संभाजीनगर (महाराष्ट्र) : यहां के बजाज नगर परिसर में सर्वोच्च न्यायालयद्वारा दिए गए आदेश के अनुसार प्रशासन ने हिन्दुओंके चार मंदिर तोडे हैं।
इसलिए यहां के हिन्दुओंद्वारा ऐसा संतप्त प्रश्न उपस्थित किया है कि, क्या मस्जिदोंपर बुलडोजर चलाने का साहस प्रशासन दर्शाएगा ?
१. सर्वोच्च न्यायालयद्वारा मार्ग के मध्यभाग में स्थित एवं यातायात को अडचन सिद्ध होनेवाले प्रार्थनास्थल तोडने के आदेश दिए गए।
२. तत्पश्चात जिला प्रशासनद्वारा धार्मिक स्थलोंकी सूची सिद्ध की गई।
३. १५ नवंबर तक इस पर आपत्ति प्रविष्ट करने की समयमर्यादा थी; परंतु फिर भी जिलाधिकारीद्वारा बजाज नगर के मंदिर तोडने के आदेश दिया गया।
४. मंदिर तोडने से हिन्दू संतप्त हुए। विशेष रूप से यहां के हिन्दुओंका कहना यह है कि ये मंदिर मार्ग में नहीं थे अथवा उस से यातायात को अडचन नहीं आ रही थी।
यहां के अल्पसंख्यकों के प्रार्थनास्थलोंके विषय में कुछ गंभीर सूत्र ….
१. यहां के क्रांति चौक में वजूखान की मस्जिद का निर्माण कार्य किया गया है। इस मस्जिद के कारण मार्ग चौडाई का नक्षा ही बदल गया है !
२. मस्जिद के कारण जिलाधिकारी के कार्यालय के सामने का चौक मानो गायब ही हो गया है !
३. उसी प्रकार दर्गा के आसपास अतिक्रमण कर जमात खाने का निर्माण कार्य किया गया है। इस जमातखाने का रूपांतर शॉपिंग कॉम्प्लेक्स में हो गया है !
४. यहां के जालना रोड प महामार्ग को छःपदरी करने हेतु तोडफोड करते समय मध्यभाग में आनेवाले मस्जिद को बचाया गया है !
हिन्दुओंका खून ठंडा नहीं हुआ ! – सांसद श्री. चंद्रकांत खैरे, शिवसेना
शिवसेना उपनेता सांसद श्री. चंद्रकांत खैरेद्वारा ऐसी क्षात्रवृत्तिवर्धक प्रतिक्रिया प्रविष्ट की गई है कि मंदिरोंको तोडा जाते समय हम शांत रहें, इतना हमारा खून ठंडा नहीं हुआ है। मंदिरोंके लिए रक्त बहाना पड़े तो भी चलेगा; परंतु धर्मकार्य को नहीं छोडेंगे। हम किसी भी कार्रवाई का सामना करने के लिए सिद्ध हैं। तहसीलदार मंदिर को तोडने के लिए आने पर उन्होंने उसे विरोध किया था। इस पार्श्वभूमि पर महसूल कर्मचारी संगठनद्वारा उस के विरोध में परिवाद प्रविष्ट किया गया है।
(संदर्भ : दैनिक सामना)
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात