धर्म-परिवर्तनके दुष्परिणाम


        धर्म-परिवर्तनकी समस्या अर्थात् हिंदुस्थान एवं हिंदु धर्मपर अनेक सदियोंसे परधर्मियोंद्वारा होनेवाला धार्मिक आक्रमण ! इतिहासमें अरबीयोंसे लेकर अंग्रेजोंतक अनेक विदेशियोंने हिंदुस्थानपर आक्रमण किए । साम्राज्य विस्तारके साथ ही स्वधर्मका प्रसार, यही इन सभी आक्रमणोंका सारांश था । आज भी इन विदेशियोंके वंशज यही ध्येय सामने रखकर हिंदुस्तानमें नियोजनबद्धरूपसे कार्यरत हैं । प्रस्तूत लेखद्वारा हम ‘धर्म-परिवर्तन’ के दुष्परिणाम समझ लेंगे ।

१. सामाजिक दुष्परिणाम

१ अ. कंधमलमें (उडीसामें)
वनवासी जनजातियोंके धर्म-परिवर्तनका दुष्परिणाम

        ‘धर्मांतरितोंके रहन-सहनमें विलक्षण परिवर्तन दिखाई देनेके कारण कंधमलमें ईसाई  बनी जनजातियां और वहांके परंपरागत समाजमें दूरियां बढ गई हैं ।’ – दैनिक ‘राष्ट्रीय सहारा’ (६.७.२००९)

१ आ. बहुसंख्यक बने ईसाइयोंकी
धर्मांधताका सामाजिक जीवनपर दुष्परिणाम होना

        नागभूमिमें (नागालैंडमें) ईसाइयोंके धार्मिक दिवस रविवारके दिन अन्य कार्यक्रम प्रतिबंधित हैं । उस दिन बसें भी बंद रहती हैं । कृषक अपने खेतोंमें रविवारको काम नहीं कर सकते । यदि वे करें, तो उन्हें ५ सहस्र रुपए दंड भरना पडता है एवं २५ कोडे खाने पडते हैं ।

१ इ. ईसाई बहुसंख्यक मेघालयमें
केंद्रशासनके नियमोंमें ईसाई धर्मका संदर्भ जोडा जाना

        ‘मेघालय राज्यमें केंद्रशासनके नियमानुसार रविवारको छुट्टी रहती है । किंतु , इस विषयमें मेघालय शासनके ग्रामीण विकास विभागकी अप्पर सचिव श्रीमती एम्. मणीने एक लिखित उत्तरमें कहा, ‘हमारा राज्य ईसाई होनेके कारण रविवारको यहां सबकी छुट्टी रहती है ।’ मंगरूलनाथके मानवाधिकार कार्यकर्ता और सेवानिवृत्त प्रशासकीय अधिकारी श्री. हरिश्चंद्र पवारको सूचनाके अधिकारके अंतर्गत पूछे गए प्रश्नपर यह उत्तर दिया गया ।’

२. सांस्कृतिक दुष्परिणाम

२ अ. मूल नाग-संस्कृतिको भुलाकर
नाग लोगोंका पश्चिमी मानसिकताके प्रभावमें आना

        ‘नागभूमिमें (नागालैंडमें) बाप्तिस्त मिशनरियोंने स्थानीय नाग लोगोंको ईसाई पंथकी दीक्षा देकर उनका नाग संस्कृतिसे संबंध तोडा । उनका लोकसंगीत, लोकनृत्य, लोककथा और धार्मिक परंपराओंका, दूसरे शब्दोंमें उनकी संस्कृतिका विनाश भी इन मिशनरियोंने किया । उन्होंने नाग लोगोंको पूर्णतः पश्चिमी मानसिकताके रंगमें रंग दिया ।’ – श्री. विराग श्रीकृष्ण पाचपोर

