत बारह वर्षों से हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के उद्देश्य से भारत सहित विदेश के हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों को एक ही मंच पर लाकर साधना की नींव पर कटिबद्ध मार्गक्रमण कर रही है ।

लेखक – पू. (डॉ.) चारूदत्त पिंगळे, राष्ट्रीय मार्गदर्शक, हिन्दू जनजागृति समिति.


१. हिन्दू जनजागृति समिति की स्थापना और उद्देश्य

भारतभूमि एक स्वयंभू हिन्दू राष्ट्र है । अधर्मी राज्यकर्ताआें ने इस हिन्दू राष्ट्र को धर्मनिरपेक्ष घोषित कर कलंकित किया है । वर्तमान लोकतंत्र हिन्दू धर्म पर आधारित न होने के कारण हिन्दू समाज और राष्ट्र की परम अधोगति हो गई है । यह अधोगति रोकने के लिए और भारतभूमि को पुनर्वैभव प्राप्त करवाने के लिए हिन्दू जनजागृति समिति कार्यरत है । छत्रपति शिवाजी महाराज ने जिस प्रकार सैनिकों का संगठन किया तथा हिन्दवी राज्य बने, यह ईश्‍वर की इच्छा है, इस श्रद्धा से हिन्दवी स्वराज्य की नींव रखी, उसी प्रकार धर्माधारित हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के लिए संगठन, संप्रदाय, जाति आदि बंधन भुलाकर हिन्दू जनजागृति समिति हिन्दुआें को संगठित कर रही है । हिन्दू राष्ट्र स्थापना के प्रेरणास्रोत परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवलेजी की प्रेरणा से घटस्थापना अर्थात नवरात्रि के प्रथम शुभ दिन ७ अक्टूबर २००२ को हिन्दू जनजागृति समिति स्थापित हुई है ।

२. समिति का कार्य

२ अ धर्मशिक्षा उपक्रम

२ अ १. धर्मशिक्षा वर्ग : धर्मशिक्षा वर्ग में दैनिक जीवन में आचारों का पालन कैसे करना चाहिए, देवताआें की उपासना, धार्मिक कृत्यों के पीछे का शास्त्र आदि प्रायोगिक विषयों सहित, हिन्दू किसे कहना चाहिए, हिन्दुआें के धर्मग्रंथों के विषय में मार्गदर्शन किया जाता है । हिन्दू धर्म पर छाए संकटों का भान करवाकर धर्महानि रोकने के लिए सक्रिय बनने हेतु प्रबोधन भी किया जाता है ।

२ अ २. दूरदर्शन वाहिनी और ध्वनिचित्र चक्रिकाआें द्वारा धर्मशिक्षा : हिन्दुआें को दूरदर्शन वाहिनियों के माध्यम से धर्मशिक्षा प्राप्त करवाने के लिए हिन्दू जनजागृति समितिने धार्मिक कृत्यों का शास्त्र नामक २०६ भागों का धर्मसत्संग धारावाहिक बनाया है । ६ राज्यों के ३० स्थानीय दूरदर्शन वाहिनियोंपर इसका नियमित प्रसारण किया जा रहा है । राष्ट्रीय वाहिनियां श्री शंकरा और सुदर्शन द्वारा इनका एशिया खंड में प्रसारण हुआ है । वर्तमान स्थिति में कन्नड, मराठी और तमिल भाषाआें में ११ वाहिनियों ने इस धर्मसत्संग की मांग की है ।

२ अ ३. फलकों के माध्यम से धर्मशिक्षा : मंदिर, मार्ग के चौराहे आदि सार्वजनिक स्थानों पर प्रतिदिन धर्मफलकों पर धर्मशिक्षा लिखी जाती है । मंदिरों में धर्मशिक्षा देनेवाले फलक लगाए गए हैं ।

२ अ ४. बालसंस्कार : हिन्दुओं की भावी पीढी को सुसंस्कारित और धर्मशिक्षित बनाने के लिए समिति की ओर से बालसंस्कारवर्ग लिए जाते हैं । समिति के जालस्थल balsanskar.com के माध्यम से भी बालकों एवं अभिभावकों / पालकों के लिए संतान पर सुसंस्कार करनेवाले लेख प्रसारित किए जाते हैं ।

२ आ. धर्मजागृति

२ आ १. व्याखान : धर्मरक्षा के प्रति जागृति निर्माण करने हेतु अन्य संगठन समिति के वक्ताआें को आमंत्रित करते हैं । स्थान-स्थान पर धर्मजागृति हेतु निःशुल्क व्याख्यान दिए जाते हैं ।

