साथ ही अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर का निर्माण कर वचनपूर्ती करें !
भगवान श्रीराम करोडों हिन्दुआें के श्रद्धास्थान है । उत्तरप्रदेश की अयोध्या नगरी में प्रभू श्रीराम का जन्मस्थान है जो सभी दृष्टि से सिद्ध हो गया है । ३० सितंबर २०१० को प्रयाग (इलाहाबाद) उच्च न्यायालय ने भी अपना निर्णय देते समय कहा था कि, उक्त स्थान रामजन्मभूमि है और यहां श्रीराम मंदिर था । जहां पर श्रीरामभक्त कारसेवकों ने अपना खून बहाया, वह स्थान न्यायालय द्वारा श्रीरामजन्मभूमि होने की पुष्टि करने पर भी, अभी तक वहां के मुख्य स्थान पर हिन्दुआें को पूजा करने की अनुमति नहीं है ।
हिन्दू बाहुल भारत में श्रीराम के जन्मस्थान पर हिन्दुआें को पूजा करने का अधिकार नकारा जाता है, हिन्दुआें के लिए इससे बडा दुर्भाग्य क्या हो सकता है ! वर्तमान में इस संदर्भ में सर्वोच्च न्यायालय में अभियोग न्यायप्रविष्ट है; परंतु उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णय के अनुसार प्रमाणों के आधार पर उक्त स्थान रामजन्मभूमि ही है यह सिद्ध हुआ है । इसलिए उस स्थान पर हिन्दुआें को राम नवमी के दिन उत्सव मनाने की अनुमति देने में कोई अडचन नहीं है । आगे सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के पश्चात मंदिर निर्माण का कार्य भी आरंभ कर सकेंगे ।
भाजपा सरकार को हिन्दू जनता ने पूर्ण बहुमत का जनादेश देकर सत्ता दिलवाई है । उत्तर प्रदेश की वर्तमान सरकार अल्पसंख्यकों के तुष्टिकरण के कारण वहां पर हिन्दुआें को पूजा का अधिकार देगी, इस बारे में शंका है । इसलिए केंद्र सरकार अपने विशेषाधिकार का प्रयोग कर श्रीराम नवमी के दिन (१५ अप्रैल २०१६) श्रीराम जन्मभूमि स्थान पर हिन्दुआें को पूजा करने की विशेष अनुमति देने का निर्णय लें ।
इस संदर्भ में कुछ महत्त्वपूर्ण बातें…
१. ३० सितंबर २०१० को सुन्नी वक्फ बोर्ड का दावा प्रयाग (इलाहाबाद) उच्च न्यायालय नेे खारिज कर कहा था कि, वहां पर श्रीरामलल्ला ही विराजमान हैं । यह भी स्वीकार किया गया कि यह भूमि श्रीरामजन्मभूमि है और मंदिर तोडकर विवादास्पद वास्तु(ढांचा) निर्मित की गई है ।
२. इस श्रीराम मंदिर के लिए स्वतंत्रता से पूर्व एवं स्वतंत्रता के पश्चात भी १९९२ में हुए कारसेवकों के आंदोलन तक अनेक हिन्दुआें ने बलिदान दिया है । उच्च न्यायालय द्वारा यहां रामजन्मभूमि होने की पुष्टि करने पर हिन्दुआें को यहां पर कम-से-कम पूजा करने का अधिकार तो मिलना चाहिए ।