२ आ. मिजोरममें परंपरागत वाद्योंको,
बहुसंख्यक बने ईसाइयोंद्वारा प्रतिबंधित करना

        मिजोरममें, मिजो राजाके ढोल जैसा परंपरागत वाद्य बजानेपर वहांके ईसाई संगठनोंने प्रतिबंध लगा दिया है । वहांके ईसाइयोंने धमकी दी है, ‘यदि राजाने यह परंपरा जारी रखी, तो इसके परिणाम गंभीर होंगे’ ।

२ इ. धर्मांतरित हिंदुओंद्वारा स्वदेश एवं स्वसंस्कृतिका तिरस्कार करना

        ‘धर्मांतरित हिंदु ‘हिंदुस्थान’को नहीं, अपितु ‘रोम’को पुण्यभूमि मान, हिंदुस्थानकी पवित्र नदियां, पर्वत, नागरिक, राष्ट्रभाषा, वेशभूषा और संस्कृतिका तिरस्कार करने लगे हैं ।’ – ईसाई स्वतंत्रता सेनानी राजकुमारी अमृत कौर

२ ई. इस्लामी आक्रमणकारियोंद्वारा
नगरोंके नाम भी परिवर्तित कर उनका सांस्कृतिक परिचय नष्ट करना

        धर्म-परिवर्तनके कारण सांस्कृतिक जीवनसे संबंधित संकल्पना भी परिवर्तित होती है, यह नियम व्यक्तियोंपर ही नहीं, नगरोंपर भी लागू होता है । इस्लामी आक्रमणकारियोंने ‘औरंगाबाद’, ‘हैदराबाद’, ‘इलाहाबाद’, ‘फैजाबाद’ जैसे अनेक स्थानोंके हिंदुओंके साथ ही उन नगरोंके नामोंका भी इस्लामीकरण कर उनका सांस्कृतिक परिचय नष्ट कर दिया ।

२ उ. संस्कृति पूर्णतः नष्ट होना

२ उ १. आग्निपूजक पारसी लोगोंके मूल स्थान ईरानमें इस्लामी आक्रमणकारियोंने उनपर अत्याचार कर उन्हें धर्म-परिवर्तनके लिए बाध्य किया तथा जिन्होंने ऐसा नहीं किया, उन्हें वहांसे भगा दिया । उन पारसियोंको हिंदुस्थानने आश्रय दिया । आज ईरानमें पारसी संस्कृतिका एक भी चिह्न शेष नहीं है ।

२ उ २. ईसाईकृत धर्मांतरणके कारण ही रोम और ग्रीक संस्कृतियां नष्ट हुर्इं ।

२ उ ३. अमरीका, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका और रूसकी आदिवासी (मूल) संस्कृतियां नष्ट होना : ईसाई धर्मप्रचारकोंने अमरीका, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका और रूसके करोडों भोले-भाले आदिवासियोंका धर्म-परिवर्तन कर उनके चरित्र, जीवन-शैली, जीवन-मूल्य एवं उनकी संस्कृति और संस्थाओंका सर्वनाश कर दिया ।

३. राजनीतिक दुष्परिणाम

३ अ. लेबनान देशमें धर्म-परिवर्तनके कारण सत्ता परिर्वतन होना

        लेबनान एक छोटा-सा देश, जो एक समय ईसाई-बहुल था, आज मुसलमान-बहुल है । वहांके ईसाई पलायन कर अन्य ईसाई देशोंमें आश्रय ले रहे हैं । १९०० में लेबनानमें ७७ प्रतिशत ईसाई थे, २०११ में उनकी संख्या ३९ प्रतिशत हो गई । १९०० में वहां २१ प्रतिशत मुसलमान थे, अब वे ६० प्रतिशत हो गए हैं । १९४३ में स्वतंत्रता मिलनेके पश्चात् बने सर्वदलीय मंत्रीमंडलके प्रमुख विभागोंमेंसे ६ विभाग ईसाइयोंको, जबकि ५ विभाग मुसलमानोंको मिले थे । राजकाजमें प्राप्त अधिकारोंका प्रयोग कर मुसलमानोंने लेबनानमें अपनी जनसंख्यामें वृाqद्ध की । २००९ में वहांके पारंपरिक ईसाई दलका शासन समाप्त हो गया तथा इस्लामी विचारधाराके ‘हिजबुल्लाह’ दलका शासन स्थापित हुआ । इस प्रकार लेबनानमें धर्म-परिवर्तनसे सत्ता-परिवर्तन हुआ ।