२ आ २. हिन्दू धर्मजागृति सभा : समिति ने आज तक ७ भाषाआें में ११ राज्यों में १०५० से अधिक धर्मजागृति सभाएं आयोजित की हैं । धर्मजागृति सभाआें में राष्ट्र और धर्म की वर्तमान स्थिति तथा उन पर उपाययोजना के संबंध में दिशादर्शन किया जाता है । इससे हिन्दू जागृत होते हैं तथा भविष्य में हिन्दू राष्ट्र स्थापना के उद्देश्य से विविध संगठनों के हिन्दुत्वनिष्ठ राष्ट्र और धर्म कार्य के लिए संगठित होते हैं । धर्मसभाआें के कारण अनेक स्थानों पर युवक व्यसनमुक्त हो गए हैं । अनेक गांवों में गुट आपसी मतभेद भुलाकर संगठित हुए हैं तथा हिन्दुआें की रक्षा के लिए एकत्रित आकर कार्य कर रहे हैं । स्थान-स्थान पर युवकों ने तिलक लगाना, नमस्कार करना, सात्त्विक वेशभूषा परिधान करना आदि धर्माचरण करना प्रारंभ कर दिया है ।

२ आ ३. धर्मशिक्षा, हिन्दू-संगठन एवं धर्मरक्षा के विषय में सार्वजनिक प्रदर्शनियां : समिति की ओर से सार्वजनिक धार्मिक उत्सव, मेले, धार्मिक कार्यक्रम, विवाह समारोह, राष्ट्रजागृति से संबंधित कार्यक्रम आदि स्थानों पर फलक प्रदर्शनी का आयोजन किया जाता है । इस प्रदर्शनी में कश्मीरी हिन्दुआें की रक्षा, बांग्लादेशी हिन्दुआें की दुरावस्था, धर्मशिक्षा, धर्मरक्षा, राष्ट्ररक्षा, हिन्दू राष्ट्र, क्रांतिकारियों का स्मरण, लव जिहाद, गंगा की रक्षा, गोरक्षा आदि विषयों पर धर्मजागृति फलकों का समावेश है । प्रदर्शनी के २०० से अधिक धर्मशिक्षा फलकों के संग्रह से पूर्ण समिति का ग्रंथ धर्मशिक्षा फलक उपलब्ध है ।

२ आ ४. दूरदर्शन वाहिनियों द्वारा आयोजित चर्चासत्रों में सहभाग : हिन्दू धर्म का पक्ष प्रस्तुत करने के लिए महाराष्ट्र, कर्नाटक, गोवा और देहली के दूरदर्शन वाहिनियों पर हिन्दू जनजागृति समिति के प्रवक्ता नियमित सम्मिलित होते हैं । नेपाल की दूरदर्शन वाहिनियों तथा आकाशवाणी ने भी इस वर्ष हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक पू. डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी से भेंटवार्ता की है ।

२ आ ५. ग्रंथ : समिति ने धर्मजागृति के लिए हिन्दू राष्ट्र क्यों चाहिए, गंगा की रक्षा, गोरक्षा, लव जिहाद, धर्म-परिवर्तन आदि विषयों पर ग्रंथ भी संकलित किए हैं ।

२ इ. धर्मरक्षा

२ इ १. देवता और राष्ट्रपुरुषों का अनादर रोकना : इसके लिए समिति प्रबोधन अभियान तथा वैधानिक मार्ग से आंदोलन करती है । देवताआें का अनादर करनेवाली २५ से अधिक चित्र प्रदर्शनियां, १५ से अधिक नाटिकाआें का प्रस्तुतीकरण, कानूनी संघर्ष द्वारा ३ विज्ञापन और जालस्थल द्वारा प्रबोधन कर ३०० से अधिक अनादर रोके हैं । चलचित्र सिंघम रिटर्न्स और गुरुपूर्णिमा में हिन्दू धर्म की हानि करनेवाले प्रसंग समिति के आंदोलन के पश्‍चात इन चलचित्रों के निर्माताआें ने इन चलचित्रों से हटा दिए हैं । समिति के कार्यकर्ता स्थान-स्थान पर प्रबोधन कर उत्पादों के आच्छादन, पटिया (फर्श) आदि स्थानों पर होनेवाला देवताआें का अनादर रोकते हैं ।

