नेपाल को हिन्दू राष्ट्र घोषित करने के लिए किए जा रहे प्रयासों का समर्थन करें !

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नेपाल का गौरवशाली इतिहास

भगवान श्री पशुपतिनाथ के सिद्धान्तो के अंतर्गत नेपाल की पहचान एक वैदिक सनातन हिन्दू राष्ट्र, जो एक देवभूमि, शिवभूमि, ज्ञानभूमि तथा गोरक्षाभूमि के रूप में है । नेपाल अनेक मंदिरों, जैसे पशुपतिनाथ मंदिर, डोलेश्‍वर मंदिर, सीतामाता मंदिर एवं शक्तिपीठों की भूमि है, जहां प्रत्येक वर्ष लाखों हिन्दू यात्रा करने आते हैं ।

हिन्दूविरोधी विचारधारा

यद्यपि हिन्दू विरोधी विचारधारा तथा वामपंथियों की अराजकतावादी प्रवृत्तियों के कारण नेपाल ने विश्‍व में एकमात्र हिन्दू राष्ट्र होने की अपनी प्रतिष्ठा खो दिया तथा नेपाल को एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र घोषित किया गया था । माओवादियों तथा वहां के राजनितिक दलों के अधिकतर सदस्यों को ईसाई देशों से धन मिलता है तथा इन सदस्यों ने नेपाल को धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र घोषित करने का षड्यंत्र रचा है; परंतु नेपाल का अंतिम संविधान अभी लिखा जाना है । संविधान की इस अनिश्‍चित स्थिति के कारण नेपाल के हिन्दू अभी भी उसे हिन्दू राष्ट्र  मानते हैं ।

नेपाल को हिन्दू राष्ट्र घोषित करने का समर्थन करने हेतु रखी गई
ऑनलाइन याचिका पर हस्ताक्षर किजिए ।

प्रति,
१. माननीय राष्ट्रपति, नेपाल
२. माननीय प्रधानमंत्री, नेपाल

प्रत :
१. माननीय प्रधानमंत्री, भारत
२. माननीय विदेशमंत्री, भारत

नेपाल को हिन्दू राष्ट्र घोषित करने के लिए किए जा रहे प्रयासों का समर्थन करें !

मा. महोदय,

मैं एक धर्मपरायण हिन्दू हूं जो, नेपाल को प्रेमपूर्वक एक हिन्दू राष्ट्र के रूप में स्मरण करता हूं । मैं, नेपाल के गणराज्य बनने के पश्‍चात अपनाएं गए अंतरिम संविधान के पश्‍चात के अविश्‍वसनीय परिवर्तनों से अवगत हूं और उन सभी प्रयासों से भी, जो एक ऐसा संविधान बनाने जा रहे हैं, जिससे लोगों के हितों का संरक्षण हो । नेपाल, भारत तथा विश्‍वभर के एक अरब हिन्दू निम्नांकित कारणों से नेपाल के संविधान की प्रतीक्षा कर रहे हैं ।

नेपाल और भारत के लोग बहुमत से चाहते हैं कि नेपाल हिन्दू राष्ट्र घोषित हो । नेपाल की ८० प्रतिशत जनसंख्या हिन्दू है, इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए यह एक उचित अपेक्षा होगी । यहां तक कि अल्पसंख्याक समाज (बौद्ध, इस्लाम) भी नेपाल को हिन्दू राष्ट्र घोषित करने के लिए समर्थन कर रहे हैं । क्योंकि उनका विश्‍वास है कि उनके धार्मिक हित तथा मानवाधिकार हिन्दू राष्ट्र में ही सुरक्षित रह सकते हैं, न कि उस राज्य में जो स्वयं को ‘धर्मनिरपेक्ष’ कहता है ।

कुछ समय पूर्व नेपाल में आए भूकंप के समय यह स्पष्ट हुआ कि स्वार्थ से अथवा बलपूर्वक नेपाल की गलियों में वहां के निर्धन तथा विश्‍वासी हिन्दुआें को ईसाई बनाया जा रहा है । संविधान के प्रारंभिक प्रारूप की धारा ३१ (३) स्पष्ट रूप से धर्म-परिवर्तन का निषेध करती है । नेपाल की हिन्दू पहचान तथा संस्कृति को बचाने का यह एक प्रशंसनीय प्रयास है । नेपाल को हिन्दू राष्ट्र घोषित कर तथा धारा ३१ (३) बनाए रखने से नेपाली हिन्दुआें की आनेवाली पीढीयों का जन्म एवं विकास एक हिन्दू के रूप में सम्मानपूर्वक होगा ।