४. राष्ट्रीय दुष्परिणाम

४ अ. धर्मांतरितोंकी मानसिकता राष्ट्रविरोधी बनना

४ अ १. ‘अनेक व्यक्ति, जिनका धर्म-परिवर्तन हो चुका है, अब वे राष्ट्रविरोधी हो गए हैं ।’ – ईसाई स्वतंत्रता सेनानी, राजकुमारी अमृत कौर

४ अ २. ‘आज मेघालय, मिजोरम, त्रिपुरा और मणिपुरका पर्वतीय भाग एवं अरुणाचल प्रदेशके कुछ भागोंमें धर्मांतरित जनजातियोंमें राष्ट्रविरोधी भावना तीव्र है ।’ – श्री. विराग श्रीकृष्ण पाचपोर

४ आ. धर्म-परिवर्तनसे राष्ट्र परिवर्तन

        स्वातंत्र्यवीर सावरकरने अनेक वर्ष जनजाग्रति करते समय चेतावनी दी, ‘धर्म-परिवर्तन राष्ट्र परिवर्तन है ।’ उनकी यह चेतावनी कितनी अचूक थी, यह आगे दिए हुए सूत्रोंसे और स्पष्ट हो जाएगी ।

४ आ १. नागालैंड
४ आ १ अ. ईसाई धर्ममें धर्मांतरित विद्रोहियोेंके कारण नागालैंडका निर्माण होना

        ‘हिंदुस्थान स्वतंत्र होनेके पश्चात् तुरंत ही ‘अंगामी जापो फीजो’ नामक ईसाईके नेतृत्वमें नाग विद्रोहियोंने भारतके विरुद्ध सशस्त्र विद्रोहकी घोषणा कर दी । ‘नागालैंड फॉर क्राईस्ट’, यह उनकी धर्मांध युद्धघोषणा थी । इन नाग विद्रोहियोंको शस्त्रोंकी और अन्य प्रकारकी सहायताका दुष्कर्म माइकल स्कॉट नामक ईसाई मिशनरीने किया । बौप्टस्ट मिशनरियोंके दबावमें आकर धर्मनिरपेक्ष शासनने इन फुटीर पृथकतावादियोंकी सर्व मांगें मान लीं और नागालैंड राज्यका निर्माण हुआ ।’
– श्री. विराग श्रीकृष्ण पाचपोर

४ आ १ आ. ‘नागालैंडमें ‘Nagaland belongs to Jesus Christ ! Bloody Indian dogs get lost !’ !’ अर्थात् ‘नागालैंड ईसा मसीहकी भूमि है ।
मूर्ख भारतीय कुत्तों, यहांसे निकल जाओ !’ इस प्रकारकी घोषणाएं जगह-जगहपर लिखी हुई मिलती हैं ।’

४ आ १ इ. ‘स्वतंत्र ईसाई राज्य मिलनेके पश्चात् फुटीरतावादी ईसाइयोंने स्वतंत्र नागालैंड राष्ट्रकी मांग करनेके लिए देशके विरुद्ध सशस्त्र विद्रोहकी घोषणा की ।’
– डॉ. नी.र. व हाडपांडे (दैनिक ‘तरुण भारत’, १५.६.२००८)

४ आ २. कश्मीर
४ आ २ अ. मुसलमान-बहुल कश्मीरका हो रहा राष्ट्रांतर !