२ इ २. हिन्दूद्वेषी जाकिर नाईक के विरोध में सफल संघर्ष : जाकिर नाईक ने पीस टी.वी. और फेसबुक द्वारा किया देवताआें का अपमान तथा धर्म-परिवर्तन हेतु प्रवृत्त करनेवाले लेखों के विरोध में समिति ने उनके विरुद्ध ६७ परिवाद अर्थात शिकायत एवं ४ अपराध प्रविष्ट किए हैं । मुंबई, मुंब्रा एवं मैंगलोर में होनेवाली जाकिर नाईक की अंतरराष्ट्रीय इस्लामी परिषद की अनुमति निरस्त करने हेतु पुलिस को बाध्य किया तथा सरकार को प्रतिबंधित पीस टी.वी. वाहिनी का अवैध प्रसारण रोकने के आदेश देने हेतु बाध्य किया ।

२ इ ३. धर्मद्वेषियों के मन में भय उत्पन्न करनेवाला म.फि. हुसैन विरोधी आंदोलन ! : चित्रकार म.फि. हुसैन ने हिन्दू देवता एवं भारतमाता के अश्‍लील एवं नग्न चित्र बनाकर उन्हें प्रदर्शनी के द्वारा बेचा । उसके विरोध में समिति ने १२५ स्थानों पर आंदोलन किए, पुलिस में १ हजार २५० परिवाद तथा न्यायालय में ४ दावे प्रविष्ट किए । शासन द्वारा उन्हें दिए गए पुरस्कार लौटाने की मांग की । उनके जीवन पर आधारित नाटक पेन्सिल से ब्रश तक का विरोध किया । समिति के द्वारा किए गए विरोध के कारण उनके लिए घोषित केरल शासन का राजा रवि वर्मा पुरस्कार, रूपधर जीवनगौरव पुरस्कार और दुबई में दिया जानेवाला भोरूका ट्रस्ट का पुरस्कार एवं १५ से अधिक चित्रप्रदर्शनियां तथा उनके चित्रवाला सिंगापुर की एबीएन एम्रो बैंक का क्रेडिट कार्ड निरस्त किया गया ।

२ इ ४. समिति द्वारा पटाखा प्रतिष्ठानों से किया गया पत्रव्यवहार और विक्रेताआें के प्रबोधन के कारण देवता और राष्ट्रपुरुषों के चित्रोंवाले पटाखों का विक्रय अधिकतर बंद हो गया है ।

२ इ ५. संतों की अपकीर्ति के विरोध में आंदोलन : समिति ने जगद्गुरु शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती को बंदी बनाए जाने, संत तुकाराम महाराज के चरित्र पर कीचड उछालनेवाले साहित्यिक डॉ. आनंद यादव के विरुद्ध वारकरियों के साथ आंदोलन किया । सनातन संस्था के संस्थापक प.पू. डॉ. जयंत आठवले के विरुद्ध गोवा पुलिस ने झूठा चैप्टर केस प्रविष्ट करने के प्रकरण में गोवा, महाराष्ट्र और कर्नाटक राज्यों में आंदोलन किए । संत-महंतों की अपकीर्ति करनेवाले राष्ट्रव्यापी षड्यंत्र के निषेध हेतु स्थान-स्थान पर निषेधसभा, निषेधफेरियां एवं प्रदर्शन किए जाते हैं ।

२ इ ६. सार्वजनिक धार्मिक उत्सवों में होनेवाले अनुचित कृत्यों के विरोध में प्रबोधन : त्यौहार-उत्सव धर्मशास्त्र के अनुसार मनाना तथा उत्सवों में राष्ट्र और धर्म हानि रोकने के लिए समिति प्रबोधन करनेवाले पत्रकों का वितरण और जनजागृति करती है । होली, गणेशोत्सव, नवरात्रि के समय बलपूर्वक चंदा वसूलना, ध्वनि प्रदूषण तथा शोभायात्रा में गुलाल का अत्यधिक मात्रा में उपयोग, मद्यपान, विकृत नृत्य, महिलाआें के साथ असभ्य वर्तन आदि रोकने के लिए प्रबोधन किया जाता है ।

२ इ ७ अ. गणेशमूर्ति विसर्जन अभियान : अंनिस के धर्मविरोधी मूर्तिदान अभियानका विरोध कर धर्मशास्त्रानुसार मूर्ति विसर्जन करने के संबंध में समिति प्रबोधन करती है ।

