छत्रपति शिवाजी महाराज के हिन्दवी स्वराज्य में किलों का अनन्य महत्त्व था । ये किले वर्तमान पीढी को प्रेरणा देते हैं; परंतु इनकी उचित देखभाल न होने के कारण टूट-फूट हो रही है । इसे हमारी यह ऐतिहासिक धरोहर नष्ट होने की आशंका उत्पन्न हुई है । एक तरफ हमारी निर्मित विरासत का संरक्षण एक बड़ी चुनौती बनी हुई है, वहीं दूसरी तरफ इन पर अवैध अतिक्रमण के जरिए कानून-व्यवस्था का सीधा उल्लंघन हो रहा है। छत्रपति शिवाजी की विरासत पर अतिक्रमण के प्रयासों से इस्लामवादियों द्वारा अपनाई जाने वाली बेशर्म रणनीति का पता चलता है और हमारी विरासत की सुरक्षा के लिए चुनौतियों को रेखांकित करता है। 21वीं सदी के आक्रमणकारियों ने अब हिंदुओं की बेशकीमती विरासत में सीधे तौर पर हिस्सेदारी का दावा कर दिया है। यह हिंदुओं के लिए एक संदेश है कि आक्रमण और विजय जारी रहेगी, क्योंकि इस्लामवादी छत्रपति शिवाजी के किलों को हड़पना चाहते हैं, जिसे मुगल नहीं कर सके थे।
किलों का संवर्धन
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