प्रशिक्षण देकर पुजारी बनाने का यह निर्णय शास्त्रविरोधी है ! हिन्दुआेंने इसका विरोध करना चाहिए ! – सम्पादक, हिन्दूजागृति
तिरूपति (आंध्रप्रदेश) – वर्षों से चली आ रही परंपरा में परिवर्तन लाते हुए तिरुमला तिरुपति देवस्थान ने मंदिरों के रीति-रिवाजों के संचालन के लिए गैर-ब्राह्मणों को प्रशिक्षित करने का निर्णय लिया है। एक पायलट प्रॉजेक्ट के तहत दलित और पिछली जातियों के लगभग २०० लोगों को तीन महीने तक यह कठोर प्रशिक्षण दिया जाएगा। इस प्रॉजेक्ट की शुरुआत में चित्तूर और पश्चिमी गोदावरी के जिलों से लोगों का चयन किया जाएगा।
हाल ही में तिरुमला तिरुपति देवस्थानम ने आदिवासी पुजारियों को वैदिक परंपरा सिखाने के लिए लघु प्रशिक्षण सत्र आयोजित किए थे। लेकिन, अब इस बार जो प्रशिक्षण होगा, वह नियमित होगा और इसके अंत में सर्टिफिकेट भी दिया जाएगा।
आंध्र प्रदेश के निधि मंत्री पी. मणिक्यला राव ने कहा, ‘तिरुमला तिरुपति देवस्थानम समाज के दलित वर्ग के युवाओं को मंदिर के अनुष्ठानों का प्रशिक्षण देगा। हम दूरस्थ और पिछड़े क्षेत्रों में रह रहे लोगों पर ज्यादा ध्यान देंगे। निधि विभाग तिरुमला तिरुपति देवस्थानम के साथ दूर-दराज के गांवों में मंदिर भी स्थापित करवाएगा। एक बार प्रशिक्षण सत्र समाप्त होने के बाद इन युवाओं को इन प्रस्तावित मंदिरों में होने वाले दैनिक अनुष्ठानों के लिए नियुक्त किया जाएगा।’
संदर्भ : नवभारत टाईम्स