२ इ ७ आ. धूलिवंदन और रंगपंचमी के दिन जलाशय रक्षा उपक्रम : पुणे स्थित खडकवासला जलाशय में रंगपंचमी को होनेवाले जलप्रदूषण और उत्सव के विकृतिकरण के विरुद्ध में किए जानेवाले अभियान को निरंतर १४ वर्षों से १०० प्रतिशत सफलता प्राप्त हो रही है ।

२ इ ८. पाश्‍चात्त्य कुप्रथाआें का विरोध : समिति पाश्‍चात्य कुप्रथाआें का अंधानुकरण करनेवाले युवकों को हिन्दू धर्मशास्त्रानुसार आचरण करने के विषय में मार्गदर्शन करती है । नैतिकता का अध:पतन करनेवाले वैलेंटाईन डे के समान पाश्‍चात्यों की डे प्रथा के विरुद्ध युवकों में समिति जागृति करती है ।

२ इ ८ अ. हिन्दू विद्यार्थियों को धर्माचरण करने एवं हिन्दू त्यौहारों के अवकाश को विरोध करनेवाले ईसाई विद्यालयों के विरुद्ध समिति ने आंदोलन किए हैं ।

२ इ ९. मंदिररक्षा उपक्रम

२ इ ९ अ. मंदिरों में स्थित मूर्तियों का भंजन और चोरियां : इसके विरुद्ध गोवा राज्य में मंदिरों के न्यासी एवं श्रद्धालुआें को संगठित कर समिति ने विविध प्रकार के आंदोलन किए और गोवा शासन को धर्म पर होनेवाले आघातों की ओर ध्यान देने हेतु बाध्य किया ।

२ इ ९ आ. मंदिर तोडने के शासकीय षड्यंत्र के विरुद्ध अभियान : अतिक्रमण, मार्ग के चौडीकरण के नाम पर महाराष्ट्र, गोवा और कर्नाटक राज्यों में केवल हिन्दुआें के सहस्रों मंदिरों को अवैध ठहराकर उन्हें तोडने के शासकीय षड्यंत्र के विरुद्ध समिति ने आंदोलन किया । इसलिए शासन को ऐसे मंदिरों की सूचि से सैकडों मंदिर हटाने पडे । मंदिरों की रक्षा के लिए समिति ने मंदिरों के न्यासियों का संगठन भी किया तथा मंदिर रक्षा समिति की स्थापना की ।

२ इ ९ इ. मंदिरों का सरकारीकरण : हिन्दू विरोधी इस कानून के विरुद्ध जनजागृति की । परिणामस्वरूप शासन ने दो लाख मंदिरों के सरकारीकरण का प्रस्ताव रोका ।

२ इ ९ ई. मंदिर में होनेवाले भ्रष्टाचारों के विरोध में आंदोलन : हिन्दू विधिज्ञ परिषद ने पश्‍चिम महाराष्ट्र देवस्थान समिति का भ्रष्टाचार उजागर किया था । तत्पश्‍चात हिन्दू जनजागृति समिति ने कोल्हापुर के हिन्दू संगठनों की सहायता से सफल आंदोलन किया । परिणामस्वरूप शासन ने मंदिर में होनेवाले भ्रष्टाचार के विरोध में अन्वेषण करने हेतु समिति नियुक्त करने का आदेश दिया ।

महाराष्ट्र की पंढरपूर देवस्थान की भूमि पर अतिक्रमण हो गया था, वह पुनः प्राप्त करने के लिए हिन्दू जनजागृति समिति ने मुंबई उच्च न्यायालय में याचिका प्रविष्ट की थी । परिणामस्वरूप उच्च न्यायालय ने नवंबर २०१४ तक देवस्थान को लगभग ३०० एकड भूमि पुनः प्राप्त करवा दी । देवस्थान समिति पर उपजिलाधिकारी दर्जे का एक पूर्णकालीन अधिकारी नियुक्त किया गया । समिति का यह न्यायालयीन संघर्ष अभी तक चल रहा है ।

२ इ १०. धर्मद्रोही कानून के विरोध में संघर्ष : समिति ने चौदह वर्ष महाराष्ट्र में अंधश्रद्धा विरोधी कानून के विरोध में राज्यव्यापी आंदोलन कर संघर्ष किया है । परिणामस्वरूप अंधश्रद्धा निर्मूलन कानून की २७ में से १६ हिन्दू विरोधी धाराएं निरस्त कर अध्यादेश जारी कर कानून बनाया गया । समिति ने सांप्रदायिक हिंसा अधिनियम नामक हिन्दू विरोधी कानून का भी तीव्र विरोध किया है ।

