भाद्रपद कृष्ण पक्ष पंचमी, कलियुग वर्ष ५११६
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राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरणका हिन्दूद्रोही आदेश
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क्या राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरणद्वारा अन्य धर्मियोंके धार्मिक कृत्योंके संदर्भमें कभी ऐसे आदेश दिए गए हैं ?
नाशिक – पुणेके राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरणद्वारा (नैशनल ग्रीन टि्रब्युनल ) चेतावनी दी गई है कि त्र्यंबकेश्वरके विविध प्रकारके पूजा सामग्रीको निपटानेके लिए आवश्यक व्यय वहांके पुरोहित संघको करना चाहिए । यदि उन्होंने ऐसा नहीं किया, तो त्र्यंबकेश्वरमें पूजाविधि करनेपर महानगरपालिका प्रतिबंध लगाए । (हिन्दू संगठित न होनेके कारण ही ऐसे आदेश दिए जाते हैं । इस सि्थतिको परिवर्तित करने हेतु हिन्दू संगठनके माध्यमसे ‘हिन्दू राष्ट्र’ की स्थापना करना अनिवार्य है ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
१. त्र्यंबकेश्वरके गोदावरी नदीके कांकि्रटीकरणके प्रश्नपर गोदावरी गटारीकरण विरोधी मंच एवं त्र्यंबकेश्वर देवस्थानके न्यासियोंद्वारा इस न्यायाधिकरणमें याचिका प्रविष्ट की गई है ।
२. इस याचिकाकी सुनवाईमें त्र्यंबकमें नारायण नागबलीके साथ विविध प्रकारकी पूजा विधियोंके मााध्यमसे होनेवाले नदी प्रदूषणके सूत्र प्रस्तुत किए गए ।
३. इस पूजा सामग्रीको निपटाने हेतु त्र्यंबकेश्वर नगरपालिकाको चाहिए कि वह तत्काल जिलाधिकारीकी सहायतासे २ से ३ गुंठे भूमि अधिग्रहित करे । इससे पूर्व यह पूजा सामग्री नासिक महानगरपालिकाके खाद प्रकल्पमें देनेके विषयमें त्र्यंबक नगरपालिकाने विनंती की थी । यह प्रस्ताव महानगरपालिकाके महासभामें अस्वीकार किया गया था; मात्र न्यायाधिकरणद्वारा ऐसे आदेश भी दिए गए हैं कि त्र्यंबकमें छोटा खत प्रकल्प साकार होनेतक अर्थात आगामी छः माह तक नासिक महानगरपालिकाको पूजा सामग्री लेनी चाहिए ।
४. त्र्यंबकसे नासिकतक पूजा सामग्रीकी यातायात एवं विघटनके लिए होनेवाला व्यय त्र्यंबकके पुरोहित संघको करना चाहिए । संघद्वारा यह व्यय न करनेपर उनकी संपति्तको नियंत्रणमें लेकर वसूल करें, अन्यथा त्र्यंबकमें पूजाविधि करनेपर महानगरपालिकाद्वारा प्रतिबंध लगाया जाए, ऐसे निर्देश भी प्राधिकरणने दिए हैं । (बकरी ईदके दिन सार्वजनिक स्थानपर मुक्त रुपसे बकरी एवं गोवंशको काटा जाता है । उसका खून गंदी नालियोंमें छोडा जाता है तथा इससे व्याधि फैलती है; परंतु इस विषयमें कभी हरित प्राधिकरणने आवाज उठाया है, ऐसा दिखाई नहीं देता । केवल हिन्दुओंके धार्मिक विधियोंपर किसी ना किसी माध्यमसे बंधन लानेकी इच्छा रखनेवाले तंत्र हिन्दूद्रोही ही हैं । वर्तमान समयके राजनेता धर्मनिष्ठ नहीं हैं । इसीलिए हिन्दुओंके धार्मिक कृत्योंपर ऐसे आघात किए जाते हैं । अन आघातोंका सामना करने हेतु क्या हिन्दू संगठित रुपसे वैधानिक मार्गसे कृत्य करेंगे ? – संपादक)
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात