तुळजापुर देवस्थान समिति की अपहृत भूमि, साथ ही अन्य भ्रष्टाचारियोंके संदर्भ में हिन्दू जनजागृति समिति न्यायालयीन लडाई करनेवाली है – अधिवक्ता श्री. वीरेंद्र इचलकरंजीकर, हिन्दू विधिज्ञ परिषद

कांग्रेस-राष्ट्रवादी कांग्रेस के कार्यकाल में तुळजापुर देवस्थान समिति के २६५ एकड भूमि का अपहार !

मुंबई में पत्रकार परिषद

बायीं ओर से श्रीमती नयना भगत, अधिवक्ता श्री. वीरेंद्र इचलकरंजीकर तथा श्री. नरेंद्र सुर्वे

मुंबई : मुंबई में आयोजित पत्रकार परिषद में हिन्दू विधिज्ञ परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अधिवक्ता श्री. वीरेंद्र इचलकरंजीकर ने ऐसा वक्तव्य दिया कि ‘तत्कालीन जनपदाधिकारी डॉ. प्रवीण गेडामद्वारा की गई पूछताछ में यह स्पष्ट हुआ है कि, महाराष्ट्र के श्रद्धास्रोत स्थान तुळजापुर देवस्थान समिति के स्वामित्व की, तुळजापुर तहसील के १५ गांवोंकी ३ सहस्र ५६८ एकड भूमि में से अमृतवाडी की २६५ एकड भूमि अवैध मार्ग से परिवर्तित कर ७७ लोगोंके नाम पर आवंटित की गई है !

इस संदर्भ में तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री. अशोक चव्हाण ने पूछताछ के आदेश दिए थे।

विधि तथा न्याय विभाग के संभाजीनगर विभाग के सहसचिव श्री. गिराडकर के साथ ५ लोगोंकी पूछताछ कर उसका ब्यौरा विधि तथा न्याय विभाग, मंत्रालय में भेजा था। विधि तथा न्याय विभाग ने यह ब्यौरा राजस्व विभाग के पास भेजा; किंतु उस पर कार्रवाई होने की अपेक्षा उसे दबाया गया।

अधिग्रहित भूमि पुनः प्राप्त करने हेतु कार्रवाई करने की अपेक्षा उसे छुपाना, यह गंभीर बात है। अतः हिन्दू जनजागृति समिति न्यायालयीन लडाई करनेवाली है।’

उस समय समितिद्वारा यह आवाहन किया गया कि, यदि तुळजापुर के तुळजाभवानी मंदिर के भ्रष्टाचार के संदर्भ में किसी को कुछ जानकारी देने की इच्छा है, तो वे समिति के राज्य प्रवक्ता श्री. सुनील घनवट से ९४०४९५६५३४ इस क्रमांक पर संपर्क कर सकते हैं।

श्री. वीरेंद्र इचलकरंजीकर

अधिवक्ता श्री. इचलकरंजीकर ने आगे यह भी बताया कि, ‘वर्ष २०१० से राज्य अपराध अन्वेषण शाखा की ओर से आरंभ की गई पूछताछ के माध्यम से गत ५ वर्षों में कुछ भी निष्पन्न नहीं हुआ है। अतः समिति ने हिन्दू विधिज्ञ परिषद के माध्यम से उच्च न्यायालय के संभाजीनगर के खंडपीठ के सामने संबंधित व्यक्तियोंपर कार्रवाई करने हेतु जनहित याचिका प्रविष्ट की है।

इस संदर्भ में हिन्दू विधिज्ञ परिषद के संस्थापक सदस्य अधिवक्ता श्री. सुरेश कुलकर्णी तथा सदस्य अधिवक्ता श्री उमेश भडगांवकर न्यायालय में पक्ष प्रस्तुत कर रहे हैं।

उस समय अधिवक्ता श्री. वीरेंद्र इचलकरंजीकर ने आगे यह बताया कि ….

१. आजाद मैदान में हुई हिंसा के विरोध में पत्रकारोंकी ओर से परिवाद कर हम लडाई कर रहे हैं। हमने लडाई कर पंढरपुर की ३५० एकड भूमि मंदिर समिति के चंगुल से पुनः प्राप्त करवाई है। हिन्दुओंके मंदिर में हम अत्याचार सहन नहीं करेंगे ! भ्रष्टाचार करनेवालोंको दंड प्राप्त होना चाहिए, ऐसे अधिनियम पारित करने के लिए हम लडाई करेंगे !

२. धर्मादाय आयुक्तोंद्वारा भी कुछ भी प्रयास नहीं किए गए। शासन आज भी सतर्क नहीं है। वर्ष २०१० में हुए इस भ्रष्टाचार के विषय की कुछ भी पूछताछ नहीं हुई है। क्या सर्व जनपदाधिकारी निद्राधीन हैं ? क्या, शासन इन अपराधी जनपदाधिकारियोंको कारागृह में बंदी बनाएगा ?