२ इ ११. लव जिहाद के विषय में व्यापक जनजागृति : हिन्दू युवतियों को प्रेम के जाल में फंसाकर उनका धर्म-परिवर्तन करने का षड्यंत्र रोकने के लिए समिति व्याख्यान, चर्चासत्र, पत्रक आदि द्वारा जागृति करती है । युवतियों के लिए हिन्दू धर्म की महानता बतानेवाला धर्मशिक्षावर्ग तथा स्वरक्षा प्रशिक्षणवर्ग का आयोजन करती है । लव जिहाद के विषय में हिन्दू युवतियों में व्यापक जागृति करने के लिए समिति द्वारा रणरागिणी शाखा की स्थापना की गई है ।

२ इ १२. हिन्दू धर्मप्रथा रक्षा अभियान : शनिशिंगणापुर स्थित श्रीशनिदेव का दर्शन करने हेतु देवस्थान ने स्त्री-पुरुष ऐसा कोई भेद नहीं किया है । सभी को एक निश्‍चित दूरी से दर्शन करने की सुविधा उपलब्ध है; तब भी सीधे शनिदेव के चबूतरे पर चढकर धार्मिक प्रथा तोडने का अट्टाहास कुछ अहंकारी और प्रसिद्धी की लालसा रखनेवाली महिलाआें ने किया है । तब हिन्दू जनजागृति समिति के नेतृत्व मेंे हिन्दू धर्मप्रथा रक्षा अभियान किया गया । इस अभियान द्वारा शासन से वैधानिक मांग की गई कि धर्मपरंपराआें पर आघात करनेवाले अनुचित और धार्मिक प्रथाआें का अनादर करनेवाले कृत्य शनिशिंगणापुर तथा अन्य तीर्थक्षेत्रों पर न हों, इसलिए शासन स्थायी रूप से सतर्क रहकर उपाय योजना बनाए । भारतीय संविधान ने प्रत्येक को धार्मिक प्रथा-परंपराआें का पालन और रक्षा करने का अधिकार दिया है, यह पुरोगामी सुविधाजनक रूप से भूल क्यों जाते हैं ?

२ ई. राष्ट्ररक्षा उपक्रम

२ ई १. राष्ट्रध्वज के अवमान के विरोध में आंदोलनों की सफलता : ध्वजारोहण के पश्‍चात प्लास्टिक के राष्ट्रध्वज कचरे में न फेंके जाएं, इसके लिए हिन्दू जनजागृति समिति १२ वर्षों से प्रबोधन अभियान चला रही है । समिति के प्रयासों के कारण महाराष्ट्र शासन को प्लास्टिक के राष्ट्रध्वजों पर प्रतिबंध लगाने की अधिसूचना जारी करनी पडी । न्यायालय के निर्देशानुसार राष्ट्रध्वज का अपमान टालने के लिए महाराष्ट्र शासन को एक शासकीय तंत्र बनाना पडा है तथा राष्ट्रध्वज का अनादर न हो इसके लिए व्यापक प्रसार भी करना पडा । राष्ट्रध्वज का अनादर रोकने के विषय में हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा दी गई जनहित याचिका के कारण मुंबई उच्च न्यायालय ने विद्यालयीन पाठ्यक्रम में राष्ट्रध्वज का सम्मान करने के विषय के सूत्र अंतर्भूत करने के आदेश दिए हैं तथा अब यह प्रक्रिया प्रारंभ भी हो गई है ।

२ ई २. भारत के मानचित्र का विकृतिकरण रोकनेवाला अखंड भारत अभियान ! : मानचित्र में कश्मीर राज्य का भूभाग चीन और पाकिस्तान में दिखाकर भारत के मानचित्र का विकृतीकरण करनेवाले जालस्थल और निजी प्रतिष्ठानों के विरोध में समिति अखंड भारत अभियान चलाती है । समिति के पत्रव्यवहार के पश्‍चात विदेशी प्रतिष्ठान बी एंड आर ऑटोमेशन और स्ट्रेटेजिक स्टडीज और इन्स्टिट्यूट ऑफ द यू.एस आर्मी वॉर कॉलेज ने भारतीय मानचित्र का विकृतिकरण करना रोक दिया ।

