‘ओटीटी’ जैसे आधुनिक माध्यमों द्वारा भारत का सांस्कृतिक अधःपतन रोकें !

आज ‘जेम्स ऑफ बॉलीवुड’ एवं ‘हिन्दू जनजागृति समिति’ की ओर से आयोजित ‘संस्कृति बचाओ, भारत बचाओ !’ कार्यक्रम के अवसर पर…

 

कुछ दिन पूर्व ही भारत में हुए बलात्कारों की ३ घटनाओं से जनमानस कांपने लगा; परंतु यह समय केवल कांपने का नहीं, अपितु देश के समक्ष आई गंभीर गतिविधियों का सामना करने के लिए समय रहते जागृत होने का है । इससे ध्यान में आता है, ‘अयोध्याजी में रामलला की मूर्ति की प्राणप्रतिष्ठा करने की अपेक्षा श्रीरामजी द्वारा दिखाई गई मर्यादा संजोकर रखना अधिक कठिन है ।’

बलात्कार की ये ३ भयंकर घटनाएं यहां दे रहे हैं ।

अ. उत्तर प्रदेश के कासगंज में १९ वर्ष आयु के एक युवक ने अपनी बहन का बलात्कार कर उसकी हत्या की ।

आ. पिछले सप्ताह गोंडा, उत्तर प्रदेश के १० एवं ८ वर्ष आयु के दो लडकों ने ५ वर्ष आयु की लडकी का बलात्कार किया ।

इ. राजस्थान के डुंगरपुर जिले के एक विद्यालय के प्रधानाध्यापक द्वारा पूरे वर्ष में उनके विद्यालय की ६ छात्राओं पर बलात्कार किए जाने का प्रमाणित हुआ है ।

इन घटनाओं के आरोपियों को बंदी बनाने के उपरांत पुलिस को दिए गए उत्तर में उन्होंने कहा, ‘भ्रमणभाष (मोबाईल) पर यौन-शोषण के विकृत एवं उत्तेजक चलचित्र देखने के कारण यह अपराध करने के लिए प्रवृत्त हुआ ।’ पुलिस के अनुसार बलात्कार के अपराध में अधिकतर सभी आरोपी इसी स्वरूप की स्वीकृति तथा सहमतिपूर्ण उत्तर देते हैं ।

१. ‘अल्ट बालाजी’ एवं ‘उल्लू’ एप पर दिखाए जानेवाले चलचित्र ‘अश्लील (पॉर्न)’ ढंग के !

श्री. उदय माहूरकर

इन आरोपियों को प्रोत्साहन देनेवाले ये चलचित्र सामान्य अश्लील (पॉर्न) चलचित्र नहीं, अपितु हमारे भारत में ही निर्मित किए गए हैं । ‘अल्ट बालाजी’ नामक ‘ओटीटी प्लेटफॉर्म’ एवं ‘उल्लू (ULLU)’ नामक ‘एप’ क्या प्रक्षेपित करते हैं, वह देखेंगे । ‘अल्ट बालाजी’ पर दिखाई जानेवाली एक मालिका (सीरियल)में परिवार के एक पुरुष के अनैतिक संबंध स्वयं की दादी, सौतेली मां, चचेरी बहन तथा भाभी के साथ बताए गए हैं । दूसरी एक मालिका में सास एवं जवाईं के अनैतिक संबंध दिखाए गए हैं । ये सभी दृश्य अत्यंत अश्लील हैं एवं वे ‘अश्लील (पॉर्न)’ ढंग के हैं ।

उल्लू ‘एप’ पर दिखाए जा रहे कुछ चलचित्रो में ससुर-बहू, सास-ननद, घर की मालकिन एवं नौकर और शिक्षक तथा विद्यार्थी में अनैतिक संबंध दिखाए जाते हैं । एक ‘एप’ पर तो नैतिकता की सभी सीमाएं लांघकर सगे भाई-बहन के अनैतिक संबंध दिखाए जाते हैं ।

२. ‘बलात्कार करनेवाले सभी अपराधियों को अश्लील साहित्य से ही प्रोत्साहन मिलता है’, यह सर्वेक्षण द्वारा सिद्ध

वर्ष १९८० में अमेरिका में टेड बंडी नामक विकृत वासनांध ने ३० महिलाओं पर बलात्कार कर उनकी हत्या की थी । मृत्यु दंड के पूर्व दिए गए साक्षात्कार में टेड ने स्पष्टता से कहा, ‘बलात्कार करनेवाले अपराधियों को प्रोत्साहन एवं प्रेरणा अश्लील साहित्य से ही मिलती है ।’ मेरे द्वारा स्थापित ‘सेव कल्चर सेव भारत फाऊंडेशन’ संस्था द्वारा किए एक अंतर्राष्ट्रीय सर्वेक्षण में भी यही प्रमाणित हुआ है ।

३. यदि सांस्कृतिक अध:पतन को नहीं रोका गया, तो देश के ‘विश्वगुरु भारत,’ के ध्येय से दूर जाने का भय