३. मंदिर के संदर्भ में सूचना अधिकार के अंतर्गत पूछे गए प्रश्‍नोंको शासनद्वारा प्राप्त उत्तर शासन की निर्लज्जता है ! हमने इसके विरोध में याचिका प्रविष्ट की है।

४. ऐसा कहना पडेगा कि, निजाम के चंगुल से मंदिरोंकी मुक्ति हुई ही नहीं, इसके विपरीत मंदिरोंकी भूमि उनके चंगुल से मुक्त होकर अन्य लोगोंके पास चली गई। हमारे त्योहारोंके समय हमारी पूछताछ कर त्योहार मनाने पर बंधन डालनेवाले पुलिस अधिकारी क्या मंदिर में छुप-छुपकर किए जानेवाले भ्रष्टाचार की पूछताछ करते हैं ? जो भ्रष्टाचार हुआ, उसे भी दबाने का प्रयास किया जा रहा है !

पत्रकार परिषद में अन्य वक्ताओंद्वारा प्रस्तुत विचार

यदि मंदिरोंपर आपत्ति आई, तो जनजागृतिद्वारा सभी स्तर पर विरोध करेंगे ! – श्री. नरेंद्र सुर्वे, हिन्दू जनजागृति समिति

अभीतक किया गया मंदिर का भ्रष्टाचार हिन्दू जनजागृति समिति ने स्पष्ट कर धर्मरक्षा का कार्य किया है। वर्ष २०१३ में पंढरपुर मंदिर में किया गया भूमि घपला, वर्ष २०१४ में पश्‍चिम महाराष्ट्र देवस्थान समिति के माध्यम से सहस्रों मंदिरों में किया गया भ्रष्टाचार भी समिति ने उजागर किया था। आज महाराष्ट्र का श्रद्धास्रोत तुळजापुर भवानीमाता मंदिर का भ्रष्टाचार हम आपके सामने प्रस्तुत कर रहे हैं।

जहां कहीं भी हिन्दुओंके मंदिरोंपर आपत्ति आएगी, तो जनजागृति के माध्यम से सभी स्तर पर हम उसका विरोध प्रदर्शित करते रहेंगे !

हिन्दुओंके मंदिर, श्रद्धालुओंके अधिकार में देने चाहिए ! – श्रीमती नयना भगत, सनातन संस्था

मंदिर हिन्दुओंके श्रद्धास्थान हैं। कुलधर्म का पालन करने हेतु अनेक श्रद्धालु मंदिर में आकर धन का अर्पण करते हैं। श्री तुळजाभवानी मंदिर में किया गया यह भ्रष्टाचार श्रद्धालुओंका अनादर है। तुळजापुर का भवानी मंदिर साढेतीन शक्तिपीठों में से एक है। यह शक्तिशाली मंदिर है। यहां किया जानेवाला पापकर्म पूरे समाज को भुगतना न पडे, इसलिए हमारे धर्मकर्तव्य के रूप में हम इस विरोध में भी कृत्य कर रहे हैं। हर एक व्यक्ति इसका विरोध करें !

श्रद्धालुओंके धन का श्रद्धालुओंके लिए ही उपयोग करना चाहिए। सनातन संस्था, हिन्दू विधिज्ञ परिषद तथा हिन्दू जनजागृति समिति इस लडाई में धर्मरक्षा हेतु साथ-साथ सिद्ध हैं !

पत्रकारोंद्वारा अधिवक्ता श्री. वीरेंद्र इचलकरंजीकर से पूछे प्रश्‍न, तथा उसके उत्तर ….

पत्रकार : क्या शासन पर आपका विश्‍वास है ?

अधिवक्ता श्री. वीरेंद्र इचलकरंजीकर : कोई शासन अधिकार में हो; किंतु हमारे मंदिरोंकी हानि, साथ ही भ्रष्टाचार भी प्रतिबंधित होना चाहिए। हमें यह आशा है कि मुख्यमंत्री श्री. देकेंद्र फडणवीस इस संदर्भ में निश्‍चित ही निर्णय अपनाएंगे।

पत्रकार : इस संदर्भ में क्या कोई दल आप की सहायता करेगा ?

अधिवक्ता श्री. वीरेंद्र इचलकरंजीकर : हमें किसी भी दल से कुछ लेनदेन नहीं है। केवल मंदिरोंका भ्रष्टाचार प्रतिबंधित होना चाहिए।

पत्रकार : किसने भ्रष्टाचार किया है, उनके नाम बताईए।

अधिवक्ता श्री. वीरेंद्र इचलकरंजीकर : जनप्रतिनिधि, जनपदाधिकारी, लेखापाल तथा पुजारी से पूछताछ करनी चाहिए।

पत्रकार : क्या पुजारियोंको कमीशन प्राप्त होता है ?

अधिवक्ता श्री. वीरेंद्र इचलकरंजीकर : पुजारी एक छोटी मछली है; किंतु जो बडी मछली है, वो कुछ भी कर सकती है, तो उसे ही, क्यों न पकड़ा जाए ?

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

Leave a Comment

Notice : The source URLs cited in the news/article might be only valid on the date the news/article was published. Most of them may become invalid from a day to a few months later. When a URL fails to work, you may go to the top level of the sources website and search for the news/article.

Disclaimer : The news/article published are collected from various sources and responsibility of news/article lies solely on the source itself. Hindu Janajagruti Samiti (HJS) or its website is not in anyway connected nor it is responsible for the news/article content presented here. ​Opinions expressed in this article are the authors personal opinions. Information, facts or opinions shared by the Author do not reflect the views of HJS and HJS is not responsible or liable for the same. The Author is responsible for accuracy, completeness, suitability and validity of any information in this article. ​