२ ई ३. पाठ्यपुस्तकों में इतिहास के विकृत प्रस्तुतीकरण के विरुद्ध सफल आंदोलन ! : पाठ्यपुस्तकों में हिन्दुआें के पराक्रमी इतिहास का विकृतिकरण रोकने के लिए समिति ने गोवा में विद्यार्थी, अभिभावक (पालक) और शिक्षकों को एकत्रित कर जनआंदोलन किया । मुगलों का उदात्तीकरण और भारतीय इतिहास का विकृतिकरण करनेवाले पाठ्यपुस्तकों के विरुद्ध समिति द्वारा किए गए संघर्ष के कारण गोवा शासन ने दसवीं की इतिहास की पुस्तक निरस्त की तथा सातवीं की पुस्तक में छत्रपति शिवाजी महाराज का एक पृथक पाठ अंतर्भूत किया । केंद्रीय पाठ्यक्रम के पाठ्यपुस्तकों में इतिहास के विकृतिकरण के विरोध में भी समिति जागृति करती है ।

२ ई ४. राष्ट्रपुरुषों के स्मृतिदिन के अवसर पर कार्यक्रम : समिति शिवजयंती, महारानी लक्ष्मीबाई बलिदान दिन और स्वा. सावरकर पुण्यतिथि के अवसर पर सार्वजनिक कार्यक्रम आयोजित करती है । रोहिडेश्‍वर किले पर शिवराज्याभिषेक के दिन समारोह और पावनखिंड में बाजीप्रभु देशपांडे बलिदानदिन के अवसर पर कार्यक्रम आयोजित किए गए ।

२ ई ५. धर्म-परिवर्तन के विरोध में जनजागृति ! : हिन्दुआें को प्रलोभन देकर उनका धर्म-परिवर्तन करनेवाले ईसाई धर्मप्रचारक और उनके धर्म-परिवर्तन के कार्यक्रम के विरुद्ध समिति जागृति करती है । ऐसे धर्म-परिवर्तन के कार्यक्रमों मे विरुद्ध परिवाद भी प्रविष्ट किए जाते हैं । सनातन हिन्दू धर्म दीक्षा केंद्र के माध्यम से समिति धर्मांतरितों को हिन्दू धर्म में पुनर्प्रवेश भी करवाती है ।

२ ई ६. गोरक्षा : समिति द्वारा किए गए सफल आंदोलन के कारण महाराष्ट्र शासन ने नंदूरबार का अवैध पशुवधगृह बंद कर दिया है । समिति की शाखा हिन्दू विधिज्ञ परिषद द्वारा प्रविष्ट की गई जनहित याचिका के पश्‍चात शासन ने अवैध पशुवधगृह बंद करने का आदेश दिया है ।

२ ई ७. स्वरक्षा प्रशिक्षणवर्ग : सभी को स्वरक्षा के लिए सिद्ध करने के उद्देश्य से समिति ने महाराष्ट्र, गोवा और कर्नाटक में ४९ स्वरक्षा प्रशिक्षणवर्ग प्रारंभ किए हैं ।

२ उ. हिन्दू-संगठन

२ उ १. हिन्दूसंगठन मेले : गुरुपूर्णिमा के अवसर पर विविध स्थानों पर प्रतिवर्ष हिन्दू संगठन मेलों का आयोजन किया जाता है ।

२ उ २. हिन्दू अधिवेशन : बहुसंख्यक हिन्दुआें का प्रतिनिधित्व करनेवाले हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों और संप्रदायों को हिन्दुआें की रक्षा के लिए कृतिप्रवण होना पड रहा है । हिन्दू समाज संगठित होकर हिन्दू राष्ट्र की स्थापना हों इसलिए समिति गत चार वर्षों से जून महीने में हिन्दू संगठनों का अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशन आयोजित कर रही है । हिन्दू अधिवेशन हिन्दूहितों का मंथन करनेवाला व्यासपीठ है । चतुर्थ अखिल भारतीय अधिवेशन में ३ देश, २२ राज्यों के विविध २०० हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों के ४०० प्रतिनिधि सम्मिलित हुए थे ।

इस अधिवेशन में हिन्दू संगठन में आनेवाली समस्याएं, बाधाएं प्रस्तुत की जाती हैं । हिन्दू संगठनों के एक व्यासपीठ पर आने से विचारों एवं अनुभवों का आदानप्रदान होता है । गोहत्या रोकना, धर्म-परिवर्तन रोकना, संस्कृतिरक्षा, मंदिर-संवर्धन आदि हिन्दू संगठनों के पारंपरिक अभियान अधिक प्रभावी रूप से क्रियान्वित करने के विषय में विचारमंथन होता है । इस विचारमंथन से अपने क्षेत्र में कार्य करने की नई प्रेरणा और दिशा मिलती है । अधिवेशन के निमित्त विविध राज्यों के हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों के प्रमुख पांच-सात दिन एकत्रित रहते हैं, जिससे उनमें परस्पर निकटता उत्पन्न होती है । इसलिए हिन्दुत्व के कार्य को गति प्राप्त होती है । हिन्दू अधिवेशन हिन्दू राष्ट्र स्थापना का यज्ञकुंड है । इन अधिवेशनों की यह श्रृंखला भविष्य में एक नए इतिहास को निश्‍चित मोड देगी ।

