अ. ‘हिन्दू राष्ट्र’ स्थापित कर सर्व जाति-पन्थों का परमकल्याण साधा जा सकता है, यह छत्रपति शिवाजी महाराज ने सिद्ध कर दिखाया है । अतः यदि ऐसा परिवर्तन हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के कारण होता होगा, तो उसमें कोई आपत्तिजनक बात नहीं है ।
आ. पोप जॉन पॉल (द्वितीय) १९९९ में भारत की यात्रा पर आए थे । उस समय उन्होंने कहा था कि ‘सम्पूर्ण भारत को ईसाई बनाना है ।’ इस वक्तव्य को आजतक किसी ने असंवैधानिक क्यों नहीं माना ?
इ. अत्यंत विकसित और लोकतान्त्रिक देश होने पर भी इंग्लैण्ड एक ‘ईसाई’ राष्ट्र हो सकता है; तब ८० तिशत हिन्दू जनसंख्यावाला भारत देश ‘हिन्दू राष्ट्र’ क्यों नहीं बन सकता ?
ई. पाकिस्तान और बांग्लादेश के संविधान में ‘इस्लामिक रिपब्लिक’ लिखा है; तब भारत के संविधान में, ‘हिन्दू गणराज्य’ शब्द क्यों नहीं लिखा जा सकता ? जब इस्लामी राष्ट्रों में हिन्दू रह सकते हैं; तो ‘हिन्दू राष्ट्र में मुसलमान और ईसाई नहीं रह सकते, ऐसा कभी हो सकता’ है क्या ?
उ. स्वाधीनता के समय भारत में रहनेवाले तत्कालीन मुसलमानों ने अपने लिए धर्म पर आधारित पाकिस्तान नामक इस्लामी राष्ट्र मांगा था । उसके अनुसार शेष भारत हिन्दुआें का ‘हिन्दू राष्ट्र’ ही होना चाहिए था । हिन्दुआें द्वारा हिन्दू राष्ट्र की स्वाभाविक मांग, अपराध कैसे हो सकती है ?
ऊ. कल यदि ‘आइएसआइएस’ के आतंकवादी भारत पर आक्रमण कर इसे ‘इस्लामिक राष्ट्र’ घोषित कर दें, तो हिन्दू कहां जाएंगे ? संसार में हिन्दुआें का एक भी देश नहीं है !
संदर्भ : सनातन का ग्रंथ, ‘हिन्दू राष्ट्रकी स्थापनाकी दिशा’