        हिंदुस्थानको स्वतंत्रता-प्रााqप्तके पश्चात् कश्मीरमें बहुसंख्यक मुसलमानोंने कश्मीरके लिए पृथक संविधान एवं दंडविधान (कानून) बनानेका अधिकार प्राप्त कर लिया । कश्मीरके प्रथम मुख्यमंत्री शेख अब्दुल्लाका ध्येय था, ‘स्वतंत्र कश्मीर राष्ट्र’ । इसके लिए उन्होंने राष्ट्रविरोधी कृत्य कर पाकसे साठगांठ की । फलस्वरूप कश्मीरी मुसलमानोंमें फुटीरतावादी मानसिकता दृढ हुई । फुटीरतावादी ‘हुरियत कॉन्फ्रेंस’ संगठनने ‘आजाद कश्मीर’का प्रचार आरंभ किया । स्वतंत्र कश्मीर राष्ट्रकी स्थापना हेतु, ‘जम्मू कश्मीर मुक्त मोर्चा’ (जेकेएल्एफ्) आदि आतंकवादी संगठनोंका जन्म हुआ । इस कारण, आज वहां राष्ट्रीय त्यौहारोंके दिन राष्ट्रध्वज फहराना भी कठिन हो गया है ।

४ आ ३. अंतरराष्ट्रीय उदाहरण

४ आ ३ अ. ईस्ट टिमोर : ‘२०.५.२००२ को इस्लामी राष्ट्र इंडोनेशियाका विभाजन कर ‘ईस्ट टिमोर’ नामक एक छोटे-से ईसाई राष्ट्रका निर्माण किया गया ।

४ आ ३ आ. दक्षिण सूडान

        ९.७.२०११ को इस्लामी राष्ट्र सूडानका विभाजन कर, ‘दक्षिण सूडान’ नामक नए ईसाई राष्ट्रका निर्माण किया गया । २० वर्षतक अमरीकाके ईसाई  धर्मगुरुओंने सूडानके दक्षिणी भागमें रहनेवाले दरिद्र मुसलमानोंका ईसाईकरण किया । इस क्षेत्रमें ईसाइयोंकी जनसंख्या ९० प्रतिशत होनेपर वहांकी चर्चने सूडानसे पृथक स्वतंत्र ईसाई राष्ट्र बनानेकी मांग की ।’

 

५. धार्मिक दुष्परिणाम

५ अ. धर्मांतरित अधिक कट्टर होते हैं ।
इससे हिंदु समाजके शत्रुओंमें वृद्धी हुई है ।

५ अ १. ‘हिंदु समाजका एक व्यक्ति मुसलमान अथवा ईसाई बनता है, तो इसका अर्थ इतना ही नहीं होता कि एक हिंदु घट गया; इसके विपरीत हिंदु समाजका एक शत्रु और बढ जाता है ।’ – स्वामी विवेकानंद

५ अ २. धर्मांतरित हिंदुओंद्वारा हिंदु संतोंकी स्मृतियोंका विरोध

५ अ २ अ. तमिलनाडु राज्यमें ईसाई बने मछुआरे समाजने स्वामी विवेकानंदका स्मारक बनानेका विरोध किया ।

५ अ २ आ. कालडी (केरल) नामक आदिगुरु शंकराचार्यके इस गांवमें उनके नामसे अभ्यास वेंâद्र बनानेका ईसाई बने वहांके ग्रामीणोंने विरोध किया है ।

५ अ ३. धर्मांतरित मुसलमानोंद्वारा कट्टरतापूर्वक हिंदुओंके हत्याकांड एवं धर्मांतरण !