२ उ ३. राष्ट्रीय हिन्दू आंदोलन : हिन्दुआें की राष्ट्रीय और धार्मिक समस्याआें के विरोध में प्रत्येक महीने में देशभर में ५० स्थानों पर निरंतर राष्ट्रीय हिन्दू आंदोलन किए जा रहे हैं । विविध स्थानीय हिन्दू संगठनों के प्रतिनिधि इस आंदोलन में सम्मिलित होते हैं । उनके विचार प्रस्तुत करते हैं तथा शासन और प्रशासन को निवेदन देते हैं । हस्ताक्षर अभियान चलाते हैं । इसलिए हिन्दुआें की न्यायिक मांगें और संगठित आवाज शासन तक पहुंचाने में सहायता होती है ।

२ उ ४. वारकरी अधिवेशन : वारकरी संप्रदाय को धर्मरक्षा के कार्य में सक्रिय बनाने के उद्देश्य से पुणे स्थित आळंदी में हिन्दू जनजागृति समिति ने वारकरी अधिवेशन आयोजित किया था ।

२ ऊ. समाजसहायता

२ ऊ १. असम में दंगाग्रस्त विस्थापितों की सहायता : असम में ईसाई बोडो आतंकवादियों द्वारा दंगा किया गया था । तत्पश्‍चात वहां से विस्थापित हुए हिन्दुआें को भोजन, निवास आदि के लिए हिन्दू जनजागृति समिति ने आर्थिक सहायता की ।

२ ऊ २. देवभूमि रक्षा अभियान : उत्तराखंड में आई बाढ के समय समिति के कार्यकर्ताआें ने अन्य हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों की सहायता से पीडितों की सहायता की ।

२ ऊ ३. देवभूमि नेपाल सहायता अभियान : नेपाल में आए भूकंप के पश्‍चात समिति ने भारत और नेपाल के हिन्दू संगठनों की सहायता से देवभूमि नेपाल सहायता अभियान के अंतर्गत भूकंप ग्रस्तों को अत्यावश्यक वस्तुआें का वितरण और आपत्कालीन सहायता की ।

२ ऊ ४. पाकिस्तानी विस्थापितों के संदर्भ मे केंद्र शासन की बैठक में उपस्थिति : केंद्र शासन ने पाक से विस्थापित हुए हिन्दुआें के संदर्भ में आयोजित केंद्रस्तरीय बैठक में पाक से विस्थापित हुए हिन्दुआें के विषय में आवाज उठाने के कारण हिन्दू जनजागृति समिति को भी आमंत्रित किया था । इस बैठक में समिति ने भूमिका प्रस्तुत करते हुए कहा कि पाक से भारत में आए हुए शरणार्थी हिन्दुआें को भारत की नागरिकता मिलनी चाहिए । इस समय हिन्दू जनजागृति समिति ने प्रतिपादित किया कि केंद्र शासन को बांग्लादेश से भारत आए हुए शरणार्थी हिन्दुआें को भी भारतीय नागरिकता देने संबंधी कदम उठाने चाहिए । तब केंद्र शासन ने इस संदर्भ में केंद्रस्तरीय बैठक आयोजित करने का आश्‍वासन दिया तथा संबंधित प्रक्रिया भी शासन ने प्रारंभ कर दी है ।

२ ए. सामाजिक उपक्रम

२ ए १. समाजहित के कार्य के स्वरूप समिति सामूहिक मंदिरस्वच्छता, रक्तदान शिविर, स्वास्थ्य शिबिर, अन्नदान, गरीबों को कपडे और बहियों का वितरण, बाढ पीडितों की सहायता, वृक्षारोपण, नि:शुल्क प्रथमोपचार प्रशिक्षणवर्ग आदि का आयोजन करती है ।