‘आर्थिक, लश्करी एवं वैज्ञानिक प्रगति कर महासत्ता प्रस्थापित करने के प्रयासों में क्या भारत को सांस्कृतिक दृष्टि से भिखारी राष्ट्र बनना है ?’, अब इस पर विचार करने का समय आ गया है । भारत यदि ‘गल्फ’ (खाडी देशों), सिंगापुर एवं दक्षिण कोरिया आदि देशों के समान अश्लील, एवं वीभत्स चलचित्र एवं साहित्य के निर्माता, साथ ही वितरकों को प्रतिबंधित नहीं करता, तो देश का सांस्कृतिक पतन निश्चित है । इस कारण देश ‘विश्वगुरु भारत’ ध्येय से निश्चित ही दूर हो जाएगा ।

४. अश्लील एवं वीभत्स चलचित्रों की निर्मिति रोकने के लिए करने योग्य उपाय

‘सेव कल्चर सेव भारत फाऊंडेशन’ संस्था द्वारा अश्लील एवं वीभत्स चलचित्रों की निर्मिति तथा वितरण करनेवालों पर कार्यवाही करने के लिए कठोर कानून होने चाहिए’, ऐसी मांग की गई है । प्रत्येक चलचित्र के विचार, भाषा, वेशभूषा एवं दृश्य के संदर्भ में कानून की दृष्टि से कुछ बंधन एवं सीमाएं होनी चाहिए । इन सीमाओं का यदि उल्लंघन करते हैं, तो निर्माता, निर्देशक, कलाकार, वितरक एवं प्रक्षेपित करनेवाले माध्यमों पर बलात्कार के लिए प्रवृत्त करने का अपराध प्रविष्ट किया जाए । यदि अपराध प्रमाणित होता है, तो १० से २० वर्ष कारावास के दंड का प्रावधान होना चाहिए । ऐसे अपराधियों को ३ वर्षों तक जमानत (प्रतिभू) न मिले एवं इन अभियोगों की सुनवाई ४ माह में पूर्ण होनी चाहिए, साथ ही उनके द्वारा समाज में वितरित किया हुआ साहित्य वापस लेने के लिए बाध्य किया जाए ।

ये कानून अस्तित्व में आने तक भारत के सूचना तंत्रज्ञान कानून में एक सुधार किया जाए । इसके अनुसार इस स्वरूप के सभी चलचित्र (फिल्में) एक ही ‘एप’ में होने चाहिए । यह ‘एप’ यदि खोलना हो, तो उंगलियों के छाप एवं आधारकार्ड क्रमांक प्रविष्ट करना अनिवार्य करें । समाज के सभी वर्गों तक यह विषय पहुंचाने के लिए हमारी संस्था द्वारा ‘जेम्स ऑफ बॉलीवुड’ नामक संस्था की सहायता से वर्ष २०११ के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन की भांति एक व्यापक जन जागरण अभियान हाथ में लेने का निश्चित किया गया है ।

अल्लाउद्दीन खिलजी एवं औरंगजेब ने जितनी हानि की, उसकी अपेक्षा ऐसे साहित्य की निर्मिति करनेवाले (कंटेंट मेकर्स) भारत की अधिक हानि कर रहे हैं; क्योंकि इन आक्रामकों ने मंदिरों पर प्रहार किए; जबकि ये ‘कंटेंट मेकर’ मंदिर संस्कृति की नींव वाले चरित्र एवं संस्कृति पर प्रहार कर रहे हैं ।

संक्षेप में सच्चे अर्थ में भारत के विश्वगुरु होने के मार्ग की अडचनें दूर करने का यह एक यज्ञ है । श्रीरामजी की मर्यादा की रक्षा के लिए यह आंदोलन है ।

– श्री. उदय माहुरकर, संस्थापक, ‘सेव कल्चर सेव भारत फाऊंडेशन’ एवं पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त, भारत सरकार. (२०.२.२०२४)

समाज का हो रहा सांस्कृतिक अध:पतन रोकने के लिए ‘सेव कल्चर सेव भारत फाऊंडेशन’ अभियान !

दिसंबर २०२२ में भोपाल (मध्य प्रदेश) में मैंने ‘सेव कल्चर सेव भारत फाऊंडेशन’ अभियान का आरंभ किया । देश की सांस्कृतिक धरोहर को अश्लील एवं वीभत्स साहित्य के माध्यम से हानि पहुंचाकर महान राष्ट्र की ओर अग्रसर हो रहे भारत का कदम रोकनेवाले निर्माताओं के विरुद्ध जनमत सिद्ध करना ही इस अभियान का उद्देश्य है । हमारे इस अभियान को सशक्त वैचारिक पृष्ठभूमि के अनेक संगठनों द्वारा समर्थन दिया गया है । उनमें ‘जेम्स ऑफ बॉलीवुड’, ‘हिन्दू जनजागृति समिति’, ‘स्वच्छ साइबर भारत’ एवं ‘पिपल अगेंस्ट रेप इन इंडिया (पारी)’ आदि संगठन समाहित हैं । ‘समाज का हो रहा सांस्कृतिक अध:पतन’ ही बढ रहे बलात्कारों की घटनाओं के पीछे का मुख्य कारण है । यह अधःपतन रोकने के लिए आवश्यक वैधानिक (कानूनी) संघर्ष करने की हमारी पूर्ण तैयारी है ।

‘सेव कल्चर सेव भारत फाऊंडेशन’ संस्था को अनेक विख्यात नेता एवं संतों ने समर्थन दिया है । जिसमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प.पू. सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवतजी, भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड, योगगुरु स्वामी रामदेव बाबा, श्री श्री रविशंकर, जूने आखाडे के महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरीजी, भारत के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एवं गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्रभाई पटेल समाहित हैं ।

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