सिमी की तर्ज पर आईएसआईएस को बैन करेंगे राजनाथ सिंह !

इस संगठन को अभी तक आतंकी संगठन नहीं घोषित किया गया है और यह बात देश के लिए एक बड़ा खतरा साबित हो सकती है। अगर इस संगठन के खिलाफ जल्‍द कोई बड़ा कदम नहीं उठाया गया तो फिर इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं !

बेंगलुरु : कभी आईएसआईएस का ट्विटर हैंडल ऑपरेट करने तो कभी आईएसआईएस के लिए देश छोड़कर जाने की वजह से मेहदी और आरीफ मजीद जैसे पुलिस की हिरासत में हैं। मेहदी की गिरफ्तारी के बाद ही अब यह सवाल भी उठने लगे हैं कि आईएसआईएस को अभी तक देश में बैन क्‍यों नहीं किया गया है। मेहदी को जब गिरफ्तार किया तो उसका कहना था कि उसने आईएसआईएस के ट्विटर हैंडल को ऑपरेट करके कोई गुनाह नहीं किया है।

rajnath_singhसिमी की तर्ज पर बैन हो संगठन
रिसर्च एंड एनालिसिस विंग के पूर्व प्रमुख सीडी सहाय कहते हैं कि अगर इस संगठन को देश में बैन कर दिया जाए तो इससे जुड़ने वाले लोगों की संख्‍या और उनकी गतिविधियों में ८० प्रतिशत तक की कमी आ सकती है।

वह कहते हैं कि यह बात सही है कि बैन के बावजूद आतंकवाद की समस्‍या पूरी तरह खत्‍म नहीं होगी लेकिन इससे काफी हद तक इस समस्‍या से निबटा जा सकेगा। यहां पर उन्‍होंने सिमी का उदाहरण दिया जिस पर बैन लगने के बाद वह भारत की जमीं से अपने संचाल को अंजाम नहीं दे सका।

उन्‍होंने बताया कि सिमी पर लगे बैन लगने से पहले सिमी आतंकी गतिविधियों को खुलेतौर पर अंजाम दे रहा था। इस संगठन का प्रपोगैंडा सबके सामने था और यह उसके मूवमेंट का हिस्‍सा बन गया था। जब इस संगठन को बैन किया गया तो सारे सदस्‍य अंडरग्राउंड हो गए और उनके लिए मुश्किलें और भी बढ़ गईं।

क्‍या था सिमी पर लगे बैन का फायदा
सिमी को बैन की वजह से आर्थिक समस्‍या का सामना करना पड़ा और यहां तक कि कुछ सदस्‍य अंडरग्राउंड तक हो गए। भारत में आईएसआईएस अभी तक एक आतंकी संगठन के तौर पर घोषित नहीं किया गया है। ऐसे युवा जो आईएसआईएस के लिए तेजी से ट्वीट करने के आदी हैं, उनके लिए आईएसआईएस उनके जीने का तरीका बनता जा रहा है।

एनआईए और आईबी की सिफ‍ारिश
आईएसआईएस अपने ग्‍लोबल एजेंडे को आगे बढ़ाता जा रहा है और इस बात को लेकर भारत को परेशान होने की जरूरत है। आईएसआईएस ने अपने मकसद के लिए जो मैप तैयार किया है उसमें भारत है, इस बात का जिक्र फिलहाल नहीं है।

फिर भी जिस तरह से भारत के युवा इसके लिए आकर्षित हो रहे हैं वह बड़ी चिंता का विषय है। मजीद, मसरूर और फखरुद्दीन जैसे लोग युवाओं के लिए आदर्श बनते जाते हैं। इन कट्टरपंथी विचारधारा वाले लोगों के केस बाकी युवाओं के सामने आते हैं।

ऐसे में संगठन पर बैन और कड़े कानूनों के अभाव में साफ है कि आईएसआईएस के लिए काम करने वाले और उसके लिए सहानुभूति रखने वाले लोग आसानी से बचकर निकल जाते हैं।

बैन की वजह से एजेंसियों के लिए भी काम काफी मुश्किल हो जाता है। किसी भी युवा के आईएसआईएस से जुड़े होने की खबरें जैसे ही आती हैं उन्‍हें कई बार एक्‍शन लेने पर सोचने पड़ता है। ऐसे में नियमों को काफी कड़ा करना पड़ेगा ताकि कोई भी बचकर न निकलने पाए।

एनआईए और आईबी की ओर से गृह मंत्रालय से अनुरोध किया गया है कि वह आईएसआईएस को बैन करने को लेकर कदम उठाए।

गृह मंत्रालय कर रहा विचार
गृह मंत्रालय अब इस संगठन को बैन करने के बारे में सोच रहा है। हालांकि इससे पहले वह कई पक्षों पर विचार करेगा। विशेषज्ञ मानते हैं कि गृह मंत्रालय को टाडा और पोटा की तर्ज पर ही काम करना पड़ेगा। गृह मंत्रालय को सारे सुबूत इकट्ठा करने होंगे।

मंत्रालय को बैन लगाने से पहले एक ट्रिब्‍यूनल का गठन करना पड़ेगा और इस ट्रिब्‍यूनल की मंजूरी के बाद ही संगठन को हर तरह से बैन किया जाए। समय पर इस बैन को रिव्‍यू करना पड़ेगा। वहीं गृह मंत्रालय का यह कहना भी है कि अब इस मुद्दे पर आगे बढ़ना होगा। बैन की गैरमौजूदगी में कई युवाओं की आईएसआईएस के लिए सोच उसे परेशान कर रही है।

बैन न होने की फायदा उठा रहे युवा
देश का एक बड़ा युवावर्ग अब मानने लगा है कि आईएसआईएस एक मकसद के लिए अपनी लड़ाई जारी रखे है। इस संगठन को अभी तक आतंकी संगठन नहीं घोषित किया गया है और यह बात देश के लिए एक बड़ा खतरा साबित हो सकती है। अगर इस संगठन के खिलाफ जल्‍द कोई बड़ा कदम नहीं उठाया गया तो फिर इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।

स्त्रोत : वन इंडिया

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