३. न्यायालयीन संघर्ष

हिन्दुआें को अन्याय के विरुद्ध लडने में सहायता करनेवाली समिति की शाखा न्यायालयीन अन्याय निवारण समिति अब हिन्दू विधिज्ञ परिषद के माध्यम से कार्य करती है । हिन्दुआें पर हुए अन्याय के विरुद्ध उनकी सहायता करना तथा जनहित याचिका प्रविष्ट करना, सूचना के अधिकारों के अंतर्गत जानकारी प्राप्त कर परिषद ने समिति को मंदिर के भ्रष्टाचार के विरुद्ध आंदोलन में सहायता की है । हिन्दू, हिन्दू धर्म और धर्मियों की रक्षा के लिए कार्यान्वित हिन्दू विधिज्ञ परिषद सर्वत्र के हिन्दू संगठनों के लिए एक आधार बन गई है । हिन्दू विधिज्ञ परिषद से मिलनेवाला निःशुल्क वैधानिक मार्गदर्शन और सहायता अनेक हिन्दुत्वनिष्ठों को अन्याय के विरोध में लडने हेतु बल दे रही है । मुंबई के आजाद मैदान पर हुए दंगे के प्रकरण में रजा अकादमी से हानिभरपाई वसूल करने का आदेश न्यायालय ने दिया है । यह परिषद के कार्य का एक फल है ।

३ अ. कुंभमेले के व्यवस्थापन के विषय में याचिका : इस वर्ष नासिक में संपन्न हुए कुंभमेले के संदर्भ में केंद्र शासन और महाराष्ट्र शासन द्वारा आवश्यक प्रयास न होने के कारण समिति ने इस प्रकरण में मुंबई उच्च न्यायालय में याचिका प्रविष्ट की थी । कुंभमेले में देशभर से श्रद्धालु आते हैं इसकी गंभीरता देखते हुए न्यायालय ने केंद्रशासन, राज्यशासन और नासिक महानगरपालिका को अपना मत प्रस्तुत करने का आदेश दिया ।

३ आ. दूरदर्शन-वाहिनियां हिन्दू धर्म और संतों के विरोध में एक पक्षीय समाचार अथवा कार्यक्रम प्रस्तुत न करें, इसलिए हिन्दू जनजागृति समिति ने सर्वोच्च न्यायालय में जनहित याचिका प्रविष्ट की है । समाचार वाहिनियों अथवा मनोरंजक कार्यक्रम दिखानेवाले दूरचित्र प्रणालों पर यथायोग्य नियंत्रण रखनेवाला संवैधानिक तंत्र होना चाहिए, ऐसी मांग करनेवाली याचिका पर केंद्र शासन अपना मत प्रस्तुत करे, ऐसा आदेश सर्वोच्च न्यायालय ने दिया है ।

३ इ. महाराष्ट्र राज्य में स्थित अवैध पशुवधगृहों के विरोध में और उन पर कार्यवाही न करनेवाले शासकीय अधिकारियों के विरोध में हिन्दू जनजागृति समिति ने मुंबई उच्च न्यायालय में जनहित याचिका प्रविष्ट की है ।

४. हिन्दू जनजागृति समिति का जाल स्थल Hindujagruti.org

के १७५ देशों में ८ लाख पाठक हैं । यह जालस्थल संसारभर के हिन्दुत्वनिष्ठ जालस्थलों में अग्रिम है । इस जालस्थल पर हिन्दुआें पर होनेवाले आघातों के समाचार, हिन्दू धर्म के विषय में जागृति करनेवाले ३०० से अधिक लेख, धार्मिक कृत्यों के प्रात्यक्षिकों के विषय में वीडियो गैलरी, हिन्दुआें का प्राचीन गौरवशाली इतिहास आदि उपलब्ध है । समिति के जालस्थल के माध्यम से चलाए गए अभियान जागतिक स्तर पर पहुंच गए हैं ।

५. हिन्दू राष्ट्र स्थापित करने के लिए हिन्दू जनजागृति समिति कटिबद्ध

ईश्‍वर की कृपा, संतों के आशीर्वाद, लगन से कार्य करनेवाले कार्यकर्ताआ तथा धर्मप्रेमियों के सहयोग से समिति का कार्य पूरे देश में फैल रहा है । हिन्दू जनजागृति समिति ने चौदह वर्ष पहले जिस हिन्दू राष्ट्र स्थापना के यज्ञकुंड में अग्नि जलाई थी, उसकी लपटें अब केवल भारत तक सीमित नहीं रह गई हैं; देश-विदेश के हिन्दुआें तक एकता का संदेश लेकर पहुंच रही हैं ।

जयतु जयतु हिन्दुराष्ट्रम् ।

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