नेपाल शक्तिपीठों के अतिरिक्त पशुपतिनाथ मन्दिर, डोलेश्‍वर महादेव मन्दिर, सीतामाता मन्दिर जैसे अनेक मन्दिरों का देश है, जो न केवल करोडों हिन्दुआें का तीर्थस्थान है; अपितु वह देश के लिए पर्यटन का भी स्त्रोत है । नेपाल को हिन्दू राष्ट्र घोषित कर सरकार इनके रख-रखाव एवं तीर्थस्थानों के रूप में बढावा देने में भी सक्षम होगी, जो एक धर्मनिरपेक्ष राज्य में संभव नहीं; क्योंकि सरकार किसी एक धर्म का पक्ष नहीं ले सकती ।

महान हिन्दू सन्त आदि शंकराचार्यजी का नेपाल की धरोहर पशुपतिनाथ मन्दिर से घनिष्ठ संबंध है । आदि शंकराचार्यजी ने धार्मिक विषयों पर हिन्दुआें को मार्गदर्शन करने के लिए भारतभर में चार पीठों की स्थापना की । पूर्वाम्नाय पीठ पुरी के शंकराचार्य ने नेपाल को हिन्दू राष्ट्र घोषित किए जाने की इच्छा व्यक्त की है ।

नेपाल को हिन्दू राष्ट्र के रूप में पुनर्स्थापित कर, पूरे विश्‍व में सनातन धर्म की सर्वसमावेशी और समृद्ध संस्कृति को प्रदर्शित करने में आपका अद्वितीय स्थान हो जाएगा । मेरी तथा विश्‍वभर के एक अरब से अधिक हिन्दुआें की हार्दिक इच्छा है कि संविधान सभा नेपाल की जनता की इच्छा का सम्मान करते हुए नेपाल को हिन्दू राष्ट्र घोषित करे ।

साभार,

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हिन्दू परंपराएं संकट में

 हिन्दू विरोधियोंने सदियों पुरानी परंपराआें एवं संस्कृति को धीरे-धीरे नष्ट करने हेतु एक बहुआयामी दृष्टिकोण का प्रयोग किया है । पशुपतिनाथ मंदिर के कोश को अपने नियंत्रण में रखने का प्रयास ऐसा ही एक जघन्य कृत्य है । हिन्दू विरोधी शक्तियां पशुपतिनाथ मंदिर के कोश का क्या करेंगी, यह व्यक्तिगत अनुमान का विषय है, अपितु नेपाल के उच्चतम न्यायालय में हिन्दुआें के बचाव में आकर हिन्दू विरोधियों को मंदिर के कोश से दूर रहने का आदेश दिया है । धर्मनिरपेक्ष नेपाल में पशुपतिनाथ, डोलेश्‍वर एवं सीतामाता जैसे मंदिर हिन्दूविरोधी शक्तियों का अनुचित लाभ उठाने हेतु खुले होंगे ।

ईसाई मिशनरियों का षड्यंत्र

ईसाई मिशनरी एक गहरा षड्यंत्र रच रहे हैं, जिससे वर्ष २००७ के अंतरिम संविधान के अनुसार नेपाल एक ‘धर्मनिरेपक्ष राष्ट्र’ रहना चाहिए । हालही में वहां आए बडे विनाशकारी भूकंप के उपरांत वहां की स्थिति देखकर संपूर्ण विश्‍व के लोग दुख में थे; परंतु इस सर्व अराजकता, त्रासदी तथा मानवपीडा के चलते ईसाई मिशनरी वहां जीजस तथा ईसाइयत का प्रचार करने में व्यस्त थे । वहां के शासन की धर्मनिरपेक्ष प्रकृति इस प्रकार की गतिविधियों के अनुकूल है । वहां संविधान का जो प्रारूप बनाया जा रहा है, उसमें धारा ३१(३) सम्मिलित है, जो स्पष्ट रूपसे धर्मांतरण की निंदा करती है तथा वह नेपाल में हिन्दुआें को धर्मांतरित करने की उनकी योजनाआें के लिए बाधक है । अतः ईसाई मिशनरी एवं उनके द्वारा नियंत्रित अन्य देश यह सुनिश्‍चित करने का पूरा प्रयास कर रहे हैं की, नेपाल धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र बना रहे । यद्यपि धारा ३१(३) हिन्दू पहचान एवं संस्कृति की रक्षा हेतु एक स्वागतयोग्य कदम है ।

चीन एवं पाकिस्तान द्वारा रचा गया षड्यंत्र

ऐतिहासिक दृष्टिसे नेपाल एवं भारत के बीच मुक्त सीमा है तथा दोनों देशों की जनता के लिए मुक्त परिवहन है; परंतु चीन नेपाल के साथ मिलकर भारत के सबसे बडे व्यापारी भागीदारी की स्थिति पर अधिपत्य जमाने का प्रयास कर रहा है । नेपाल में चीन के सुविचारित अधिग्रहण की योजना में ‘माल’ (आयात एवं निर्यात), परिवहन (रेल एवं भूपृष्ठ परिवहन), ऊर्जा (बांध तथा विद्युत आपूर्ति) तथा सैन्य सहायता सम्मिलित हैं । चीन गुप्तरूपसे शक्तिशाली हिन्दूविरोधी माओवादी आतंकवादियों को धन एवं शस्र उपलब्ध करवा रहा है, जो माओवादी भारत एवं नेपाल को नष्ट करने के इच्छुक हैं ।

इस क्षेत्र में पाकिस्तान भी पीछे नहीं है, जो नेपाल का उपयोग भारत में आतंकवादियों की घुसपैठ करने के सुगम द्वार के रूप में करता है । यदि यही स्थिति चलती रही, तो यह न केवल नेपाल के लिए, अपितु भारत के हिन्दुआें के लिए भी एक बडा संकट है ।

नेपाल में हिन्दूराष्ट्र की स्थापना करने के प्रयास

अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशन

हिन्दू जनजागृति समिति प्रतिवर्ष अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशन का आयोजन करती है, जिसका उद्देश्य विभिन्न प्रकार के संकटों से हिन्दू समाज तथा धर्म की रक्षा करना एवं हिन्दू राष्ट्र की स्थापना करना है । नेपालसहित कई देशों के हिन्दू नेताआें ने इन सम्मेलनों में भाग लिया तथा नेपाल को हिन्दू राष्ट्र घोषित करने का प्रस्ताव एकमत से पारित किया ।

धर्मप्रेमी हिन्दू तथा हिन्दू संघटनाआें को आवाहन

नेपाल के हजारों हिन्दू कार्यकर्ता तथा संघटनाए ‘धर्मनिरपेक्ष नेपाल’ को विरोध कर नेपाल को हिन्दू राष्ट्र बनाने की मांग कर रही है । कर्इ संत भी हिन्दू राष्ट्र की मांग हेतु इस कार्य में सक्रिय रूप से सहभागी हो रहे है ।

संपूर्ण विश्व के हिन्दू तथा हिन्दूत्वनिष्ठ संघटनों से विनती करते है की वे नेपाल को हिन्दू राष्ट्र बनाने की मांग का समर्थन करें !

आप किस प्रकार सहायता कर सकते है ?

१. नेपाल तथा नेपाल के बाहर विविध हिन्दुनिष्ठ संघटनाआेंद्वारा आयोजित किए हुए निषेध फेरी में सहभागी हो सकते है । इस विषय से संबंधित जानकारी हम प्रसिद्ध करने का पूरा प्रयास करेंगे ।

२. नेपाल को हिन्दू राष्ट्र बनाने की मांग हेतु आॅनलार्इन स्वाक्षरी अभियान में सहभागी हो सकते है ।

३. नेपाल को हिन्दू राष्ट्र में पुनर्स्थापित करते हेतु आप निम्प पतेपर र्इमेल अथवा संपर्क कर सकते है :

१. मा. राष्ट्रपती, नेपाल

राष्ट्रपती कार्यालय : +९७७-१-४४१५०५६, ४४१८०११
सचिव : +९७७-१-४४१६३१७
ईमेल : [email protected]

२. मा. प्रधानमंत्री, नेपाल

दूरभाष : +९७७-१-४२११०००, ४२११०२५, ४२११०४०
फैक्स : +९७७-१-४२११०६५, ४२११०८६
ईमेल : [email protected]

नेपाल में हिन्दू कार्यकर्ता किस प्रकार नेपाल को हिन्दू राष्ट्र घोषित करवाने हेतु कार्य कर रहे हैं ?

यह ध्वनिचक्रिका विभिन्न हिन्दू संगठनों तथा उनके नेताआें द्वारा शासन पर आगामी संविधान में हिन्दू राष्ट्र घोषित करने की मांग को दर्शाती है । यह इस बात को भी दर्शाता है कि, नेपाल के नागरिक क्या चाहते हैं ? हिन्दू राष्ट्र अथवा धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र ?

गुरुदेव स्वामी चंद्रेश ‘हिन्दू राष्ट्र’ के विषय को सभा में संबोधित करते हुए (नेपाली भाषामें)

नेपाल को पुन: हिन्दू राष्ट्र के रूप में घोषित करना चाहिए – योगी आदित्यनाथ

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