        इस्लामी आक्रमणोंके समय प्राणभयसे अथवा धनके लोभसे धर्मांतरण करनेवाले धर्मभ्रष्ट हिंदुओंने ही आगे कट्टरतापूर्वक हिंदुओंका नरसंहार किया और असंख्य हिंदुओंको मुसलमान बनाया । अलाउद्दीन खिलजीका सेनापति मलिक कपूर, जहांगीरका सेनापति महाबत खां, फिरोजशाहका वजीर मकबूल खां, अहमदाबादका सुलतान मुजफ्फरशाह और बंगालका काला पहाड मूलतः हिंदु थे । उन्होंने मुसलमान बननेके पश्चात् हिंदु धर्मपर कठोर आघात और हिंदुओंपर निर्मम अत्याचार किए ।

५ अ ४. धर्मांतरित गांधीपुत्रद्वारा कट्टरतापूर्वक हिंदुओंका धर्म-परिवर्तन !

        ‘मोहनदास गांधीके पुत्र हरिलालने मुसलमान बननेके पश्चात् अनेक हिंदुओंको मुसलमान बनाया । उसने यह प्रतिज्ञा की थी, ‘पिता मोहनदास और मां कस्तूरबाको भी मुसलमान बनाऊंगा ।’ – गुरुदेव डॉ. काटेस्वामीजी

५ अ ५. धर्मांतरित मुसलमानके कारण कश्मीरमें हिंदुओंका वंश-विच्छेद !

        इस्लामी आक्रमणकारियोंकी मार-काटमें अधिकांश कश्मीर घाटी धर्मांतरित हुई । इन धर्मांतरित मुसलमानोंकी आगामी पीढियोंने वर्ष १९८९ में हिंदुओंको चेतावनी दी, ‘धर्मांतरित हों अथवा कश्मीर छोडो ।’ फलस्वरूप साढेचार लाख हिंदुओंने कश्मीर छोडा, तथा १ लाख हिंदु जिहादियोंद्वारा मारे गए । आज कश्मीरमें हिंदु पूर्णतः समाप्त होनेके मार्गपर हैं ।

५ आ. हिंदुओंका वंशनाश होनेका संकट !

        ‘हिंदुओंका धर्मांतरण इसी गति से चलता रहा, तो जिस प्रकार १०० वर्षोंके पश्चात् आज हम कहते हैं, ‘किसी काल में पारसी पंथ था’, उसी प्रकार यह भी कहना पडेगा, ‘हिंदु धर्म था’; क्योंकि धर्मपरिवर्तनके कारण देशमें जब हिंदु अल्पसंख्यक हो जाएंगे, उस समय उन्हें ‘काफिर’ कहकर मार डाला जाएगा ।’ – डॉ. जयंत आठवले, संस्थापक, सनातन संस्था.

६. वैश्विक अशांति

६ अ. ‘अनेक प्रकारके संघर्ष, जिनसे हम बच सकते हैं, धर्म-परिवर्तनके कारण ही उत्पन्न होते हैं ।’ – म. गांधी

६ आ. ‘धर्म-परिवर्तन ही विश्वमें संघर्षका मूल कारण है । यदि विश्वमें धर्म-परिवर्तन न हो, तो निश्चित ही संघर्ष भी नहीं होगा ।’
– श्री. एम्.एस्.एन्. मेनन (साप्ताहिक ‘ऑर्गनाइजर’, ६.५.२००७)

६ इ. ‘मध्ययुगके अनेक युद्ध धर्म-परिवर्तनके कारण ही हुए हैं ।’ – (पत्रिका ‘हिन्दू-जागृति से संस्कृति रक्षा’)

६ ई. विश्वमें सर्वाधिक रक्तपात धर्म-परिवर्तनके कारण !

        ‘विश्वमें अबतक हुए युद्धोंमें जितना रक्तपात नहीं हुआ होगा, उससे कहीं अधिक रक्तपात ईसाई और मुसलमान इन दो धर्मियोंद्वारा किए गए धर्म-परिवर्तनके कारण हुआ ।’ – श्री. अरविंद विठ्ठल कुळकर्णी, ज्येष्ठ पत्रकार, मुंबई.

संदर्भ : हिंदु जनजागृति समितीद्वारा समर्थित ग्रंथ ‘धर्म-परिवर्तन एवं धर्मांतरितोंका शुद्धिकरण’

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